भारत को विविधताओं का देश कहा जाता है। यहां जड़, जंगल और जमीन, तीनों का अपना महत्त्व है। प्रकृति में नदियों का भी विशेष महत्त्व है, जो कि न सिर्फ प्राकृतिक रूप से महत्त्वपूर्ण है, बल्कि जैव विविधता को बनाए रखने के साथ-साथ पारिस्थितिकी तंत्र को भी मजबूत बनाती हैं।
इतिहास उठाकर देखें, तो हमें नदियों के किनारे कई सभ्यताओं का विकास देखने को मिलता है। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि भारत के किस राज्य को नदियों की भूमि भी कहा जाता है। इस लेख में हम इस बारे में जानेंगे।
कौन-सा राज्य कहलाता है नदियों की भूमि
सबसे पहले हम यह जान लेते हैं कि भारत में किस राज्य को नदियों की भूमि कहा जाता है। आपको बता दें कि उत्तराखंड राज्य को नदियों की भूमि कहा जाता है।
क्यों कहा जाता है नदियों की भूमि
उत्तराखंड के गंगोत्री ग्लेशियर से भागरीथी नदी निकलती है, जो कि आगे चलकर अलकनंदा नदी से मिलकर गंगा नदी का रूप लेती है। वहीं, यहां यमुनोत्री ग्लेशियर से यमुना नदी निकलती है, जो कि यमुना बेसिन को सिंचित करती है। यमुना नदी प्रणाली की बात करें, तो टोंस, गिरी और आसन नदीइस प्रणाली की नदियां हैं। इसके अतिरिक्त, यहां कई प्रमुख नदियों का संगम होता है, जिन्हें पंच प्रयाग नाम से जाना जाता है। यही वजह है कि इसे नदियों की भूमि भी कहा जाता है।
कौन-से हैं पंच प्रयाग
उत्तराखंड में पंच प्रयाग न सिर्फ धार्मिक रूप से महत्त्वपूर्ण हैं, बल्कि सामाजिक और भौगोलिक रूप से भी इनका उतना ही महत्त्व है। ये पंच प्रयाग इस प्रकार हैंः
विष्णुप्रयाग: अलकनंदा और धौलीगंगा।
नंदप्रयाग: अलकनंदा और नंदाकिनी।
कर्णप्रयाग: अलकनंदा और पिंडर।
रुद्रप्रयाग: अलकनंदा और मंदाकिनी।
देवप्रयाग:अलकनंदा और भागीरथी (गंगा)।
राज्य में है सहायक नदियों का जाल
उत्तराखंड राज्य में कई सहायक नदियों का जाल भी है। यहां मंदाकिनी और पिंडर नदी के साथ-साथ काली, पूर्वी धौलीगंगा, गौरीगंगा, सरयू, लोहावती और रामगंगा नदी भी है। ऐसे में उत्तराखंड में इन नदियों के माध्यम से एक विस्तृत नदियों का जाल बनता है, जो कि पारिस्थितिकी तंत्र के साथ-साथ कृषि और जल विद्युत परियोजना के लिए भी महत्त्वपूर्ण है।
यह नदी है उत्तराखंड की सबसे लंबी नदी
उत्तराखंड की सबसे लंबी नदी की बात करें, तो यह काली नदी है, जिसे शारदा नदी भी कहा जाता है। इसकी कुल लंबाई करीब 300 किलोमीटर तक है। यह पिथौरागढ़ में कालापानी के पास काली ग्लेशियर से निकलती है। नेपाल में इस नदी को महाकाली भी कहा जाता है। इस नदी की खास बात यह भी है कि यह भारत और नेपाल के बीच प्राकृतिक सीमा बनाने का काम करती है।
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