थैलेसीमिया रोग पर आधारित सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी

Jul 11, 2019, 17:19 IST

थैलेसीमिया रोग काफी गंभीर बिमारी है जिससे रोगियों के रक्त में हिमोग्लोबिन की कमी हो जाती है और कुछ-कुछ समय पर रक्त चढ़ाना पड़ता है. रोगी को एनेमिया हो जाता है और थकान भी होने लगती है. आइये इस लेख के माध्यम से थैलेसीमिया रोग, इसके लक्षण, कारण, प्रकार इत्यादि के बारे में प्रश्नों और उत्तरों के रूप में अध्ययन करते हैं.

GK Questions and Answers on Thalassemia disease
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थैलेसीमिया एक अनुवांशिक रक्त विकार है जिसके कारण इस बीमारी से पीड़ित लोग हीमोग्लोबिन बनाने में सक्षम नहीं हो  पाते हैं और गंभीर एनीमिया, थकान आदि के शिकार हो जाते हैं. थैलेसीमिया का मुख्य कारण रक्तदोष है.

जैसा की हम जानते हैं कि हेमोग्लोबिन शरीर के सभी हिस्सों में ऑक्सीजन पहुचाता है जो लाल रक्त कोशिकाओं में मौजूद होता है. जब लाल रक्त कोशिकाओं में पर्याप्त हीमोग्लोबिन नहीं होगा, तो ऑक्सीजन शरीर के सभी हिस्सों तक नहीं पहुंच पाएगी. इसलिए, व्यक्ति को ऊर्जा नहीं मिलेगी और उसके अंग भी ठीक से काम नहीं कर पाएंगे.

मुख्य रूप से, थैलेसीमिया रोग दो प्रकार का होता है: अल्फा और बीटा थैलेसीमिया. क्या आप जानते हैं कि बीटा थैलेसीमिया एक गंभीर और बड़ी बीमारी है. इसे Cooley's Anaemia के रूप में भी जाना जाता है.

इस बीमारी के लक्षण जीवन के पहले दो वर्षों में प्रकट होते हैं जिसमें त्वचा पीली पड़ने लगती है, भूख कम हो जाती है, विकास सही से नहीं हो पाटा है आदि. मरीजों को प्रदान किए जाने वाले उपचार में नियमित रक्त संक्रमण और अन्य उपचार शामिल हैं. आइये इस लेख के माध्यम से थैलेसीमिया रोग, इसके लक्षण, कारण, प्रकार इत्यादि के बारे में प्रश्नों और उत्तरों के रूप में अध्ययन करते हैं.

1. थैलेसीमिया रोग के बारे में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?

A. थैलेसीमिया कोशिकाओं के DNA में उत्परिवर्तन के कारण होता है जो हीमोग्लोबिन बनाते हैं.
B. थैलेसीमिया का प्रकार जीन में उत्परिवर्तन की संख्या पर निर्भर नहीं करता है.
C. थैलेसीमिया में उच्च मात्रा में हीमोग्लोबिन और लाल रक्त कोशिकाएं एनीमिया का कारण बन सकती हैं.
D. माइल्ड थैलेसीमिया में उपचार की आवश्यकता पड़ती है.
Ans.  A

व्याख्या: थैलेसीमिया एक अनुवांशिक रोग है. इस रोग में लाल रक्त कण (Red Blood Cells) (RBC) नहीं बन पाते हैं और जो बन पाते है वो कुछ समय तक ही रहते है. इस रोग से पीड़ित व्यक्ति को बार-बार खून चढ़ाना पड़ता है. हीमोग्लोबिन और लाल रक्त कणों की कमी होने के कारण रोगी को एनीमिया हो जाता है और बहुत जल्द थकान भी होने लगती है.

2. थैलेसीमिया रोग का लक्षण कौन सा नहीं है?

