भारत के इतिहास में हमें अलग-अलग नदियों का जिक्र मिलता है। कुछ प्राचीन और बड़ी नदियों की बात करें, तो गंगा और यमुना, कृष्णा, गोदावरी व कावेरी जैसी प्रमुख नदियां हैं। आपने भारत की अलग-अलग नदियों के बारे में पढ़ा और सुना होगा, जिनका न सिर्फ पौराणिक महत्त्व है, बल्कि इनका सामाजिक और आर्थिक महत्त्व भी है। आपने भारत की कुछ ऐसी नदियों के बारे में भी पढ़ा और सुना होगा, जिनका अस्तित्व धरातल पर नहीं दिखता है। कौन-सी है ये नदियां, जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
दृषद्वती नदी
इस नदी का जिक्र हमें महाभारत जैसे महाकाव्य में देखने को मिलता है। कहा जाता है कि यह नदी सरस्वती नदी के साथ बहती थी। ऐसे में इस नदी का पौराणिक महत्त्व था। हालांकि, वर्तमान में यह नदी पूरी तरह से सूख चुकी है और इसके भौगोलिक अवशेष भी नहीं मिलते हैं। हालांकि, अब यह नदी सिर्फ किताबों और पुराने लेखों में दर्ज है।
सरस्वती नदी
आपने लुप्त नदी के रूप में सरस्वती नदी का नाम जरूर पढ़ा और सुना होगा। इस नदी का जिक्र ऋग्वेद से लेकर महाभारत जैसे महाकाव्य में भी देखने व पढ़ने को मिलता है। पौराणिक रूप से इस नदी का अधिक महत्त्व है। क्योंकि, भारत में त्रिवेणी संगम के दौरान गंगा और यमुना के साथ-साथ सरस्वती नदी का नाम भी लिया जाता है। इसके बारे में कहा जाता है कि यह नदी प्रयागराज में अंदर ही अंदर यमुना और गंगा से मिलती है। हालांकि, वर्तमान में यह नदी लुप्त है। ऐसा कहा जाता है कि यह नदी जमीन के नीचे बहती है।
फल्गु नदी
बिहार का गया पिंडदान के लिए जाना जाता है, जहां फल्गु नदी बहुत ही पूज्यनीय है। यहां के बारे में मान्यता है कि यहां पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष प्राप्त होता है। हालांकि, फल्गु नदी में पानी की मौजूदगी नहीं रहती है। नदी को लेकर ऐसा माना जाता है कि यह नदी धरती के अंदर प्रवाहित होती है। इस नदी का जिक्र हमें रामायण में भी देखने को मिलता है।
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