भारत में ऊर्जा के स्रोत के रूप में कोयला का प्रमुख रूप से उपयोग किया जाता है। हालांकि, जमीन से सैकड़ों फीट नीचे बनी खदानों से कोयला निकालना आसान नहीं होता है। कोयला मजदूर दिन-रात मेहनत कर कोयला निकालते हैं। इस लेख में भारत की विभिन्न कोयला खदानों को लेकर जानकारी दी गई है।
चूंकि, औद्योगिक क्रांति को बढ़ावा देने के लिए कोयला प्राथमिक ऊर्जा स्रोत था, औद्योगिक विकास के कारण कोयला भंडार का बड़े पैमाने पर दोहन हुआ।
प्रौद्योगिकी की प्रगति के कारण आज सतह और भूमिगत भंडार से कोयले का खनन एक अत्यधिक उत्पादक और मशीनीकृत कार्य है।
भारत का पहला कोयला क्षेत्र रानीगंज है, जहां 1774 में ईस्ट इंडिया कंपनी के दौरान कोयला खनन शुरू हुआ था।
चूंकि, भारत प्राचीन कठोर चट्टानों से समृद्ध है, इसलिए यह विभिन्न प्रकार के खनिज संसाधनों का भंडार है।
भारत में कोयले का वितरण निम्नलिखित दो श्रेणियों में है:
- गोंडवाना कोयला क्षेत्र, जो 250 मिलियन वर्ष पुराने हैं।
-तृतीयक कोयला क्षेत्र 15 से 60 मिलियन वर्ष पुराने हैं।
गोंडवाना कोयला क्षेत्र
-भारत में कुल कोयला भंडार का 98% हिस्सा है
-भारत में कोयला उत्पादन का 99% हिस्सा इसी से बनता है।
-यहां से प्राप्त कोयला नमी रहित तथा फास्फोरस एवं सल्फर युक्त होता है।
-गोंडवाना कोयले में कार्बन की मात्रा 350 मिलियन वर्ष पुराने कार्बोनिफेरस कोयले से कम है, जो कि बहुत कम उम्र के कारण भारत में लगभग अनुपस्थित है।
तृतीयक कोयला क्षेत्र
-इसमें कार्बन की मात्रा कम होती है, लेकिन फिर भी कोयला नमी और सल्फर से भरपूर होता है।
-ये मुख्यतः अतिरिक्त-प्रायद्वीपीय क्षेत्रों तक ही सीमित हैं।
-कुछ प्रमुख क्षेत्रों में असम, मेघालय, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, पश्चिम बंगाल में दार्जिलिंग की हिमालय की तलहटी, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और केरल शामिल हैं।
भारत में कोयला खदानों की सूची उन राज्यों और श्रेणियों के साथ नीचे दी गई है, जिनसे कोयला क्षेत्र संबंधित हैं:
भारत में कोयला खदानें | |
कोयले की खान | राज्य |
-झरिया, धनबाद -बोकारो -जयंती -गोड्डा -गिरिडीह (कारभारी कोयला क्षेत्र) -रामगढ़ -करणपुरा -डाल्टनगंज | झारखंड |
-रानीगंज कोयला क्षेत्र, -डालिंगकोट (दार्जिलिंग) बीरभूम, -चिनाकुरी | पश्चिम बंगाल |
-कोरबा -बिश्रामपुर - सोनहत - झिलमिल -हसदो-अरंड | छत्तीसगढ़ |
-झारसुगुड़ा, - हिमगिरी, -रामपुर, -तालचेर | ओडिसा |
-सिंगारेनी, -कोथागुडेम, -कंटापल्ली | तेलंगाना/आंध्र प्रदेश |
-नेवेली | तमिलनाडु |
-कैंपटी (नागपुर) -वुन क्षेत्र -वर्धा -वालारपुर -घुघुस -वरोरा | महाराष्ट्र |
-लेडो -मकुम -नजीरा -जानजी जयपुर | असम |
-दारनगिरि (गारो पहाड़ियां), -चेरापूंजी, -लियोट्रिंज्यू, -माओलोंग - लैंग्रिन कोयला क्षेत्र (खासी और जैन्तिया हिल्स) | मेघालय |
-सिंगरौली, -सोहागपुर, -जोहिला, -उमरिया, - सतपुड़ा कोयला क्षेत्र |
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कोयला खदानों से जुड़े कुछ प्रमुख तथ्य
-धनबाद झारखंड की सबसे पुरानी कोयला खदानों में से एक है। यह भारत का सबसे समृद्ध कोयला क्षेत्र भी है। इसे सर्वोत्तम धातुकर्म कोयले यानी कोकिंग कोल के भंडार के रूप में जाना जाता है।
-गिरिडीह या करभारी कोयला क्षेत्र धातुकर्म प्रयोजनों के लिए भारत में बेहतरीन कोकिंग कोयला का उत्पादन करता है।
-देश के प्रमुख उत्पादक जिले दार्जिलिंग और जलपाईगुड़ी हैं।
-भंडार में रानीगंज के बाद दूसरा स्थान तालचेर का है, जो 24,374 मिलियन टन है।
-तालचेर के अधिकांश ताप विद्युत संयंत्रों में कोयला भाप और गैस उत्पादन उद्देश्यों के लिए उपयुक्त है।
-गोदावरी घाटी में सर्वाधिक कोयले के भंडार हैं।
-कार्यशील कोयला खदानें कोठागुडेम और सिंगरेनी में स्थित है।
-असम में पाए जाने वाले कोयले में राख कम और कोकिंग गुण अधिक होते हैं।
-इसमें सल्फर की मात्रा अधिक होती है, जो धातुकर्म प्रयोजनों के लिए अच्छा है।
-मप्र का सबसे बड़ा कोयला क्षेत्र सिंगरौली है।
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