क्या आपने कभी सोचा है कि आयकर विभाग कैसे उच्च मूल्य के लेनदेन में संलग्न व्यक्तियों/संस्थाओं के बारे में पता करता है? यदि आपको इसकी जानकारी नहीं है तो आइए इस लेख में हम यह बताने की कोशिश करते हैं कि कैसे आपसे बिना पूछताछ के ही आयकर विभाग को आपके उच्च मूल्य के लेनदेन की जानकारी प्राप्त हो जाती है| आयकर विभाग द्वारा उच्च मूल्य के लेन-देन पर नजर रखने के लिए “वार्षिक सूचना रिटर्न” (Annual Information Return या AIR) नामक योजना की घोषणा की गई है|
“वार्षिक सूचना रिटर्न” (Annual Information Return या AIR) क्या है?
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आयकर अधिनियम, 1961 की धारा “285 बीए” में किए गए संशोधन के अनुसार, कुछ "विशिष्ट व्यक्तियों या संस्थाओं" के लिए आयकर अधिनियम की धारा “114 ई” के तहत वित्तीय वर्ष के दौरान (1 अप्रैल 2004 से या उसके बाद) उनके द्वारा दर्ज किये गये विनिर्दिष्ट वित्तीय लेन-देनों के संबंध में आयकर प्राधिकारी या ऐसे अन्य किसी प्राधिकारी को वार्षिक सूचना रिटर्न (AIR) प्रस्तुत करना अनिवार्य कर दिया गया है| इन व्यक्तियों या संस्थाओं को “वार्षिक सूचना रिटर्न जमाकर्ता” कहा जाता है और ऐसे करदाताओं के सभी उच्च मूल्य के लेन-देन का विवरण “वार्षिक सूचना रिटर्न” द्वारा प्राप्त कर लिया जाता है|
आइए जानते हैं कि जब हम पहले से ही सभी प्रमुख वित्तीय लेनदेन में पैन (PAN) का विवरण दे रहे हैं तो “वार्षिक सूचना रिटर्न” (AIR) जमा करना क्यों आवश्यक है?
इन दिनों लगभग अधिकांश वित्तीय लेन-देन में पैन का विवरण देना अनिवार्य है। कर चोरी और काले धन पर नियंत्रण रखने के उद्देश्य से वित्तीय लेन-देन में पैन की एक प्रति संलग्न करना अनिवार्य कर दिया गया था| लेकिन सभी व्यक्तियों द्वारा लेन-देन में पैन का विवरण देने के बावजूद यह संभव नहीं है कि आयकर विभाग हर उच्च मूल्य के लेन-देन की जाँच कर सके| यही वजह है कि आयकर विभाग द्वारा उच्च मूल्य के लेन-देन पर नजर रखने के लिए “वार्षिक सूचना रिटर्न” (Annual Information Return या AIR) योजना लाया गया था|
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आइए जानते हैं कि “वार्षिक सूचना रिटर्न जमाकर्ता” कौन हैं?
• प्रमुख “वार्षिक सूचना रिटर्न जमाकर्ता” संस्थाओं के नाम निम्नलिखित हैं:
• ऐसे बैंकिंग संसथान जिस पर बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 लागू होता है|
• क्रेडिट कार्ड जारी करने वाली कोई अन्य कंपनी या संस्था|
• म्यूच्युअल फंड का ट्रस्टी या म्यूच्युअल फंड के कार्यों का प्रबंधक|
• बांड या डिबेंचर जारी करने वाली कंपनी या संस्था|
• सार्वजनिक या राइट्स निर्गम के जरिए शेयर जारी करने वाली कंपनी|
• रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1908 की धारा 6 के अंतर्गत नियुक्त रजिस्ट्रार या उप-रजिस्ट्रार
• भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 3 के अंतर्गत गठित भारतीय रिजर्व बैंक का अधिकारी व्यक्ति जो इस संबंध में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा विधिवत् प्राधिकृत है|
“वार्षिक सूचना रिटर्न” के तहत उच्च मूल्य के लेन-देन की सूचना आयकर विभाग को देने के लिए जारी किए गए मानक क्या हैं?
