गुप्तकालीन नाटको एवं नाटककारो की सूची

Dec 29, 2017, 17:08 IST

गुप्तकाल में धर्म, कला, साहित्य और ज्ञान-विज्ञान की अदभुत प्रगति हुई। इसलिए, अनेक विद्वानो ने गुप्तकाल को स्वर्णयुग का काल माना है। कवियों ने प्रशस्तिया लिखी. प्रयाग एवं मंदसौर की प्रशस्तिया क्रमशः हरिशेण और वसूल ने लिखी। इस समय के सबसे प्रख्यात कवि और नाटकार  महाकवि कालिदास थे। इस लेख में हम पाठको के सामन्य ज्ञान के बढ़ोतरी के लिए गुप्तकालीन नाटको एवं नाटककारो की सूची दे रहे हैं।

List of Authors and their Dramatic literatures of Gupta period in Hindi
List of Authors and their Dramatic literatures of Gupta period in Hindi

गुप्तकाल में धर्म, कला, साहित्य और ज्ञान-विज्ञान की अदभुत प्रगति हुई। इसलिए, अनेक विद्वानो ने गुप्तकाल को स्वर्णयुग का काल माना है। कवियों ने प्रशस्तिया लिखी. प्रयाग एवं मंदसौर की प्रशस्तिया क्रमशः हरिशेण और वसूल ने लिखी। इस समय के सबसे प्रख्यात कवि और नाटकार  महाकवि कालिदास थे। इस लेख में हम पाठको के सामन्य ज्ञान के बढ़ोतरी के लिए गुप्तकालीन नाटको एवं नाटककारो की सूची दे रहे हैं।

गुप्तकालीन नाटको एवं नाटककारो की सूची

नाटक

नाटककार

नाटक का विषय

मालविकाग्निमित्रम्

कालिदास

अग्निमित्र एवं मालविका की प्रणय कथा पर आधारित है।

विक्रमोर्वशीयम्

कालिदास

सम्राट पुरुरवा एवं उर्वशी अप्सरा की प्रणय कथा पर आधारित है।

अभिज्ञानशाकुन्तलम्

कालिदास

दुष्यंत तथा शकुन्तला की प्रणय कथा पर आधारित

मुद्राराक्षसम्

विशाखदत्त

इस ऐतिहासिक नाटक में चन्द्रगुप्त मौर्य के मगध के सिंहासन पर बैठने की कथा वर्णन है।

देवीचन्द्रगुप्तम

विशाखदत्त

इस ऐतिहासिक नाटक में चन्द्रगुप्त द्वारा शाकराज का वध पर ध्रव-स्वामिनी से विवाह का वर्णन है।

मृच्छकटिकम्

शूद्रक

इसमें नायक चारुदत्त, नायिका वसंतसेना, राजा, ब्राह्मण, जुआरी, व्यापारी, वेश्या, चोर, धूर्तदास का वर्णन है।

स्वप्नवासवदत्तम

भास

इसमें महाराज उदयन एवं वासवदत्ता की प्रेमकथा का वर्णन किया गया है।

प्रतिज्ञायौगंधरायणकम्

भास

महाराज उदयन के यौगंधरायण की सहायता से वासवदत्ता को उज्जयिनी से लेकर भागने का वर्णन है।

चारुदत्तम्

भास

इस नाटक का नायक चारुदत्त मूलतः भास की कल्पना है।

गुप्तकाल संस्कृत-भाषा एवं साहित्य के विकास के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। संस्कृत अभिजात वर्ग की प्रमुख भाषा बन गयी। मुद्राओ एवं अभिलेखों में इसका व्यवहार होने लगा। संस्कृत में ही धार्मिक ग्रंथो,नाटको एवं प्रशस्तितियो की रचना हुई। अनेक पुरानो की रचना इसी कल में हुई। महाभारत और रामायण का भी अंतिम संकलन इसी काल में हुआ। उपरोक्त सूची में हमने गुप्तकालीन नाटको , नाटको का विषय एवं नाटककारो के नाम को वर्णित किया है जो पाठको के सामान्य ज्ञान में बढ़ोतरी करने में सहायक सिद्ध होगा।

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