Indian Railways:वर्तमान में भारतीय रेलवे के कुल नेटवर्क में 68 हजार किलोमीटर से अधिक रूट लंबाई और 104,647 किलोमीटर रनिंग ट्रैक है। इसके साथ ही रेलवे में प्रतिदिन औसतन आठ हजार से अधिक ट्रेनों का संचालन किया जाता है, जो कि सात हजार से अधिक स्टेशनों से गुजरती हैं।
साल 2022 तक रेलवे के पास 84 हजार से अधिक यात्री कोच और तीन लाख से अधिक माल वैगन कोच शामिल थे। वहीं, दिसंबर 2023 तक रेलवे में 10 हजार से अधिक इलेक्ट्रिक और चार हजार से अधिक डीजल इंजन शामिल थे। इन सभी आंकड़ों के साथ भारतीय रेलवे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है।
आपने भी कभी-न-कभी ट्रेन में जरूर सफर किया होगा। इस दौरान ट्रेन की खिड़की से बाहर का नजारा देखना किसे पसंद नहीं है। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि इन दिनों ट्रेन की खिड़कियों में बदलाव किया जा रहा है। क्या है इसकी वजह, जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
LHB कोच में हो रहा है बदलाव
सबसे पहले हम यह जान लेते हैं कि आखिर कौन-सी ट्रेन की खिड़कियों में हमें बदलाव देखने को मिल रहा है। आपको बता दें कि ऐसी ट्रेनें, जिनमें LHB कोच(लिंक हॉफमैन बुश) यानि कि नई उन्नत तकनीक वाले लाल रंग के कोच लगाए जा रहे हैं, इन कोच की खिड़कियों में हमें बदलाव देखने को मिल रहे हैं।

क्या हो रहा है खिड़कियों में बदलाव
LHB कोच की खिड़कियों में रेलवे की ओर से बदलाव हो रहा है। अब हमें नए कोच में खिड़कियां बड़ी और चौड़ी देखने को मिल रही हैं। साथ ही इनकी संख्या घटाकर कम कर दी गई है। पहले स्लीपर कोच में सामान्यतः 20 खिड़कियां होती थीं। लेकिन, अब इनकी संख्या 10 कर दी गई है।
क्यों हो रहा है बदलाव
अब सवाल है कि आखिर क्या वजह है, जो कि रेलवे में ट्रेनों की खिड़कियों में बदलाव हो रहा है। दरअसल, खिड़कियों का आकार बढ़ाने के पीछे पहला कारण रेस्क्यू ऑपरेशन है। क्योंकि, कई बार दुर्घटना होने की वजह से छोटी खिड़कियों की वजह से रेलवे को रेस्क्यू करने में परेशानी होती है।
वहीं, दूसरे कारण की बात करें, तो खिड़कियों की संख्या कम करने से कोच में एयर ड्रैग कम होता है, जिससे लोकोमोटिव की ऊर्जा की बचत होती है। इसके अलावा रेलवे यात्रियों को एसी कोच के यात्रियों की तरह बाहर का नजारा बेहतर और अधिक दिख सके, इसलिए भी खिड़कियों का आकार बढ़ाया जा रहा है।
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