उत्तर प्रदेश की अयोध्या नगरी 22 जनवरी, 2024 के दिन सदा-सदा के लिए इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों के साथ दर्ज हो गई। अयोध्या राम मंदिर में भगवान श्रीराम के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा वाले अद्भुत, अकल्पनीय और अविस्मरणीय पल के साथ करोड़ों देशवासियों के दिल भाव-विभोर हो गया।
इस समय देश-दुनिया की निगाहें अयोध्या नगरी पर है और हर जुबां पर श्रीराम की नगरी का नाम आ रहा है। ऐसे में क्या आप जानते हैं कि अयोध्या कुल 12 नामों से जानी जाती है। कौन-से हैं ये नाम, जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
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पहला नाम
अयोध्या का पहला नाम अयोध्या ही है, जिसके अर्थ की बात करें, तो यह योद्धा में अ उपसर्ग से बना है, जिसका मतलब है जिससे युद्ध न लड़ा जाए। अथर्ववेद में अयोध्या को अपराजित होने का वर्णन किया गया है।
दूसरा नाम
अयोध्या का दूसरा नाम साकेत है। प्राचीन काल में अयोध्या को साकेत नगरी के नाम से जाना जाता था। यही नहीं, कालिदास ने अपनी रचना रघुवंश में अयोध्या नगरी का वर्णन साकेत नाम से किया गया है। इसका अर्थ है, जिसमें संपूर्ण ज्ञान हो, उस नगरी का नाम साकेत है।
तीसरा नाम
अयोध्या का तीसरा नाम कौशलपुर है, जो कि कौशल जनपद से लिया गया है। इस शब्द का प्रयोग वाल्मीकि ने किया है। कौशल का अर्थ है जहां साथ-साथ घर बने होते हैं। ऐसे में यह कौशलपुर के नाम से भी जानी जाती है।
चौथा नाम
अयोध्या का चौथा नाम धर्मपुर है, जिसका वर्णन रामायण में मिलता है। क्योंकि, यह धर्म की नगरी है, ऐसे में यह धर्मपुर भी कही जाती है।
पांचवा नाम
अयोध्या के पांचवें नाम की बात करें, तो यह कौसला है, जो कि कौशल शब्द से बना है।
छठा नाम
छठे नाम की बात करें, तो यह कौशपुरी है, जो कि कौशलपुर से बना है। इसका अर्थ है कौशल की पुरी।
सातवां नाम
सातवें नाम की बात करें, यह कौशलानंदनी के नाम से भी जानी जाती है।
आठवां नाम
अयोध्या के आठवें नाम की बातक करें, तो यह रामनगरी के नाम से भी जानी जाती है।
नौवां नाम
अयोध्या के नौंवे नाम की बात करें, तो यह उत्तर कौशल के नाम से भी जानी जाती है। क्योंकि, उत्तर कौशल के राजा दशरथ थे, जबकि दक्षिण कौशल की रानी कौशल्या थीं।
10वां नाम
अयोध्या के 10वें नाम की बात करें, तो इसे पूर्व देश के नाम से भी जाना जाता है। इस बात का उल्लेख शेषकांड में किया गया है।
11वां नाम
अयोध्या का 11वां नाम रघुवरपुर है, जिसका उल्लेख हनुमान चालीसा में भी इस प्रकार किया गया है, अंतकाल रघुवरपुर जाई, जहां जन्म हरी भक्त कहाई।
12वां नाम
अयोध्या का 12वां नाम अवधपुरी है। इसका अर्थ है, जिसका वध नहीं, वह अवध है। इस नाम का वर्णन तुलसीदास ने भी किया है।
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