मुगल काल में सबसे पढ़ी-लिखी रानियां कौन थीं, यहां जानें नाम

भारत में मुगलों ने 332 साल राज किया है। इस दौरान मुगलों में कई ऐसी रानियां और राजकुमारियां रहीं, जो अपनी शिक्षा-दीक्षा के लिए जानी जाती थीं। इन रानियां ने कई ऐसी रचनाएं लिखीं, जिनके माध्यम से मुगल इतिहास को समझने में मदद मिली है। कौन थी ये रानियां, जानने के लिए यह लेख पढ़ें। 

Aug 21, 2025, 13:35 IST
मुगल काल की सबसे पढ़ी-लिखी रानियां
मुगल काल की सबसे पढ़ी-लिखी रानियां

भारत का इतिहास उठाकर देखें, तो हमें अलग-अलग समय पर विभिन्न शासकों का शासन देखने को मिलता है। इस कड़ी में भारत में मुगलों का शासन भी रहा है, जिन्होंने कुल 332 सालों तक राज किया। मुगल काल में ऐसी कई रानियां और राजकुमारियां रही हैं, जिन्हें अपनी शिक्षा और विद्वानता के लिए भी जाना जाता है। इनमें कुछ रानियों ने कविताएं लिखी, तो कुछ रानियों ने साहित्य लिखा। वहीं, कुछ रानियों ने मुगलों के पारिवारिक संबंध, प्रेम और शत्रुता के बारे में भी लिखा है। इस लेख में हम मुगल काल की पढ़ी-लिखी रानियों के बारे में जानेंगे।

गुलबदन बेगम

गुलबदन बेगम को मुगल काल में सबसे विद्वान महिलाओं में से एक माना जाता है। गुलबदन मुगल साम्राज्य की नींव रखने वाले बाबर की बेटी और हुमायूं की बहन थी। उन्होंने अपने भाई हुमायूं के ऊपर हुमायूंनामा लिखी थी, जो कि मुगलों के शासन के बारे में विस्तार से बताती है। इस किताब से मुगलों के बारे में जानने में मदद मिलती है। 

नूरजहां

नूरजहां मुगल सम्राट जहांगीर की पत्नी थीं। वह कविताएं लिखने के साथ-साथ कला के संरक्षक के तौर पर भी जानी जाती थीं। मुगल काल में उन्होंने उच्च शिक्षा हासिल करने के साथ कई इमारतों और उद्यानों को डिजाइन करने में मदद की थी।

जहांआरा बेगम

जहांआरा मुगल सम्राट शाहजहां की बड़ी बेटी थी। वह भी कविताएं लिखा करती थीं। साथ ही, उन्हें सूफी दर्शन से अधिक लगाव था। यही वजह रही कि उन्होंने एक सूफी संत साहिब्याह की जीवनी लिखी। उनके भाई दारा शिकोह की भी सूफी दर्शन में रूचि थी।

जेबुन्निसा बेगम

जेबुन्निसा मुगल सम्राट औरंगजेब की बेटी थी, जो कि अक्सर कविताएं लिखा करती थीं। उनके द्वारा मक्फी नामक उपनाम से फारसी में कविताएं लिखी गई हैं। उनकी रचना धार्मिक और सूफी विचारों पर केंद्रित होती थी।

मुमताज महल

आगरा में स्थित ताजमहल शाहजहां की पत्नी मुमताज महल से संबंधित है। उनकी याद में ही दुनिया के इस अजूबे का निर्माण किया गया था। मुमताज को कला और साहित्य की दुनिया में रूचि थी। वह अक्सर कविताएं भी लिखा करती थीं। उन्हें अरबी और फारसी भाषा की अच्छी जानकारी थी। साथ ही, उनका एक व्यक्तिगत पुस्तकालय भी था, जो कि दर्शाता है कि उन्हें पढ़ने-लिखने का बहुत शौक था। वह मुगल दरबार में कवियों और साहित्यकारों को तवज्जों दिया करती थी।

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Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

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