Indian Railways: भारतीय रेलवे एशिया का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। सबसे बड़े रेल नेटवर्क के संचालन के लिए रेलवे विभिन्न संकेतकों और अन्य उपकरणों का इस्तेमाल करता है। कई बार हमारी नजर रेलवे के विभिन्न उपकरणों और संकेतकों पर पड़ती है, लेकिन आम यात्री और जानकारी न होने की वजह से हम उन चीजों को नजरअंदाज कर देते हैं। आपने जब भी कभी रेलवे में सफर किया होगा, तो पटरियों के किनारे एक लाल रंग क पटरी को निकले देखा होगा। यह अक्सर कुछ किलोमीटर के दायरे में जमीन में लगाई जाती है। क्या है इसके पीछे की वजह, जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
भारतीय रेलवे में कुछ स्टेशनों के आसपास पटरियों के किनारे एक पटरी का गाड़ा जाता है। इस पटरी को करीब एक फुट तक ऊपर निकालकर छोड़ दिया जाता है। वहीं, कोई व्यक्ति इससे टकराकर घायल न हो, इसके लिए रेलवे की ओर से इसे लाल रंग किया जाता है, जिससे यह पटरी दूर से ही नजर आ जाती है।
इसलिए निकाली जाती है पटरी
भारतीय रेलवे की ओर से इस पटरी को इसलिए निकाला जाता है, यदि कोई ट्रेन तेज रफ्तार में है और इस बीच पटरी से उतर जाती है, तो वह तेज रफ्तार में होने की वजह से काफी दूरी तक रगड़ खाते हुए जा सकती है, जिससे जान-माल का अधिक नुकसान हो सकता है। वहीं, रेलवे पटरी के नजदीक लगी इन पटरियों की वजह से ट्रेन इस पटरी में फंसकर अधिक दूर तक घसीटने से रूक सकती है। यही वजह है कि रेलवे की ओर से पटरियों के नजदीक इन पटरियों को लगाया जाता है।
पटरी के नजदीक क्यों होती है यह जाली
आपने भारतीय रेलवे में पटरियों के किनारे एक जाली देखी होगी। दरअसल, रेलवे में यह जाली का प्रयोग Train Protection Warning System(TPWS) के लिए होता है। यह अक्सर रेलवे स्टेशन की शुरुआत में देखने को मिल जाएगा। दरअसल, ट्रेन जब भी किसी स्टेशन में प्रवेश करती है, तो वहां की अपनी एक गति निर्धारित होती है, उस गति से ही ट्रेन को स्टेशन में प्रवेश करना होता है। ऐसे में यदि ट्रेन की गति उस निर्धारित गति से अधिक होती है, तो इस सिस्टम की मदद से रेलवे लोको-पायलट के पास संदेश पहुंच जाता है, जिसके बाद वह ट्रेन की गति को नियंत्रित कर लेता है।
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