भारत एक उष्णकटिबंधीय(Tropical) क्षेत्र, जो अपनी विविध जलवायु परिस्थितियों के लिए जाना जाता है। यही वजह है कि यहां पर अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग प्रकार का मौसम देखने को मिलता है।
इनमें कुछ जगह बहुत गर्म, तो कुछ जगह बहुत ठंडी हैं। देश भर में ऐसे कई क्षेत्र हैं, जहां तापमान सबसे कम -60 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है। द्रास और लेह लद्दाख जैसे क्षेत्र भारत के सबसे ठंडे क्षेत्रों के रूप में जाने जाते हैं और गर्मियों के दौरान भी ठंडे रहते हैं।
भारत में शीर्ष दस सबसे ठंडे स्थान
नंबर | जगह | न्यूनतम तापमान |
1. | द्रास | -45 डिग्री |
2. | सियाचिन ग्लेशियर | -50 डिग्री |
3. | सेला दर्रा, तवांग | -15 डिग्री |
4. | लाचेन और थांगु घाटी, उत्तरी सिक्किम | -10 डिग्री |
5. | लेह लद्दाख | -35 डिग्री |
6. | मुनिसियारी, उत्तराखंड | -10 डिग्री |
7. | स्पीति घाटी, हिमाचल प्रदेश | -30 डिग्री |
8. | सोनमर्ग, जम्मू और कश्मीर | -6 डिग्री |
9. | श्रीनगर, जम्मू और कश्मीर | -30 डिग्री |
10. | रोहतांग दर्रा, मनाली | -5 डिग्री |
द्रास
भारत में सबसे ठंडा स्थान और देश में दूसरा सबसे ठंडा रहने वाला स्थान द्रास लद्दाख के कारगिल शहर में स्थित है। समुद्र तल से 3280 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इसे 'लद्दाख का प्रवेश द्वार' भी कहा जाता है। यह क्षेत्र अमरनाथ गुफा और सियालकोट की यात्रा करने वाले तीर्थयात्रियों के लिए ट्रेकिंग बेस के रूप में भी कार्य करता है।
अपने सुंदर परिदृश्य, बर्फीले पहाड़ और हाड़ कंपा देने वाली ठंड के साथ यह क्षेत्र द्रास युद्ध स्मारक का घर है, जिसे द्रास में कारगिल युद्ध के शहीदों की याद में बनाया गया था।
यहां पर सर्दियों में तापमान माइनस 45 डिग्री सेंटीग्रेड तक गिर जाता है। इस जगह की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय जून से सितंबर तक है।
सियाचिन ग्लेशियर
एक गैर-ध्रुवीय क्षेत्र में पूरी दुनिया में सबसे ठंडा और उत्तरी काराकोरम रेंज में स्थित सियाचिन ग्लेशियर भारत का सबसे ठंडा स्थान है। यह 5,753 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
ऐसे में जनवरी में इस क्षेत्र का तापमान शून्य से 50 डिग्री सेंटीग्रेड तक कम हो जाता है। गर्मियों के दौरान तापमान माइनस 10 डिग्री सेंटीग्रेड के आसपास रहता है।
भारत और पाकिस्तान के बीच विवादित क्षेत्र का एक हिस्सा यह क्षेत्र दुनिया के सबसे शत्रुतापूर्ण स्थानों में से एक है, जबकि इस स्थान पर केवल सेना के जवान ही देखे जा सकते हैं। उन्हें अत्यधिक ठंड की स्थिति का सामना करने के लिए विशेष कपड़े और उपकरण प्रदान किए जाते हैं।
भारी बर्फबारी, बर्फीले तूफान और हिमस्खलन जैसी कठोर जलवायु परिस्थितियों के कारण यहां दोनों देशों के हजारों सैन्यकर्मी मारे भी गए हैं।
सेला दर्रा, तवांग
अरुणाचल प्रदेश के तवांग और पश्चिमी कामेंग जिलों के बीच स्थित सेला दर्रा भारत के आइसबॉक्स के रूप में जाना जाता है।
यह 4170 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और तवांग को तेजपुर और गुवाहाटी से जोड़ता है। इस क्षेत्र में सर्दियों में तापमान शून्य से 15 डिग्री सेल्सियस कम हो जाता है। बर्फ से ढका सेला दर्रा पूर्वी हिमालय और तवांग में सुंदर झीलों का एक मनोरम दृश्य प्रदान करता है, जिसे सेला झील के रूप में जाना जाता है।
इस इलाके में 101 पवित्र झीलों के साथ तिब्बती बौद्धों के लिए एक पवित्र स्थान भी है। इस क्षेत्र ने एक प्रसिद्ध यात्रा गंतव्य के रूप में अपना नाम बनाया है।
लाचेन और थांगु घाटी, उत्तरी सिक्किम
लाचेन और थांगु घाटी समुद्र तल से 2500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित उत्तरी सिक्किम में सबसे ठंडे शहर है। सर्दियों में इस क्षेत्र में माइनस 10 डिग्री तापमान हो जाता है।
तीसा नदी और लकड़ी के घरों से घिरे अल्पाइन घास के मैदानों से भरी घाटी के साथ यह शहर पहाड़ों का एक मनोरम दृश्य प्रदान करता है। गर्मियों के दौरान मौसम आमतौर पर सुहावना होता है और तापमान लगभग 10 डिग्री सेंटीग्रेड तक होता है।
गर्मियों के दौरान होने वाली याक दौड़ के कारण यह स्थान सांस्कृतिक रूप से भी समृद्ध है।
