यह है भारत का सबसे पुराना Highway, विदेश तक जा सकती हैं गाड़ियां

किसी भी देश के आर्थिक विकास में वहां की परिवहन व्यवस्था का अधिक महत्व होता है, जिसके माध्यम से एक से दूसरे शहरों के बीच व्यापार के साथ अन्य महत्वपूर्ण कार्यों में साधन का उपयोग किया जाता है। इस कड़ी में आज हम आपको देश की सबसे पुराने हाईवे के बारे में बताने जा रहे हैं। 

May 21, 2023, 14:40 IST
सबसे पुराना हाईवे
सबसे पुराना हाईवे

देश के आर्थिक विकास में परिवहन व्यवस्था का अधिक योगदान होता है। वास्तव में परिवहन व्यवस्था किसी भी देश में उसकी धमनियों की तरह होती है, जिसके माध्यम से एक स्थान से दूसरे स्थान पर व्यापार व अन्य गतिविधियों का संचालन कर आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया जाता है। परिवहन व्यवस्था का ही हिस्सा है हाईवे, जिसके द्वारा प्रतिदिन कई टन माल को एक शहर से दूसरे शहर के बीच पहुंचाया जाता है। इसके अलावा लोगों की आवाजाही के लिए भी सड़क मार्ग सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाला मार्ग है। इस लेख के माध्यम से हम आपको भारत के सबसे पुराने हाईवे के बारे में बताने जा रहे हैं, जो कि सिर्फ देश में ही नहीं खत्म हो जाता, बल्कि यह दूसरे देश तक जाता है। वहीं, इस हाईवे का निर्माण कोई 100 या 200 साल पुराना नहीं है, बल्कि यह सदियों पुराना हाईवे बताया जाता है। इस लेख के माध्यम से हम हाईवे की परिभाषा जानने के साथ देश के सबसे पुराने हाईवे के इतिहास को जानेंगे। 

 

भारत में कितने हाईवे हैं 

सबसे पहले आपको बता दें कि राष्ट्रीय राजमार्ग(National Highway) देश के विभिन्न राज्यों, राजधानियों, बंदरगाह और औद्योगिक क्षेत्रों को एक दूसरे से जोड़ने का काम करते हैं। भारत सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के मुताबिक, भारत में कुल हाईवे की संख्या 599 हैं, जो कि परिवहन क्षमता का करीब 40 फीसदी भार संभालते हैं। इन हाईवे की मदद से प्रतिदिन बड़ी संख्या में व्यक्ति सफर कर अपनी मंजिलों तक पहुंच रहा है। 

 

कौन-सा है सबसे पुराना हाईवे

भारत का सबसे पुराना हाईवे ग्रंड ट्रंक रोड(G T Road) है। इसका निर्माण चंद्रगुप्त मौर्य के शासन काल का बताया जाता है। हालांकि, 16वीं शताब्दी में दिल्ली के सुल्तान रहे शेरशाह सूरी ने इसे पक्का करवाया था। उन्होंने इस मार्ग पर जगह-जगह कोस मीनार, पेड़ और सराय का निर्माण कराया था। कोस मीनार का निर्माण दूरी मापने के लिए किया जाता था, जिसे आज भी दिल्ली के चिड़ियाघर, मथुरा रोड और लाहौर में देखा जा सकता है। एक कोस में 3.22 किलोमीटर तय की जाती थी। वहीं, इस रास्ते से गुजरने वाले लोग सराय में रूका करते थे, जहां उनके ठहरने के लिए कमरे, पशुओं को बांधने के लिए जगह और पीने के पानी के लिए एक कुआं का निर्माण किया जाता था। इसके साक्ष्य आज भी दिल्ली चिड़ियाघर के अंदर अजीमगंज की सराय में देखने को मिल सकते हैं। 

 

क्या-क्या रहे नाम और कहां जाती है सड़क

इस सड़क का नाम समय-समय पर बदलता रहा। सबसे पहले इस सड़क को उत्तरापथ के नाम से जाना जाता था, क्योंकि यह सड़क उत्तर भारत में है। बाद में इस सड़क को सड़क-ए-आजम, बादशाही सड़क,  The long Road और आखिर में Grand Trunk Road के नाम से जाने जाना लगा। यह सड़क बांग्लादेश से शुरू होकर बर्धमान, आसनसोल, सासाराम, प्रयागराज, अलीगढ़, दिल्ली, अमृतसर और पाकिस्तान के लाहौर व रावलिपंडी होते हुए अफगानिस्तान तक जाती है। भारत में NH-1, NH-2, NH-5 और NH-91 इसी सड़क का हिस्सा हैं। 

 

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Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

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