उत्तर प्रदेश भारत का सबसे अधिक जिले वाला राज्य है। भारत के इस राज्य में आपको अलग-अलग शहर देखने को मिल जाएंगे। यहां के प्रत्येक शहर का अपना इतिहास और विरासत है। इस कड़ी में हाथरस शहर भी सांस्कृतिक विरासत वाला शहर है, जो कि प्रदेश के प्रमुख शहरों में से एक है। यहां के उत्पादों के विश्वस्तर पर ख्याति प्राप्त है, जिसकी वजह से शहर को विशेष पहचान बनाने में मदद मिली है। इस लेख के माध्यम से हम शहर के इतिहास पर नजर डालने के साथ-साथ यहां के प्रमुख उत्पादों के बारे में जानेंगे।
क्या रहा है हाथरस का इतिहास
हाथरस शहर के प्राचीन इतिहास के बारे में कोई ठोस प्रमाण नहीं मिले हैं। हालांकि, इस शहर की स्थापना के बाद इस पर जाट शासकों द्वारा शासन किया गया था। साल 1716 में ठेनुआं शासक राजा जयसिंह के पुत्र बदन सिंह ने हाथरस का शासन अपने हाथों में लिया।
बदन सिंह के बाद उनके पुत्र भूरी सिंह यहां के शासक बने। भूरी सिंह के बाद नवल सिंह और राजा दयाराम सिंह यहां के शासक बने। यहां आपको हाथरस का किला भी देखने को मिल जाएगा। इस किले का निर्माण दयाराम सिंह द्वारा करवाया गया था।
इसे श्री दाऊजी महाराज के मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। हालांकि, यह यूपी की पर्यटन सूची में शामिल नहीं है। वर्तमान में इस नाम से प्रदेश में एक रेलवे स्टेशन भी मौजूद है, जिसका नाम हाथरस का किला है। यह जिला मुख्य रूप से अलीगढ़ मंडल का हिस्सा है।
हींग के लिए जाना जाता है यह शहर
आपको बता दें कि भारत में जब भी हींग की बात होती है, तो इसमें सबसे ऊपर हाथरस का नाम आता है। इस शहर को हम हींग के शहर के रूप में भी जानते हैं। यहां बनने वाली हींग की मांग सिर्फ देश में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में रहती है।
धातुशिल्प कला के लिए भी है प्रसिद्ध
हाथरस शहर सिर्फ हींग के लिए नहीं, बल्कि धातुशिल्प कला के लिए भी प्रसिद्ध है। इस शहर में प्रमुख रूप से ठठेरों द्वारा धातुशिल्प कला के माध्यम से कई उत्पादों को तैयार किया जाता है, जिनकी मांग विदेशों तक रहती है।
कॉटन और तेल मिल के लिए भी प्रसिद्ध
हाथरस शहर हींग व धातुशिल्प कला के साथ-साथ कॉटन और तेल मिल के लिए भी जाना जाता है। इस जिले में आपको कई तेल और कॉटन मिल देखने को मिल जाएंगी, जिसकी शहर के औद्योगिक विकास में अग्रणी भूमिका है।
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