Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि भगवान शिव की आराधना का सबसे महत्त्वपूर्ण पर्व है, जो फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। यह रात आध्यात्मिक जागरण, भक्ति और शिवतत्व के ध्यान के लिए समर्पित होती है। श्रद्धालुओं में इस दिन को लेकर विशेष महत्त्व है। वे इस दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना कर पूरा दिन उपवास रखते हैं। हालांकि, कुछ श्रद्धालु शिवरात्रि पर्व की तारीख को लेकर दुविधा में हैं। ऐसे में इस लेख के माध्यम से हम शिवरात्रि की तारीख व इसके महत्त्व के बारे में जानेंगे।
महाशिवरात्रि का महत्त्व
धार्मिक महत्व
पर्व को लेकर मान्यता है कि इसी दिन शिव-पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था, इसलिए इस दिन उनकी पूजा करने से सुखद दांपत्य जीवन का आशीर्वाद मिलता है।
आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व
पर्व को लेकर एक मान्यता यह भी है कि महाशिवरात्रि की रात को विशेष ऊर्जा प्रवाहित होती है, जिससे ध्यान और भक्ति से मानसिक शांति प्राप्त होती है। इस दिन व्रत और रात्रि जागरण से मन और शरीर की शुद्धि होती है, जिससे व्यक्ति में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
सामाजिक महत्व
महाशिवरात्रि धर्म, जाति और वर्ग से परे सभी लोगों को एक साथ लाती है और भक्ति के माध्यम से समाज में समरसता लाने में मदद करती है।
पर्यावरण संरक्षण का संदेश
भगवान शिव को वृक्ष, जल और प्रकृति प्रेमी देवता माना जाता है। इस दिन पेड़-पौधों की पूजा करने की परंपरा भी है, जिससे पर्यावरण संरक्षण का संदेश मिलता है।
महाशिवरात्रि का वैज्ञानिक महत्व
महाशिवरात्रि की रात को ग्रहों की स्थिति ऐसी होती है कि शरीर में ऊर्जा ऊपर की ओर प्रवाहित होती है, इसलिए ध्यान और व्रत को विशेष रूप से प्रभावी माना जाता है।
Kab hai Shivratri: कब है महाशिवरात्रि
अब सवाल है कि महाशिवरात्रि का पर्व किस दिन मनाया जा रहा है। हिंदू पांचांग के अनुसार, फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि यानि कि 26 फरवरी सुबह 11 बजकर 8 मिनट पर शिवरात्रि का पर्व शुरू होगा और 27 फरवरी सुबह 8 बजकर 54 मिनट पर समाप्त होगा। महाशिवरात्रि पर भगवान शिव के पूजन का विशेष महत्त्व है। ऐसे में 26 फरवरी की रात शिव पूजन होगा।
महाशिवरात्रि पर क्या है रूद्राभिषेक का समय
महाशिवरात्रि पर रूद्राभिषेक का महत्त्व भी है। इस दिन सुबह 6 बजकर 47 मिनट से 9 बजकर 42 मिनट तक जल चढ़ाया जा सकता है। वहीं, मध्यान्ह काल में सुबह 11 बजकर 6 मिनट से 12 बजकर 35 मिनट तक जल चढ़ाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त दोपहर 3 बजकर 25 मिनट से शाम 6 बजकर 8 मिनट तक और रात 8 बजकर 54 मिनट से 12 बजकर 1 मिनट तक जलाभिषेक किया जा सकता है।
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