Jewar Airport: दिल्ली में इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट(IGIA) घरेलू के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए भारत के सबसे व्यस्त एयरपोर्ट में से एक है, जहां से प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर की उड़ानों का संचालन होता है। करीब 5300 एकड़ में फैला यह हवाई अड्डा करोड़ों यात्रियों की क्षमता रखता है। हालांकि, यात्रियों के बढ़ते बोझ और बेहतर कनेक्टिविटी के लिए दिल्ली-एनसीआर में दूसरे अंतरराष्ट्रीय स्तर के हवाई अड्डे का काम शुरू हो गया है, जो कि जेवर एयरपोर्ट के नाम से मशहूर है। हालांकि, इसका वास्तविक नाम नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट है। इसके बन जाने से स्थानीय स्तर पर आर्थिक व्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। यह प्रोजेक्ट वैश्विक स्तर का है, जिसके पूरा होने का 2024 का लक्ष्य तय किया गया है। इसके लिए 3,000 कर्मचारी दिन-रात यहां काम कर रहे हैं। इस लेख के माध्यम से हम जेवर एयरपोर्ट से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में जानेंगे।
कब शुरू हुआ निर्माण
जेवर एयरपोर्ट के लिए साल 2022 में 24 जून को परियोजना पर काम शुरू कर दिया गया था। इस परियोजना की जिम्मेदारी टाटा प्रोजेक्ट्स को दी गई है, जिसमें 3000 कर्मचारियों में इंजीनियिरों की विशेष टीम मिलकर इस परियोजना पर काम कर रही है। खास बात यह है कि ये सभी कर्मचारी साइट पर ही रहते हैं और दिन-रात काम में लगे रहते हैं। कर्मचारी साइट पर ही खाना बनाकर खाते हैं।
एयरपोर्ट पर होंगे 2 टर्मिनल
एयरपोर्ट पर घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर की उड़ानों का संचालन किया जाएगा। इसके लिए परियोजना के तहत एयरपोर्ट पर 2 टर्मिनल बनाने का निर्णय लिया गया है।
20,000 टन सीमेंट का किया गया है इस्तेमाल
अंतरराष्ट्रीय स्तर की इस परियोजना के लिए अभी तक 20,000 टन सीमेंट का इस्तेमाल किया गया है। एयरपोर्ट पर गुणवत्ता का विशेष रूप से ध्यान दिया जा रहा है, जिससे यह सालों- साल मजबूत बना रहे।
15,000 टन लोहे का हुआ है इस्तेमाल
एयरपोर्ट का ढांचा खड़ा करने के लिए सीमेंट के साथ-साथ लोहे का भी भरपूर मात्रा में इस्तेमाल किया गया है। निर्माण की तारीख से लेकर अभी तक 15,000 टन लोहे का इस्तेमाल किया गया है। हालांकि, अभी यह नंबर निश्चित नहीं हैं, क्योंकि निर्माण में अभी और सीमेंट और लोहे का इस्तेमाल किया जाएगा।
चार चरणों में होगा निर्माण
एयरपोर्ट का निर्माण चार चरणों में किया जाएगा। इसके तहत दो टर्मिनल के निर्माण को अलग-अलग चरणों में बांटा गया है। परियोजना के तहत टर्मिनल-1 का दो चरणों में निर्माण होगा। वहीं, दूसरे टर्मिनल का निर्माण अगले दो चरणों में किया जाएगा।
2024 से शुरू होगी सेवा
परियोजना के तहत साल 2024 तक 1.5 करोड़ यात्री क्षमता के साथ एयरपोर्ट का संचालन शुरू हो जाएगा। हालांकि, बाद में इसकी क्षमता में 1.5 करोड़ यात्रियों को जोड़कर इसकी कुल क्षमता 3 करोड़ कर दी जाएगी। इसके बाद यहां पर फ्लाइटों की संख्या बढ़ाकर देश-विदेश के विभिन्न हिस्सों के लिए फ्लाइटें उड़ान भरेंगी। आपको यह भी बता दें कि इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट और जेवर एयरपोर्ट के बीच 90 किलोमीटर की दूरी है।
टी-2 का दो चरणों में होगा निर्माण
टर्मिनल-2 को चार करोड़ क्षमता के हिसाब से बनाया जाएगा। प्रत्येक फेज में दो करोड़ की क्षमता बढ़ाई जाएगी। इसके तहत पहले 3 करोड़ की क्षमता में दो करोड़ यात्रियों को जोड़कर एयरपोर्ट की क्षमता 5 करोड़ की जाएगी। इसके बाद 5 करोड़ यात्रियों में 2 करोड़ यात्रियों की क्षमता को जोड़कर 7 करोड़ कर दिया जाएगा।
3300 एकड़ में बनाया जा रहा है एयरपोर्ट
इस एयरपोर्ट का निर्माण करीब 3300 एकड़ में किया जा रहा है। इस एयरपोर्ट में उत्तर प्रदेश सरकार और नोएडा की 37.5 फीसदी हिस्सेदारी है, जबकि ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण की 12.5 फीसदी हिस्सेदारी है।
38 मीटर ऊंचा ATC टॉवर का हो रहा निर्माण
एयरपोर्ट साइट पर फ्लाइट ट्रैफिक के संचालन के लिए 38 मीटर ऊंचे एयर ट्रैफिक कंट्रोल टॉवर का निर्माण किया जा रहा है, जिसे जनवरी से मार्च 2024 के बीच एयरपोर्ट अथॉरिटी को सौंप दिया जाएगा, जिससे यहां जरूरी उपकरणों को लगाया जा सके।
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