A. वजन न बढ़ना और कमजोरी
B. पेट में मरोड़ उठना
C. पैरों में ऐंठन होना
D. छाती में दर्द होना और दिल की धड़कन का सही से न चलना

Ans. B

व्याख्या: थैलेसीमिया रोग के लक्षण हैं: छाती में दर्द होना और दिल की धड़कन का सही से न चलना, पेट में सूजन आना, पैरों में ऐंठन होना, वजन न बढ़ना और कमजोरी आना, सिरदर्द होना, हाथ और पैर का ठंडा होना आदि.

3. Cooley anaemia किस प्रकार की थैलेसीमिया बीमारी है?

A. अल्फा - थैलेसीमिया
B. बीटा - थैलेसीमिया
C. Alloimmunization
D. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Ans. B

व्याख्या: बीटा - थैलेसीमिया एक बड़ी बीमारी और गंभीर बीमारी का कारण बनती है और इसे Cooley's Anaemia  भी कहा जाता है.

4. कौन सा रक्त परीक्षण (Blood test) पता लगाता है कि क्या कोई व्यक्ति थैलेसेमिया का वाहक है?

A. Complete blood count (CBC)
B. Reticulocyte count
C. Prenatal testing
D. उपर्युक्त सभी

Ans. D

व्याख्या: जिन रक्त परीक्षण से यह पता लगाया जाता हैं कि क्या व्यक्ति थैलेसेमिया रोग का वाहक है या नहीं वह इस प्रकार हैं: Complete blood count (CBC), Reticulocyte count, Prenatal testing, genetic testing, iron आदि.

5. अल्फा - थैलेसीमिया के बारे में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?

(a) अल्फा - थैलेसीमिया में, हीमोग्लोबिन पर्याप्त अल्फा प्रोटीन का उत्पादन करता है.
(b) अल्फा - ग्लोबिन प्रोटीन चेन बनाने के लिए, छह जीनस (genes)की आवश्यकता होती है.
(c) थैलेसीमिया की गंभीरता इस बात पर निर्भर करती है कि कितने जीन (gene) उत्परिवर्तित होते हैं.
(d) अल्फा - थैलेसीमिया दक्षिण चीन, दक्षिण-पूर्व एशिया, भारत आदि में सामान्य बिमारी नहीं है.
Ans. C

व्याख्या: अल्फा - थैलेसीमिया में, हीमोग्लोबिन पर्याप्त अल्फा प्रोटीन का उत्पादन नहीं करता है. अल्फा-ग्लोबिन प्रोटीन चेन बनाने के लिए, चार जीन की आवश्यकता होती है, प्रत्येक गुणसूत्र पर दो. हम प्रत्येक माता-पिता से दो जीन (gene) प्राप्त करते हैं यानी की16. यदि इनमें से एक या अधिक जीन लुप्त हो जाए, तो अल्फा - थैलेसीमिया रोग हो जाएगा. अल्फा - थैलेसीमिया की गंभीरता उत्परिवर्तित जीन पर निर्भर करती है. दक्षिण चीन, दक्षिण-पूर्व एशिया, भारत, मध्य पूर्व और अफ्रीका में यह एक सामान्य बिमारी है.

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6. बीटा - थैलेसीमिया के बारे में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?

(a) इस बिमारी की गंभीरता जीन के उत्परिवर्तन पर निर्भर करती है.
(b) बीटा - ग्लोबिन चेन बनाने के लिए चार ग्लोबिन जीन की आवश्यकता होती है, प्रत्येक माता-पिता से एक.
(c) बीटा - थैलेसीमिया को थैलेसीमिया - माइनर  भी कहते  है.
(d) उत्तरी अफ्रीका, पश्चिम एशिया और मालदीव द्वीपसमूह में थैलेसीमिया एक सामान्य बिमारी है.
Ans. A

व्याख्या: बीटा - ग्लोबिन चेन बनाने के लिए दो ग्लोबिन जीन की आवश्यकता होती है, प्रत्येक माता-पिता से एक. यदि एक या दोनों जीन दोषयुक्त हैं, तो बीटा - थैलेसीमिया होगा. इसके अलावा, इस बिमारी की गंभीरता इस बात पर निर्भर करती है कि कितने जीन उत्परिवर्तित होते हैं. यह भूमध्यसागरीय वंश के लोगों के बीच अधिक सामान्य बिमारी है. उत्तरी अफ्रीका, पश्चिम एशिया और मालदीव द्वीप समूह में अधिक प्रचलित है.

