जानिए द ग्रेट गामा पहलवान का जीवन परिचय क्या है ?

विश्व प्रसिद्द पहलवान गुलाम मुहम्मद उर्फ ‘द ग्रेट गामा’का जन्म 22 मई 1878 में अमृतसर शहर में एक कश्मीरी मुस्लिम पंडित परिवार में हुआ थाl अपने 52 साल से अधिक के करियर में गामा अपराजित रहे थे l 15 अक्टूबर 1910 को उन्हें विश्व हैवीवेट चैम्पियनशिप के भारतीय संस्करण से सम्मानित किया गया था। भारत के विभाजन के समय गामा पाकिस्तान चले गए थे जहाँ पर उनका निधन 23 मई 1960 को 82 वर्ष की उम्र में हुआ था l

May 11, 2017, 11:25 IST

विश्व प्रसिद्द पहलवान गुलाम मुहम्मद उर्फ ‘द ग्रेट गामा’का जन्म 22 मई 1878 में अमृतसर शहर में एक कश्मीरी मुस्लिम पंडित परिवार में हुआ था। गामा का जन्म एक ऐसे पहलवान परिवार में हुआ था जिसने विश्व स्तर के पहलवानों को देश को दिया थाl अपने 52 साल से अधिक के करियर में गामा अपराजित रहे थे l   15 अक्टूबर 1910 को उन्हें विश्व हैवीवेट चैम्पियनशिप के भारतीय संस्करण से सम्मानित किया गया था।
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शुरूआती जीवन:
अपने पिता के पहलवान मोहम्मद अजीज बख्श की मृत्यु के बाद, गामा को दतिया के महाराजा भवानी सिंह ने पहलवानी के गुर सिखाने के लिए अपने पास बुला लियाl गामा ने सबका ध्यान अपनी ओर तब आकर्षित किया जब उन्होंने महज 10 वर्ष की उम्र में जोधपुर (राजस्थान) में आयोजित एक बड़ी कुस्ती प्रतियोगिता में भाग लिया थाl इसमें 100 से अधिक पहलवानों ने हिस्सा लिया था और गामा को 15वां  स्थान मिला था लेकिन जोधपुर के महाराजा ने गामा की ताकत, फुर्ती और लगन को देखते हुए उन्हें विजेता घोषित किया था l
सन 1895 में गामा का सामना उस समय देश के सबसे बड़े पहलवान रुस्तम-ए-हिंद रहीम बक्श सुल्तानीवाला से हुआ। रहीम की लंबाई 6 फुट 9 इंच थी, जबकि गामा सिर्फ 5 फुट 7 इंच के थे लेकिन गामा जरा भी भयभीत नही हुए। गामा ने रहीम से बराबर की कुश्ती लड़ी और अंत में मैच ड्रॉ घोषित हुआ। इस लड़ाई के बाद गामा पूरे देश में मशहूर हो गए। 1910 में एक बार फिर गामा का सामना रुस्तम-ए-हिंद रहीम बक्श सुल्तानीवाला से हुआ। यह मैच भी ड्रॉ रहा था। अब तक गामा देश के अकेले ऐसे पहलवान बन चुके थे, जिन्हें कोई हरा नहीं पाया था।

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गामा की खुराक (Gama diet):
गामा अपने दैनिक प्रशिक्षण में 40 साथी पहलवानों के साथ कुश्ती लड़ते थे l वह रोज पांच हजार बैथक (squats) और तीन हजार दंड (पुशअप) लगाते थे। उनकी डायट में 10 लीटर दूध, 6 देशी चिकन, आधा किलो घी और 600 ग्राम बादाम के साथ-साथ अन्य टॉनिक पेय भी शामिल होते थे l
(गामा दण्ड या पुशउप लगाते हुए)
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गामा की उपलब्धियां:
भारत में अजेय रहने के बाद गामा ब्रिटेन गए। वहां उन्होंने विदेशी पहलवानों को धूल चटाने का मन बनाया लेकिन लंबाई कम होने की वजह से उन्हें वेस्टर्न फाइटिंग (Western Fighting) में शामिल नहीं किया गया। इसके बाद, गामा ने वहां के सभी पहलवानों को खुली चुनौती दी लेकिन लोगों ने इसे लोकप्रियता हासिल करने की चाल समझकर तवज्जो नहीं दी। आखिरकार, गामा ने वहां के सबसे बड़े पहलवानों स्टैनिसलॉस जबिश्को और फ्रैंक गॉच को चुनौती दे डाली।
चैंपियन स्टैनिसलॉस ज़बिश्को ने चुनौती स्वीकार कर ली और 10 सितंबर 1910 को फाइट हुई। गामा ने ज़बिश्को को पहले ही मिनट में जमीन पर पटक दिया। यह मुकाबला 2 घंटे 35 मिनट तक चला, लेकिन उसे ड्रॉ करार दे दिया गया। मैच दोबारा 19 सितंबर को हुआ और ज़बिश्को मैच में आने की हिम्मत ही नहीं जुटा पाया। इस तरह, गामा वर्ल्ड हैवीवेट चैंपियन बनने वाले भारत के पहले पहलवान बन गए। यह खिताब रुस्तम-ए-जमां के बराबर था।

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(गामा ब्रिटेन में लड़ते हुए)
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1911 में गामा का सामना फिर रहीम बक्श से हुआ। इस बार रहीम को गामा ने चित कर दिया। इसके बाद, 1927 में गामा ने अपनी आखिरी फाइट लड़ी। उन्होंने स्वीडन के पहलवान जेस पीटरसन को हराकर इस खेल को हमेशा के लिए सन्यास ले लिया। दिलचस्प बात यह रही कि उनके 50 साल के करियर में गामा को कोई हरा ही नहीं सकाl गामा जिस 95 किलो भार के पत्थर से व्यायाम किया करते थे वह आज भी पटियाला के ‘नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स म्यूजियम’ में आज भी सुरक्षित रखा है।
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ब्रूस ली (1940-1973), गामा से बहुत प्रेरित था और वह गामा की तरह ही नियमित कठोर व्यायाम करता था l
आखिरी समय:
देश के बंटवारे के समय गामा पाकिस्तान चले गए l अपने अंतिम दिनों में वह दिल और अस्थमा के मरीज हो गए थे l उद्योगपति और कुश्ती प्रशंसक जी डी बिड़ला ने 2,000 रुपये और ₹ 300 की एक मासिक पेंशन दान की और पाकिस्तान सरकार ने गामा की पेंशन को बढ़ा दिया था और उनकी मृत्यु तक उनकी चिकित्सा व्ययों का भार उठाया था लेकिन इन सब कोशिशों के बाद भी यह पहलवान अपने अंतिम दिनों में इलाज के लिए भुगतान करने के लिए संघर्ष करता रहा था।

Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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