उत्तर प्रदेश को कुछ लेखों में भारत का दिल भी कहा जाता है। भारत का यह राज्य अपनी गहन संस्कृति, अनूठी परंपराओं, सांस्कृतिक विरासत और गौरवाशाली इतिहास के लिए देश-दुनिया में जाना जाता है। यह राज्य न सिर्फ भौगोलिक रूप से महत्त्वपूर्ण स्थान पर है, बल्कि भारतीय सभ्यता और संस्कृतिक का प्रमुख केंद्र भी है।
यही वजह है कि हर साल बड़ी संख्या में देशी-विदेशी सैलानी राज्य को करीब से जानने के लिए पहुंचते हैं। राज्य के प्रत्येक शहर की अपनी पहचान है। इस कड़ी में क्या आप जानेत हैं कि यूपी के किस जिले को ‘शहीदों की धरती’ भी कहा जाता है। कौन-सा है यह जिला, जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
उत्तर प्रदेश का इतिहास
आज जिस जगह पर उत्तर प्रदेश है, वहां कभी पांचाल और कोसल साम्राज्य हुआ करता था। हालांकि, बाद में शर्कियों का शासन हुआ और यहां जौनपुर शहर बसाया गया। कुछ समय बाद यहां मुगलों का शासन हुआ, तो सत्ता नवाबों के हाथों में सौंपी गई और यहां अवध सूबा बना, लेकिन ब्रिटिश के आगमन के साथ यहां उत्तर-पश्चिम प्रांत का गठन हुआ।
बाद में इसे अवध सूबे में मिला दिया गया और यह संयुक्त प्रांत बना। देश आजाद हुआ, तो सरकार ने इसे उत्तर प्रदेश नाम दिया और 24 जनवरी, 1950 को राज्य का पुनर्गठन किया गया।
उत्तर प्रदेश में कुल जिले
उत्तर प्रदेश में कुल जिलों की बात करें, तो यहां कुल 75 जिले हैं। ये जिले सभी 18 मंडल में आते हैं। इन मंडलों में कुल 351 तहसील भी मौजूद हैं। वहीं, प्रदेश में कुल 75 नगर पंचायत, 826 सामुदायिक विकास खंड और 17 नगर निगम हैं।
उत्तर प्रदेश के किस जिले को कहा जाता है ‘शहीदों की धरती’
अब सवाल है कि यूपी में किस जिले को ‘शहीदों की धरती’ भी कहा जाता है। आपको बता दें कि यूपी में रायबरेली जिले को ‘शहीदों की धरती’ भी कहा जाता है।
क्यों कहा जाता है ‘शहीदों की धरती’
रायबरेली को शहीदों की धरती इसलिए कहा जाता है, क्योंकि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में यहां के लोगों ने विशेष भूमिका निभाई थी। यह नाम विशेष रूप से सलोन तहसील के पास स्थित फतेहपुर-चौरासी और डलमऊ गांवों की घटना से जुड़ा हुआ है। साल 1857 के विद्रोह में यहां के कई लोगों ने अपने प्राणों की आहूति दी थी। वहीं, जब भारत में महात्मा गांधी ने ब्रिटिश के खिलाफ असहयोग आंदोलन शुरू किया, तो रायबरेली के लोगों ने प्रमुखता व सक्रियता से इसमें भाग लिया।
क्या है रायबरेली का इतिहास
रायबरेली में 13वीं शताब्दी में दिल्ली सल्तनत का अधिकारा था। बाद में यह जौनपुर का हिस्सा बना। भारत में जब मुगलों का राज हुआ, तो यह अवध सूबे का हिस्सा बना। ब्रिटिशों ने 1856 में अवध सूबे को नियंत्रण में ले लिया था। ऐसे में यहां ब्रिटिश का शासन रहा और देश आजाद होने तक यहां ब्रिटिश शासन रहा।
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