1. बचत बैंक खाते में एक वित्तीय वर्ष में कुल जमा नकद 10 लाख रूपये या उससे अधिक:
इसका मतलब यह है कि एक वर्ष के दौरान आपके बचत बैंक खाते में एक ही बार में या कई बार में 10 लाख रूपये नकद रूप में जमा किया है और इस स्थिति में आपके खाते की सूचना आयकर विभाग को दी जाएगी| हालांकि इस रिपोर्टिंग में आपके चालू खाते या सावधि जमा खाते में किए गए जमा की सूचना शामिल नहीं है।
2. 10 लाख रूपये से अधिक का सावधि जमा:
यदि आप एक वित्तीय वर्ष के दौरान सावधि जमा अर्थात एफडी के रूप में 10 लाख रुपये या उससे अधिक की राशि जमा करते हैं तो “वार्षिक सूचना रिटर्न” के तहत इसकी सूचना आयकर विभाग को दी जाएगी|
3. एक साल में क्रेडिट कार्ड का बिल 10 लाख रूपये या एक साल में नकदी के रूप में 1 लाख रुपये का भुगतान:
यदि एक वर्ष के दौरान आपका कुल क्रेडिट कार्ड बिल 10 लाख रुपये से अधिक है तो इसकी सूचना आयकर विभाग को दी जाएगी| इसके अलावा 1 अप्रैल, 2016 से अगर आपने 1 लाख रूपये तक के क्रेडिट कार्ड बिल का भुगतान नकद रूप में किया है तो “वार्षिक सूचना रिटर्न” के तहत इसकी सूचना आयकर विभाग को दी जाएगी|
उदाहरण के लिए, वित्तीय वर्ष 2016-17 में आपके क्रेडिट कार्ड का बिल 3 लाख रुपये है। अगर आपने 2.5 लाख रूपये का भुगतान नकद रूप में किया है और शेष 50,000 रूपये का भुगतान नेट बैंकिंग के माध्यम से किया है तो इसकी सूचना आयकर विभाग को दी जाएगी| क्योंकि आपका कुल क्रेडिट कार्ड बिल तो 10 लाख रूपये से कम है लेकिन नकद भुगतान 1 लाख रूपए की सीमा से अधिक है| इसके विपरीत यदि आपके क्रेडिट कार्ड का बिल 9 लाख रूपये है और यदि आपने चेक या नेटबैंकिंग के माध्यम से पूरी राशि का भुगतान किया है तो इस स्थिति में आपके भुगतान की जानकारी “वार्षिक सूचना रिटर्न” के तहत आयकर विभाग को नहीं दी जाएगी|
4. एक वित्तीय वर्ष में म्यूचुअल फंड या बांड या डिबेंचरों में 10 लाख रूपये या उससे अधिक का निवेश:
अगर आप एक विशेष वित्तीय वर्ष में म्युचुअल फंड, बांड या डिबेंचर में 10 लाख रुपये या इससे अधिक का निवेश करते हैं तो “वार्षिक सूचना रिटर्न” के तहत इसकी सूचना आयकर विभाग को दी जाएगी|
5. शेयरों की खरीद:
यदि आपने किसी कंपनी से सार्वजनिक या राइट्स निर्गम माध्यम से 10 लाख रूपये या उससे अधिक राशि के शेयरों की खरीद की है तो “वार्षिक सूचना रिटर्न” के तहत इसकी सूचना आयकर विभाग को दी जाएगी|
6. अचल संपत्ति की खरीद या बिक्री:
यदि आप 30 लाख रूपये या उससे अधिक मूल्य की संपत्ति की खरीदते या बेचते हैं तो “वार्षिक सूचना रिटर्न” के तहत इसकी सूचना आयकर विभाग को दी जाएगी| इसमें सभी प्रकार के भूमि, भवन, भूखंड, वाणिज्यिक या आवासीय संपत्ति शामिल हैं। आपकी जानकारी के लिए हम बताना चाहेंगे कि यह शर्त संयुक्त संपत्ति के मामले में भी लागू होता है, जिसका मतलब है कि यदि आपने किसी पार्टनर के साथ मिलकर 30 लाख रूपये या उससे अधिक मूल्य की संपत्ति खरीदी है तो “वार्षिक सूचना रिटर्न” के तहत इसकी सूचना आयकर विभाग को दी जाएगी, भले ही दोनों पार्टनर पति-पत्नी ही क्यों न हों|
7. विदेशी मुद्रा या यात्रा कार्ड (travellers' card) की खरीद:
यदि आपने एक वित्तीय वर्ष में अपने विदेशी मुद्रा कार्ड, डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड या यात्रा कार्ड के माध्यम से 10 लाख या इससे अधिक मूल्य के विदेशी मुद्रा का खर्च किया है तो “वार्षिक सूचना रिटर्न” के तहत इसकी सूचना आयकर विभाग को दी जाएगी|
8. 2 लाख रूपये या उससे अधिक की नकद खरीद:
यदि आपने 2 लाख रूपये या उससे अधिक मूल्य की किसी भी वस्तु या सेवा की नकद खरीद की है तो “वार्षिक सूचना रिटर्न” के तहत इसकी सूचना आयकर विभाग को दी जाएगी|
9. विमुद्रीकरण के दौरान नकद जमा:
9 नवंबर से 30 दिसंबर, 2016 के बीच यदि आपके चालू खाते के अलावा अन्य किसी खाते में 2.5 लाख रूपये या उससे अधिक धनराशि नकद रूप में जमा की जाती है तो “वार्षिक सूचना रिटर्न” के तहत इसकी सूचना आयकर विभाग को दी जाएगी| चालू खाते के लिए यह सीमा 12.5 लाख रुपये या इससे अधिक है।
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इसके अलावा आयकर विभाग ने बैंकों से आपके लेन-देन की जानकारी लेने के लिए अपनी वेबसाइट में एक नया ऑप्शन "अकाउंट्स विद् कैश ट्रांजेक्शन" जोड़ा है। इसके लिए बैंक और आयकर विभाग के सॉफ्टवेयर में ऐसा बदलाव किया गया है कि इसके जरिए आपके अकाउंट में होने वाले हर ट्रांजेक्शन की जानकारी बैंकों के सॉफ्टवेयर से सीधे आयकर विभाग को जा रही है। यह ऑप्शन आयकर विभाग की वेबसाइट पर दिखाई देता है। आधारकार्ड, पैन कार्ड, वोटर आईडी कार्ड, राशन कार्ड नंबर से लेकर किसी भी तरह के आईडी प्रूफ से बैंक में लेन-देन करने पर यह जानकारी बैंक के सॉफ्टवेयर से सीधे आयकर विभाग को चली जाती है|
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