सरदार सरोवर बांध: 450 टन का है एक दरवाजा, 56 साल में बनकर हुआ था तैयार, यहां पढ़ें रोचक तथ्य

सरदार सरोवर बांध भारत के गुजरात में नवगाम के पास नर्मदा नदी पर बनाया गया है। यह अमेरिका के ग्रैंड कूली के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कंक्रीट गुरुत्व बांध है। आइये सरदार सरोवर बांध के बारे में कुछ रोचक और अज्ञात तथ्य पढ़ें।   

Jun 25, 2024, 17:15 IST
सरदार सरोवर बांध
सरदार सरोवर बांध

सरदार सरोवर बांध की आधारशिला 5 अप्रैल, 1961 को तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने रखी थी। इसके निर्माण में 56 वर्ष लगे। चार भारतीय राज्यों अर्थात् गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान को बांध से पानी और बिजली की आपूर्ति होती है।

सरदार सरोवर बांध के बारे में रोचक और अज्ञात तथ्य

-17 सितम्बर, 2017 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सरदार सरोवर बांध का उद्घाटन किया। नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बांध के निर्माण के पीछे भारत के प्रथम उप प्रधानमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल का ही दिमाग था।

- हालांकि, योजना के चरण में ही परियोजना राज्यों के बीच जल वितरण को लेकर विवाद में फंस गई। इस बाधा को दूर करने के लिए 1969 में नर्मदा जल विवाद न्यायाधिकरण का गठन किया गया। लगभग एक दशक तक योजनाओं का अध्ययन करने के बाद न्यायालय ने जल वितरण की ऐसी प्रणाली तय की, जिसके तहत मध्य प्रदेश को 65%, गुजरात को लगभग 32% तथा शेष महाराष्ट्र और राजस्थान को मिलेगा।

-सरदार सरोवर बांध 1.2 किलोमीटर लंबा है और 2017 में बांध की ऊंचाई बढ़ाकर 138.68 मीटर कर दी गई। यह भारत का तीसरा सबसे ऊंचा कंक्रीट बांध है।

-बांध के पानी से गुजरात में लगभग 800,000 हेक्टेयर भूमि और राजस्थान में लगभग 2,46,000 हेक्टेयर भूमि सिंचित होती है। ऐसा कहा जाता है कि यह चार राज्यों के 131 कस्बों और शहरों तथा लगभग 9,633 गांवों को पेयजल उपलब्ध कराता है।

-सरदार सरोवर बांध की गहराई लगभग 163 मीटर है और इसमें दो विद्युत उत्पादन इकाइयां स्थापित हैं। दोनों की संयुक्त विद्युत उत्पादन क्षमता लगभग 1,450 मेगावाट है।

-परियोजना की शर्तों के अनुसार, उत्पादित बिजली का लगभग 57 प्रतिशत महाराष्ट्र को मिलेगा; मध्य प्रदेश को लगभग 27 प्रतिशत और गुजरात को लगभग 16 प्रतिशत मिलेगा।

-बांध की निर्माण लागत दोगुनी यानि 100 करोड़ रुपये से अधिक है। 16,000 करोड़ रु. बांध के प्रत्येक गेट का वजन लगभग 450 टन है और इसे बंद करने में लगभग एक घंटा लगता है।

-विश्व बैंक के अनुसार, इस परियोजना की शुरुआत पुनर्वास एवं पुनर्वास तथा पर्यावरणीय प्रभाव के बहुत कम आकलन के साथ की गई थी।

-परियोजना का लाभ यह है कि नर्मदा नदी के अप्रयुक्त जल का उपयोग गुजरात के अनेक सूखे शहरों, गांवों और जिलों की सेवा के लिए किया जा सकेगा। यह परियोजना वंचित क्षेत्रों और किसानों को भी बिजली उपलब्ध कराती है। यह सिंचाई और पीने के लिए भी पानी उपलब्ध कराता है। यह लगभग 30,000 हेक्टेयर क्षेत्र को बाढ़ से सुरक्षा प्रदान करता है। वन्यजीव अभयारण्यों को भी लाभ मिलेगा।

तो ये थे सरदार सरोवर बांध के बारे में रोचक और अज्ञात तथ्य।

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Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

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