किसी भी देश के आर्थिक विकास में बैंकों का अधिक योगदान होता है। आर्थिक पहलू के हिसाब से बैंकों को देश की रीढ़ भी कहा जाता है, जो कि देश में आर्थिक विकास के पहिये को रफ्तार देने के लिए महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
वर्तमान में भारत में यदि कुल बैंकों की बात करें, तो इनकी कुल संख्या 145 से अधिक हैं। इनमें सरकारी से लेकर निजी और सहकारी बैंक शामिल हैं। साथ ही इन सभी बैंकों पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया(RBI) का नियंत्रण है।
हालांकि, क्या आपको पता है कि भारत में बैंकिंग व्यवस्था की नींव कब और कैसे पड़ी थी। आखिर कब भारत को अपना पहला बैंक मिला था, जिसके बाद से लोग बैंकिंग जैसी किसी प्रणाली से पहली बार अवगत हुए थे। इन सभी सवालों का जवाब जानने के लिए यह पूरा लेख पढ़ें।
यह था भारत का पहला बैंक
भारत का सबसे पहला बैंक था बैंक ऑफ हिंदुस्तान, जो कि साल 1770 यानि आज से करीब 253 साल पहले खोला गया था। यह वह वर्ष था, जब भारत में बैंकिंग व्यवस्था की नींव पड़ी थी और वित्तीय क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव आया था।
कहां खुला था पहला बैंक
भारत में पहले बैंक की स्थापना कोलकाता में की गई थी, क्योंकि, उस समय ब्रिटिश कोलकाता में रहकर शासन कर रहे थे। ऐसे में वित्तीय व्यवस्था के हिसाब से भारत के इस शहर में पहली बैंक व्यवस्था की नींव पड़ी थी।
1832 में बंद हो गया था बैंक
साल 1770 में बैंक खुलने के बाद यह कुछ समय तक सही चला, लेकिन कुछ वर्षों बाद कई कारणों की वजह से इसे 1832 में बंद करना पड़ गया था।
इसके बाद एक और बैंक जनरल बैंक ऑफ इंडिया 1786 में खुला था, जो कि 1791 तक ही चला था।
हालांकि, इस दौरान भारत को अन्य बैंक मिल गए थे, जिनमें बैंक ऑफ बंगाल(1809), बैंक ऑफ बांबे(1840) और बैंक ऑफ मद्रास(1843) शामिल हैं।
इस तरह बना था SBI Bank
आजादी से पहले खुले बैंक ऑफ बंगाल, बैंक ऑफ बांबे और बैंक ऑफ मद्रास को पहले प्रेजीडेंशियल बैंक कहा जाता था।
हालांकि, साल 1921 में इन बैंकों का विलय कर दिया गया और इन्हें इंपिरियल बैंक ऑफ इंडिया नाम से जाना जाने लगा।
साल 1947 में देश को आजादी मिली और 1955 में इस बैंक का राष्ट्रीयकरण हो गया, जिसके बाद भारत को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया मिल गया।
आजादी से पहले हुआ करते थे 600 बैंक
आपका बता दें कि भारत की आजादी से पहले करीब 600 बैंक रजिस्टर्ड थे। हालांकि, आाजादी के बाद इनमें से केवल कुछ ही बैंक अपना अस्तित्व बचा पाए।
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