क्या आप जानते हैं कि मलेरिया क्या होता है, कैसे होता है, होने से पहले क्या लक्षण होते हैं, यह कितने प्रकार का होता है इत्यादि. आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं.
मलेरिया शब्द इटालियन भाषा शब्द "माला एरिया" से बना है जिसका मतलब है 'बुरी हवा'. यह ऐसी बिमारी है जो परजीवी प्लास्मोडियम के कारण होती है.
क्या आप जानते है कि मलेरिया का सबसे पुराना वर्णन चीन (2700 ईसा पूर्व) से मिलता है. मलेरिया को दलदली बुखार (Marsh Fever) भी कहा जाता है.
सन 1880 में मलेरिया का सबसे पहला अध्ययन चार्ल्स लुई अल्फोंस लैवेरिन वैज्ञानिक द्वारा किया गया था.
मलेरिया रोग क्या है?
मलेरिया बुखार मादा मच्छर एनोफेलीज़ के काटने से होता है. इस मच्छर में प्लास्मोडियम नाम का परजीवी पाया जाता है जिसके कारण मच्छर के काटने से ये रक्त में फैल जाता है.
उष्णकटिबंधीय एवं शीतोष्ण क्षेत्रों में मलेरिया काफी गंभीर रोग के रूप में माना जाता है. इसके लक्षण हैं बुखार, कँपकँपी, पसीना आना, सिरदर्द, शरीर में दर्द, जी मचलना और उल्टी होना.
कई बार बुखार पसीना आने से उतर जाता है परन्तु कुछ घंटों बाद फिर हो सकता है. परन्तु यह निर्भर करता है कि किस परजीवी के कारण मलेरिया हुआ है.
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मलेरिया रोग कैसे फैलता है?
जैसा की हमने ऊपर अध्ययन किया कि मलेरिया प्लास्मोडियम परजीवी जो कि मादा मच्छर एनोफेलीज़ के काटने से होता है.
जब ये किसी व्यक्ति को काटती है, तो उसके खून की नली में मलेरिया के रोगाणु फैल जाते है. ये परजीवी हीमोजॅाइन टॅाक्सिन को मानव शरीर में उत्पादित करता है.
जब ये कलेजे (Liver) तक पहुंचते है तब ये काफी संख्या में बढ़ जाते है. जैसे ही कलेजे (Liver) की कोशिका फटती है तो ये रोगाणु व्यक्ति की लाल रक्त कोशिकाओं में पहुँच जाते हैं और वहां भी इनकी संख्या बढ़ जाती हैं.
लाल रक्त कोशिकाओं पर हमला करने से ये नष्ट हो जाती है और फट जाती है. तब ये रोगाणु दूसरी लाल रक्त कोशकाओं पर हमला करते हैं और ये सिलसिला इस तरह से चलता रहता है. जब-जब लाल रक्त कोशिका फटती है व्यक्ति में मलेरिया के लक्षण नज़र आते हैं.
मलेरिया कितने प्रकार के परजीवी के कारण होता है?
मानव शरीर में मलेरिया विभिन्न प्रकार की प्लास्मोडियम की प्रजातियों के कारण होता है:
1. प्लास्मोडियम फैल्सीपेरम (P. Falciparum): इस परजीवी के कारण काफी खतरनाक मलेरिया बुखार होता है जिससे मरीज की म्रत्यु भी हो सकती है. इससे पीड़ित रोगों को मालूम ही नहीं चलता है की वो क्या-क्या बोल रहे है. इसमें बहुत तेज़ ठण्ड लगती है, सिर में काफी दर्द और उल्टियाँ भी होती हैं.
क्या आप जानते हैं कि ये परजीवी क्वाडीटियन मलेरिया उत्पन्न करता है जो अधिकांशतः दिन के समय में आक्रमण करता है. मैलिंग्नेट टर्शियन मलेरिया में 48 घंटों के बाद प्रभाव होता है. इसमें व्यक्ति की जान भी जा सकती है.
2. प्लास्मोडियम विवैक्स (P. Vivax): अधिकतर लोगों में इसी प्रकार के मलेरिया बुखार को देखा जाता है. वाईवैक्स परजीवी ज्यादातर दिन के समय आता है. यह बिनाइन टर्शियन मलेरिया उत्पन्न करता है जो प्रत्येक तीसरे दिन अर्थात 48 घंटों के बाद प्रभाव प्रकट करता है. ये प्रजाति उष्णकटिबंधीय एवं शीतोष्ण क्षेत्रों में ज्यादा पाई जाती है. इसके लक्षण है कमर, सिर, हाथ, पैरों में दर्द, भूख ना लगना, कंपकपी के साथ तेज बुखार का आना आदि.
3. प्लास्मोडियम ओवेल (P. Ovale): यह भी बिनाइन टर्शियन मलेरिया उत्पन्न करता है.
4. प्लास्मोडियम मलेरी (P. malariae): यह क्वार्टन मलेरिया उत्पन्न करता है, जिसमें मरीज को हर चौथे दिन बुखार आता है, मतलब 72 घंटे में सिर्फ एक बार बुखार आता है. जब किसी व्यक्ति को ये रोग होता है तो उसके यूरिन से प्रोटीन जाने लगता है जिसके कारण शरीर में प्रोटीन की कमी हो जाती है और सूजन आने लगती है.
5. प्लास्मोडियम नोलेसी ( P. knowlesi): यह आमतौर पर दक्षिणपूर्व एशिया में पाया जाने वाला एक प्राइमेट मलेरिया परजीवी है. इसमें भी ठण्ड लगकर बुखार आता है, सिर में दर्द, भूक ना लग्न आदि.
मलेरिया रोग के लक्षण
मलेरिया के लक्षण मादा मच्छरों के काटने के छह से आठ दिन बाद शुरू हो सकते हैं:
- ठंड लगकर बुखार का आना और बुखार के ठीक होने पर पसीने का आना.
- थकान, सरदर्द
- मांसपेशियों के दर्द, पेट की परेशानी, उल्टीयों का आना
- बेहोशी का होना
- एनीमिया, त्वचा की पीली रंग की विकृति
- निम्न रक्त शर्करा
तो हमने देखा कि मलेरिया रोग मादा मच्छर के काटने से होता है जिसके कारण रक्त में प्लास्मोडियम नामक परजीवी फैल जाता है और इससे जान भी जा सकती है.
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