7. थैलेसीमिया रोग के रिस्क को बढ़ाने वाले कारक कौन से हैं?

A. थैलेसीमिया बिमारी होने का पारिवारिक इतिहास
B. कुछ वंशावली
C. केवल A
D. A और B दोनों

Ans. D

व्याख्या: थैलेसीमिया के रिस्क को बढ़ाने वाले कारक हैं: थैलेसीमिया का पारिवारिक इतिहास यानी थैलेसीमिया माता-पिता से उत्परिवर्तित हीमोग्लोबिन जीन के माध्यम से बच्चों आ जाता है. अगर किसी के परिवार के इतिहास में थैलेसीमिया है तो इस बिमारी का खतरा बढ़ जाता है और कुछ वंश भी जिम्मेदार होते हैं यानी थैलेसीमिया अक्सर अफ्रीकी-अमेरिकियों और भूमध्यसागरीय और दक्षिणपूर्व एशियाई वंश के लोगों में अधिकतर पाया जाता है.

8. गंभीर थैलेसीमिया रोग में होने वाली जटिलताओं के बारे में बताएं?

A. हड्डी विकृतियां (Bone deformities)
B. बढ़ी हुई स्पलीन (Enlarged spleen)
C. दिल की समस्याएं (Heart problems)
D. उपरोक्त सभी

Ans. D

व्याख्या: गंभीर थैलेसीमिया में निम्नलिखित जटिलताओं का कारण हो सकता है: हड्डी विकृतियां, बढ़ी हुई स्पलीन, धीमी वृद्धि दर और दिल की समस्याएं आदि.

9. थैलेसीमिया की संभावित जटिलताएं क्या हैं?

A. लौह की मात्रा का ज्यादा होना (Iron overload)
B. संक्रमण (Infection)
C. केवल B
D. A और B दोनों

Ans. D

व्याख्या: थैलेसीमिया वाले लोग अपने शरीर में या तो बीमारी से या अक्सर रक्त संक्रमण से बहुत अधिक लोहा प्राप्त कर लेते हैं जो हृदय, यकृत और अंतःस्रावी तंत्र को नुकसान पहुंचा सकता है. इसके अलावा, थैलेसीमिया रोग से ग्रस्त लोगों में संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है.

10. थैलेसीमिया रोगियों को क्या - क्या उपचार दिए जा सकते हैं?

A. आयरन चीलेशन (Iron chelation)
B. अस्थि मज्जा, या स्टेम सेल, प्रत्यारोपण (Bone marrow, or stem cell, transplant)
C. रक्त संक्रमण (Blood transfusions)
D. उपरोक्त सभी

Ans. D
व्याख्या:
उपचार थैलेसीमिया के प्रकार और गंभीरता पर निर्भर करते हैं जो इस प्रकार हैं: रक्त संक्रमण, आयरन चेलेशन यानी अतिरिक्त लोहे को शरीर से हटाना, रक्त प्रवाह, अस्थि मज्जा, या स्टेम सेल प्रत्यारोपण, सर्जरी और जीन थेरेपी.

इसलिए, थैलेसीमिया एक आनुवंशिक रक्त विकार है जिसमें लाल रक्त कोशिकाएं हीमोग्लोबिन उत्पन्न करने में सक्षम नहीं होती हैं, जिसके कारण एनीमिया होता है और लक्षण पीले रंग की त्वचा, दिल की धड़कन का बढ़ना, सिरदर्द, पैरों में ऐंठन होना, वजन न बढ़ना आदि पाए जाते हैं.

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Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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