यदि आपसे कोई पूछे कि दुनिया का सबसे ऊंची पर्वत चोटी कौन-सी है, तो सहज ही आपका जवाब माउंट एवरेस्ट होगा। इस चोटी की कुल ऊंचाई की बात करें, तो यह 8848 मीटर है। अब तक कई पर्वतारोहियों ने इस चोटी को फतेह किया है, जिसमें कई भारतीय नाम भी शामिल हैं। हम सभी इसे माउंट एवरेस्ट के नाम से जानते हैं, हालांकि क्या आप जानते हैं कि माउंट एवरेस्ट को तिब्बत और नेपाल में इस नाम से नहीं, बल्कि अलग-अलग नामों से जाना जाता है। कौन-से हैं ये नाम, जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
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किसके नाम पर है माउंट एवरेस्ट का नाम
सबसे पहले हम यह जान लेते हैं कि दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत की ऊंचाई 8848 मीटर है। इस चोटी का नाम ब्रिटिश सर्वेयर जनरल जॉर्ज एवरेस्ट के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने इस पर्वत की ऊंचाई का सर्वे किया और उनके सम्मान में इस चोटी का नाम माउंट एवरेस्ट ही रख दिया गया।
सबसे पहले किसने किया फतेह
अब हम यह जान लेते हैं कि माउंट एवरेस्ट पर सबसे पहले चढ़ने वाले व्यक्ति पर्वतारोही सर एडमंड हिलेरी और नेपाल के पर्वतारोही शेरपा तेन्जिंग नार्गे थे, जिन्होंने 29 मई, 1953 को माउंट एवरेस्ट पर विजय प्राप्त की थी।
पहले इस नाम से जाना जाता था माउंट एवरेस्ट
ब्रिटिश सर्वेयर द्वारा इसकी ऊंचाई का पता लगाने से पहले इस पर्वत को XV नाम से जाना जाता था। हालांकि, बाद में 1865 में रॉयल ज्याग्राफिकल सोसायटी द्वारा इसका नाम माउंट एवरेस्ट के नाम पर अपनाया गया। आपको बता दें कि जिस समय यह नाम दिया गया था, उस समय इसके नाम को अपनाने में कई अड़चनें आई थीं। कई विद्वानों द्वारा भारत को देखते हुए इस नाम पर आपत्ति जताई गई थी।
नेपाल में इस नाम से जाना जाता है पर्वत
अब आपको बता दें कि दुनियाभर में माउंट एवरेस्ट के नाम से जाना जाने वाले एवरेस्ट पर्वत को नेपाल में स्थानीय लोगों द्वारा सागरमाथा के नाम से जाना जाता है, जिसका अर्थ स्वर्ग का शीर्ष होता है। नेपाल के इतिहासविद् रहे बाबूराम आचार्य द्वारा 1930 में यह नाम रखा गया था।
तिब्बत में इस नाम से जाना जाता है पर्वत
माउंट एवरेस्ट को तिब्बत में कई सदियों से एक ही नाम से पुकारा जाता है, जो कि चोमोलंगमा है। इसके अर्थ की बात करें, तो इसका अर्थ होता है पर्वतों की रानी। ऐसे में यहां के लोग इसे इसी नाम से पुकारते हैं।
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