भारतीय नौसेना को 30 साल तक अपनी सेवाएं देने वाला और पांच दशक से अधिक समय तक महासागर में रहने वाला ‘आईएनएस विराट’ रिटायर हो गया है | इसे ग्रैंड ओल्ड लेडी के नाम से भी जाना जाता था | 2013 में जब आईएनएस विक्रमादित्य को नौसेना में शामिल किया गया तब तक आईएनएस विराट ही नौसेना का प्रमुख युद्धपोत रहा |
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क्या आप जानते हैं कि इसका निर्माण ब्रिटेन में द्वितीय विश्व युद्ध के समय 21 जून 1944 को शुरू हुआ था और इसको 25 नवंबर 1959 में एचएमएस हर्मीज के नाम से ब्रिटेन की रॉयल नेवी में शामिल किया गया था | इसने अर्जेंटीना के खिलाफ युद्ध में अहम भूमिका निभाई और वर्ष 1984 में इसे रिटायर कर दिया गया था |
यह शक्ति का प्रतीक था इसका आदर्श-वाक्य ‘जलमेय यस्य, बलमेय तस्य’ था अर्थात जो समुद्र पर राज करता है वही सबसे बलवान है | इसके नाम को गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में आने के कारण इसको ‘माँ’ भी कहते है | यह युद्धपोत अपने विशालकाय आकार के लिए जाना गया है | इसमें जिम, लाइब्रेरी, टीवी-वीडियो स्टूडियो, एटीएम, दांतों का एक अस्पताल और मीठे पानी का एक डिस्टिलेशन प्लांट भी था |
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आइए आईएनएस विराट के बारें में कुछ रोचक तथ्य पर एक नज़र डालते हैं
-1980 के दशक में इसे ब्रिटेन से खरीदकर मई, 1987 मे नौसेना में शामिल किया गया था और इसमें 46.5 करोड़ डॉलर की लागत आई थी| इसे मुंबई बंदरगाह को सौपा गया था |
- यह 24 हज़ार टन वजनी, 743 फुट लंबा और 160 फुट चौड़ा है |
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- युद्ध के समय में इसमें 26 लड़ाकू विमानों को ले जाया जा सकता था| यह जल व थल दोनों स्थानों पर अभियानों को अंजाम दे सकता था और साथ ही पनडुब्बियों से भी युद्ध कर सकता था |
- विराट ने 2.5 लाख किमी दूरी तय कि थी जो कि प्रथ्वी के 27 चक्कर के बराबर है और 2,250 दिन समुद्र में बिताए|
- इसपर रखे सी हैरियर्स लड़ाकू विमान ब्रिटेन की एंटी शिप सी ईगल मिसाइल और फ्रांस की मात्रा मैजिक मिसाइल दागने में सक्षम थे |
- इसमें 68 किलोमीटर रॉकेट, रनवे-डिनायल बम, क्लस्टर बम और 30 मिलीमीटर कैनन जैसे हथियार व गोला-बारूद मौजूद होते थे |
- विराट करीब 80 लाइटवेट टॉरपीडो ले जाने में सक्षम था । इसके अलावा कमांडो ऑपरेशन के दौरान यह 750 सैनिकों को ले जाने में भी सक्षम रहा था।
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- चार एलसीवीपी लैंडिंग क्रॉफ्ट भी आसानी से विराट में रखे जा सकते थे जिसका इस्तेमाल जमीनी कार्रवाई के दौरान सैनिकों को ले जाने में भी किया जाता था।
- क्या आप इस बात से वाकिफ है कि इस पोत में करीब 1500 नौसैनिक रहते थे और एक बार जब यह समंदर में निकलता था तो साथ में तीन महीने का राशन लेकर निकलता था |
- यह 52 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से समुद्र की लहरों को चीरता हुआ चलता था |
- इसके डेक से कई लड़ाकू विमानों और हेलीकॉप्टरों ने उड़ान भरी है| इसमें सी हैरियर, व्हाइट टाइगर्स, सीकिंग 42बी, एसएआर हेलीकाप्टर चेतक, एएलएच ध्रुव व रुसी कामोव-31 शामिल हैं | क्या आप जानतें है कि इन विमानों ने यहा से 22 ,034 से भी अधिक घंटों की उड़ान भरी है |
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आईएनएस विराट के प्रमुख अभियान
ऑपरेशन ज्यूपिटर – भारतीय सेना के अभियान जुलाई,1989 में श्रीलंका में शांति बरकरार रखने के लिए शामिल हुआ था |
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ऑपरेशन विजय – कारगिल के युद्ध मे 1999 में इसने अपना जौहर दिखाया था |
ऑपरेशन पराक्रम – 2001 में संसद पर हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव की स्थिति को काबू करने के अभियान में साथ दिया था |
आईएनएस विराट के अंतर्राष्ट्रीय अभियान
- अमेरिकी नौसेना के साथ मालाबार, फ्रांसीसी नौसेना के साथ वरुण, ओमान की नौसेना के साथ नसीम-अल –बहर जैसे संयुक्त अभियानों में भी भाग लिया था |
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- इसने अपनी भागिर्दारी सालाना आयोजित होने वाली थियेटर लेवल ऑपरेशन एक्सरसाइज (ट्रोपेक्स) में भी दर्ज कराई थी |
- विराट का आखरी अभियान फरवरी 2016 में विशाखापत्तनम में आयोजित इंटरनेशनल फ्लीट रिव्यु (आईएफआर-2016) में भी शामिल हुआ था |
आंध्रप्रदेश की सर्कार ने विराट को संग्रहालय में तब्दील करने की इच्छा जताई है | इसमें एक करोड़ रुपय की लागत आ सकती है|
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