प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हाल ही में द्वारका एक्सप्रेस-वे और अर्बन एस्टेंशन रोड-2 के दिल्ली भाग का उद्घाटन किया गया है। ये दोनों प्रोजेक्ट्स करीब 11 हजार करोड़ की लागत से तैयार किए गए हैं और दोनों हाई स्पीड कॉरिडॉर्स हैं, जिससे दिल्ली-एनसीआर की सड़कों पर वाहनों का दबाव कम होने के साथ वाहनों से होने वाले प्रदूषण में कमी आएगी। इस लेख के माध्यम से हम आसान शब्दों में दोनों प्रोजेक्ट्स के बारे में सिर्फ एक नजर में समझ सकते हैं। जानने के लिए पूरा लेख पढ़ें।
एक नजर में समझें द्वारका एक्सप्रेस-वे
-द्वारका एक्सप्रेस-वे को कुल चार पैकेज में बांटा गया है। इसमें दो पैकेज गुरुग्राम में हैं, तो दो पैकेज दिल्ली में हैं।
-गुरुग्राम में कॉरिडॉर का निर्माण एलएंडटी कंपनी के पास है।
-दिल्ली में दोनों पैकेज की जिम्मेदारी जय कुमार इंफ्रा प्रोजेक्ट लिमिटेड के पास है।
-गुरुग्राम का पहला पैकेज खेड़कीदौला टोल प्लाजा के पास से बसई-धनकोट के पास करीब 9 किलोमीटर का स्ट्रैच है।
-इस प्रोजेक्ट का 10.1 किलोमीटर का हिस्सा दिल्ली में, तो 18.9 किलोमीटर का हिस्सा गुरुग्राम में है।
-वहीं, द्वारका एक्सप्रेस-वे का 23 किलोमीटर भाग एलिवेटेड और 4 किलोमीटर टनल पास है।
-पालम एयरपोर्ट के लिए करीब 3.5 किलोमीटर की सुरंग है।
-एक्सप्रेस-वे के निर्माण में दो लाख एमटी स्टील और करीब 20 लाख सीयूएम कंक्रीट का प्रयोग हुआ है।
एक नजर में समझें UER-II
-इसे दिल्ली मास्टर प्लान 2021 के तहत साल 2000 में दिल्ली के तीसरे रिंग रोड के रूप में डिजाइन किया गया था।
-इस मार्ग पर कुल 27 फ्लाईओवर, 26 पुल और 17 सब-वे हैं।
-इसे बनाने में गाजीपुर लैंडफिल साइट से करीब 20 लाख टन कचरा लिया गया है, जिससे सड़क का निर्माण हुआ है।
-इस मार्ग पर चौराहों को सिग्नल-फ्री रखा गया है।
-सरकार की योजना है कि इस मार्ग को भविष्य में ई-हाईवे बनाया जाए, जिसके तहत यहां ई-वाहनों को चलने की अनुमति दी जाए।
-दिल्ली-एनसीआर में इसकी कुल लंबाई 75.7 किलोमीटर है।
-यह एक 6 लेन वाला हाईवे है।
-यह हाईवे दिल्ली के बवाना, नरेला, मुंडका और द्वारका को हरियाणा के सोनीपत, रोहतक, जींद और बहादुरगढ़ से जोड़ता है। साथ ही, इसे दिल्ली-चंडीगढ़ हाईवे से भी जोड़ा गया है।
-यह दिल्ली के इनर और आउटर रिंग को भी जोड़ता है।
-आने वाले समय में यह लॉजिस्टिक के क्षेत्र में भी महत्त्वपूर्ण हाईवे साबित होगा, जिससे कम समय में वाहनों की आवाजाही संभव होगी और लॉजिस्टिक क्षेत्र में तेजी आएगी।
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