दुनिया की सबसे ऊंची मोटरेबल रोड, आइकोनिक मैग्नेटिक हिल, फिरोजी रंग की पैंगोंग झील और सबसे ऊँचे दर्रे पर्यटकों के लिए एक आकर्षण का केंद्र हैं।
लेह लद्दाख
भारत का प्रसिद्ध केंद्र शासित प्रदेश लेह लद्दाख हिमालय पर्वत श्रृंखला के करीब भारत के सबसे उत्तरी भाग में पड़ता है। समुद्र तल से 6000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह क्षेत्र इसे भारत के सबसे ठंडे स्थानों में से एक बनाता है। यहां का तापमान माइनस 12 डिग्री सेंटीग्रेड से माइनस 2 डिग्री सेल्सियस तक रहता है।
मुनिसियारी, उत्तराखंड
भारत के सबसे ठंडे पर्यटन स्थलों में से एक मुनिसियारी उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित एक हिल स्टेशन है।
समुद्र तल से 2500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित मुनिसियारी आमतौर पर साल भर शुष्क और ठंडा रहता है, जबकि सर्दियों में तापमान माइनस 10 डिग्री सेंटीग्रेड तक गिर जाता है। बर्फीली झीलों और बर्फ से ढके पहाड़ों के इस घर को 'छोटा कश्मीर' भी कहा जाता है।
यह स्थान ट्रैकिंग ट्रेल्स और पंचाचूली चोटियों के मंत्रमुग्ध कर देने वाले दृश्य प्रदान करता है, जो पांच चोटियों का एक समूह है। 'गेटवे टू जौहर वैली' के रूप में जाना जाने वाला मुनिसियारी नामलिक, रालम, और मिलम ग्लेशियर और कुमाऊं हिमालय के अन्य हिस्सों में ट्रेकिंग के लिए एक आधार के रूप में कार्य करता है।
स्पीति घाटी, हिमाचल प्रदेश
ठंडा रेगिस्तानी पर्वत स्पीति घाटी हिमाचल प्रदेश में स्थित है। 'स्पीति' शब्द मध्य भूमि के लिए इस्तेमाल होता है और जैसा कि नाम से पता चलता है कि यह भारत और तिब्बत के बीच स्थित है।
इसे 'छोटा तिब्बत' के रूप में भी जाना जाता है। यहां की जलवायु, वनस्पति और स्थानीय बनावट तिब्बत के समान है। सर्दियों में स्पीति का तापमान माइनस 30 डिग्री सेंटीग्रेड तक गिर जाता है, जबकि गर्मियों में तापमान बढ़ जाता है, जिससे मौसम सुहावना हो जाता है।
यह समुद्र तल से 2745 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और लद्दाख से घिरा है। यह पूर्व में तिब्बत द्वारा, दक्षिण-पूर्व में किन्नौर और उत्तर में यह क्षेत्र कुल्लू घाटी के साथ सीमा साझा करता है।
सोनमर्ग, जम्मू-कश्मीर
सोनमर्ग भारत के जम्मू-कश्मीर प्रदेश के गांदरबल जिले में स्थित एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। सोनमर्ग का अर्थ 'सोने की घास का मैदान' है और यह जोली ला पास के आधार पर स्थित है, जो लद्दाख की ओर जाता है।
समुद्र तल से 2800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित होने के कारण यहां का तापमान माइनस 6 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है। इस ठंडी जगह पर सर्दियों में भारी बर्फबारी देखी जाती है, इसलिए इस जगह की यात्रा के लिए गर्मी का समय सबसे अच्छा है।
श्रीनगर, जम्मू और कश्मीर
जम्मू-कश्मीर में स्थित प्रसिद्ध पर्यटन स्थल श्रीनगर शहर झेलम नदी के तट पर समुद्र तल से 1585 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। सर्दियों में इसका तापमान माइनस 3 डिग्री सेल्सियस के आसपास पहुंच जाता है, जबकि सर्दियों में कभी-कभी ठंडी हवाओं के साथ बर्फबारी आम है।
यह क्षेत्र अपनी झीलों, बगीचों, हाउसबोट्स, भोजन और संस्कृति के लिए लोकप्रिय है। इसके साथ ही यह विशेष रूप से सुंदर डल झील के लिए जाना जाता है। 'पृथ्वी पर स्वर्ग' के रूप में कहा जाने वाला यह स्थान शालीमार बाग, चश्म-ए-शाही और निशात बाग जैसे मुगल-युग के बगीचों का घर है।
रोहतांग दर्रा, मनाली
मनाली से 51 किमी की दूरी पर पीर पंजाल हिमालयन रेंज के पूर्वी छोर पर स्थित ऊंचा पर्वत रोहतांग दर्रा है, जिसे रोहतांग ला के नाम से भी जाना जाता है। यह कुल्लू को हिमाचल प्रदेश की लाहौल और स्पीति घाटियों से जोड़ता है। 'रोहतांग' का अर्थ है 'लाशों का मैदान' क्योंकि इस दर्रे को पार करने के दौरान कई लोगों की जान चली गई थी, ऐसे में इस स्थान का इस नाम से जाना जाता है। यह स्थान समुद्र तल से 3980 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और हिमालय की चोटियों, ग्लेशियरों, लाहौल घाटी और चंद्रा नदी के सुंदर दृश्य को प्रदान करता है।
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