सिविल सेवा प्रतियोगिता शुरू करने वाला दुनिया का पहला देश कौन-सा है, जानें

भारत में यूं तो कई नौकरियां मौजूद हैं, लेकिन जब भी बात प्रतिष्ठित नौकरी की होती है, तो सबसे शीर्ष पर सिविल सेवा का नाम आता है। क्योंकि, यह वह सेवा है, जिसमें रहते हुए आपको भारत के शीर्ष पदों पर काम करने का मौका मिलता है और आपका एक निर्णय व्यापक स्तर पर प्रभाव डालता है। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि दुनिया में सबसे पहले किस देश द्वारा सिविल सेवा का आरंभ किया गया था। यदि नहीं जानते हैं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।

May 28, 2024, 13:44 IST
सिविल सेवा प्रतियोगिता शुरू करने वाले दुनिया का पहला देश
सिविल सेवा प्रतियोगिता शुरू करने वाले दुनिया का पहला देश

भारत में यूं तो कई नौकरियां मौजूद हैं, लेकिन जब भी बात प्रतिष्ठित नौकरी की होती है, तो सबसे शीर्ष पर सिविल सेवा का नाम आता है। क्योंकि, यह वह सेवा है, जिसमें रहते हुए आपको भारत के शीर्ष पदों पर काम करने का मौका मिलता है और आपका एक निर्णय व्यापक स्तर पर प्रभाव डालता है।

प्रतिष्ठित सेवा हने के साथ-साथ इसमें मिलने वाली सुविधाएं और अन्य लाभ लाखों युवाओं को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। यही वजह है कि हर साल कुछ हजारों पदों के लिए लाखों की संख्या में आवेदन आते हैं और इन लाखों में से केवल कुछ ही अभ्यर्थी भारत सरकार की सेवाओंं में आते हैं।

भारत की तरह दुनिया के अलग-अलग देशों में भी सिविल सेवा का चलन है। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि दुनिया में सबसे पहले सिविल सेवा शुरू करने वाला देश कौन-सा है। यदि नहीं जानते हैं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे। 

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सबसे पहले सिविल सेवा शुरू करने वाला देश

सबसे पहले हम यह जान लेते हैं कि किस देश में सिविल सेवा शुरू हुई थी। इसके बाद हम इससे जुड़े अन्य तथ्यों पर भी गौर करेंगे। आपको बता दें कि चीन दुनिया का पहला देश है, जहां सबसे पहले सिविल सेवा शुरू की गई थी।

कब शुरू हुई थी सिविल सेवा

चीन में सिविल सेवा प्रतियोगिता की शुरुआत की बात करें, तो यह हान राजवंश के दौरान 207 ईसा पूर्व में प्रथम हान सम्राट गाओजू द्वारा की गई थी। सम्राट इस बात से परिचित थे कि वह अकेले चीन का प्रशासन नहीं चला सकते थे, ऐसे में उन्होंने एक प्रतियोगिता का आयोजन किया, जिससे अगले 2000 सालों तक चीन के प्रशासन की नींव पड़ी।

किस तरह की होती थी परीक्षा

उस समय भी यह परीक्षा बहुत कठिन हुआ करती थी। इस परीक्षा में जो अभ्यर्थी जितने बेहतर अंक लाता था, उसे उतना ही बेहतर पद दिया जाता था। ऐसे में कुछ अभ्यर्थी इसके लिए अलग से विश्वविद्यालयों में पढ़ाई किया करते थे। इसके कुछ विषयों में कन्फ्यूशियस के दर्शन को भी कवर किया जाता था, जबकि अन्य विषयों में सेना, गणित, भूगोल और कविताएं भी शामिल होती थीं।

नकल करने पर मृत्यदंड तक की होती थी सजा

आपको बता दें उस समय परीक्षा में नकल के खिलाफ कड़े प्रावधान किए गए थे। कुछ मामलों में मृत्युदंड तक के प्रावधान थे, जबकि कुछ मामलों में कठोर दंड शामिल था।

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Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

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