भारत के उत्तर में स्थित उत्तरांखड राज्य प्रमुख पहाड़ी राज्यों में से एक है। भारत की संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाली कई महत्वपूर्ण नदियों का उद्गम उत्तराखंड से ही होता है। इसके साथ ही भारत का यह राज्य अपनी विविध संस्कृति और अनूठी पंरपराओं के लिए जाना जाता है।
हर साल बड़ी संख्या में देशी-विदेशी सैलानी यहां पर्यटन के लिए पहुंचते हैं। आपने प्रदेश के अलग-अलग जिलों के बारे में पढ़ा और सुना होगा। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि उत्तराखंड का सबसे कम साक्षर जिला कौन-सा है। यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
पढ़ेंः उत्तराखंड का सबसे साक्षर जिला कौन-सा है, जानें
उत्तराखंड का परिचय
उत्तराखंड के गठन को लेकर लंबा आंदोलन और धरना-प्रदर्शन किए गए, जिसके बाद राज्य का गठन उत्तर प्रदेश से अलग कर किया गया था। लंबे आंदोलन के बाद 1 अगस्त, 2000 को लोकसभा में राज्य के गठन को लेकर बिल पास किया गया था। इसके बाद राज्यसभा में 10 अगस्त 2000 को बिल को मंजूरी मिली।
वहीं, संसद के दोनों सदनों से मंजूरी मिलने के बाद 28 अगस्त, 2000 को तत्कालीन राष्ट्रपति के.आर नारायण द्वारा इस बिल को अंतिम मंजूरी मिली और 9 नवंबर को उत्तराखंड का 13 जिलों के साथ राज्य के रूप में गठन किया गया था। हालांकि, शुरुआत में इसे उत्तरांचल राज्य के रूप में जाना जाता था, जिसे बाद में उत्तराखंड नाम दिया गया।
उत्तराखंड की कुल साक्षरता दर
सबसे पहले हम यह जान लेते हैं कि उत्तराखंड में कुल साक्षरत दर कितनी है, तो आपको बता दें कि उत्तराखंड की औसत साक्षरता दर 78.82 फीसदी है। इसमें से पुरुष साक्षरता दर 87.40 फीसदी है। वहीं, महिलाओं की साक्षरता दर 70 फीसदी है।
उत्तराखंड का सबसे कम साक्षर जिला
अब सवाल है कि उत्तराखंड का सबसे कम साक्षर जिला कौन-सा है, तो आपको बता दें कि उत्तराखंड का सबसे कम साक्षर जिला उधमसिंह नगर है। यहां की कुल साक्षरता दर 73.10 फीसदी है। बेशक यह आंकड़ा यहां के लिए कम हो सकता है, लेकिन कई अन्य राज्यों के शहरों की तुलना में यह अधिक है।
जिले का परिचय
उधमसिंह नगर पहले नैनिताल जिले का भाग हुआ करता था, लेकिन अक्टूबर 1995 में इसे अलग जिला बनाया गया था। इस जिले की नाम की बात करें, तो इस जिले का नाम स्वतंत्रता सेनानी सरदार उधम सिंह के नाम पर रखा गया था, जिन्होंने जलियांवाला बाग हत्याकांड में दोषी जनरल डायर की लंदन में पहुंचकर गोली मारकर हत्या कर दी थी। ऐसे में इस जिले का नाम सदार उधम सिंह के नाम पर रखा गया है।
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