New Criminal Laws: भारतीय कानूनी प्रणाली को औपनिवेशिक प्रभाव से मुक्त करने की दिशा में एक नए कदम के रूप में देश में आज से तीन नए आपराधिक कानून लागू कर दिए गए है. सरकार ने कहा है कि नए कानून भारतीय कानूनी प्रणाली को बेहतर बनायेंगे साथ ही सरकार ने कहा कि नए कानून औपनिवेशिक प्रभाव से मुक्त होंगे और भारतीय कानूनी प्रणाली को आधुनिक बनायेंगे.
बता दें कि, ये नए कानून भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को प्रतिस्थापित कर रहे हैं. वहीं कई आलोचकों का कहना है कि इन विधेयकों में कुछ भी खास नया नहीं है, क्योंकि पुराने कानूनों के अधिकांश प्रावधानों को नई संख्या और लेबल के साथ बरकरार रखा गया है.
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45 दिनों के भीतर फैसला!
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने एक सोशल मीडिया पोस्ट के तहत कहा कि ''नए आपराधिक कानून एक निर्धारित समय अवधि के भीतर अदालती कार्यवाही का प्रावधान करते हैं. नए कानून मुकदमे की समाप्ति के 45 दिनों के भीतर फैसला सुनाने का प्रावधान करते हैं.''
New criminal laws provide for court proceedings within a stipulated time period. New laws stipulate delivery of judgment within 45 days of the end of the trial.#AzadBharatKeApneKanoon #NewCriminalLaws #BNS #BNSS #BSA@PMOIndia @HMOIndia @PIBHomeAffairs @PIB_India @DDNewslive… pic.twitter.com/MRUTRMIOxV
— Ministry of Information and Broadcasting (@MIB_India) July 1, 2024
कौन से है तीन नए कानून:
नए आपराधिक कानून, भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) आज यानी 1 जुलाई 2024 से पूरे देश में लागू कर दिए गए है.
- भारतीय न्याय संहिता (BNS)
- भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS)
- भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA)
औपनिवेशिक कानूनों का अंत:
भारतीय कानूनी प्रणाली में अब औपनिवेशिक प्रभाव को भी खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है. बता दें कि दशकों पुराने भारतीय दंड संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम और आपराधिक प्रक्रिया संहिता को अब आधुनिक बना दिया गया है.
ब्रिटिश शासन के दौरान लागू किए गए आईपीसी (1860) और साक्ष्य अधिनियम (1872) को भारतीय न्याय संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम द्वारा प्रतिस्थापित किया गया है. वहीं 1973 की आपराधिक प्रक्रिया संहिता को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता द्वारा बदल दिया गया है.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने क्या कहा:
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि ''आज से लागू हुए तीन आपराधिक कानून देश में सबसे आधुनिक आपराधिक न्याय प्रणाली को जन्म देंगे. उन्होंने कहा, आपराधिक न्याय प्रणाली अब पूरी तरह से 'स्वदेशी' है और आजादी के बाद भारतीय लोकाचार में अंतर्निहित है''. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि ''कुछ लोग यह भ्रम फैला रहे हैं कि नए कानूनों में रिमांड का समय बढ़ गया है... नए कानूनों के तहत भी रिमांड का समय पहले की तरह 15 दिनों का ही है''.
New Criminal Laws नए आपराधिक कानून- हाईलाइट्स
नवाचारी कानूनी प्रक्रियाएँ (Innovative Legal Procedures): जैसे जीरो एफआईआर, जिसके द्वारा किसी भी पुलिस स्टेशन पर शिकायत दर्ज की जा सकती है साथ ही कानूनी कार्रवाई की शुरुआत को सरल बनाने का प्रयास किया गया है.
'हिट एंड रन': भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), 2023 में हिट-एंड-रन मामलों में धारा 106(2) को सरकार ने रोक दिया है, जबकि आपराधिक कानून के अन्य प्रावधान लागू कर दिए गए है.
रिमांड: नए कानूनों के तहत रिमांड का समय पहले की तरह 15 दिनों का ही रखा गया है.
भाषा: तीनों कानून देश की 8वीं अनुसूची की सभी भाषाओं में उपलब्ध होंगे और केस भी उन्हीं भाषाओं में चलेंगे.
फॉरेंसिक जांच: नए कानूनों में 7 साल या उससे अधिक की सज़ा वाले अपराधों में फॉरेंसिक जांच को अनिवार्य किया गया है, इससे न्याय जल्दी मिलेगा और दोष-सिद्धि दर को 90% तक ले जाने में सहायक होगा.
FIR: किसी भी मामले में FIR दर्ज होने से सुप्रीम कोर्ट तक 3 साल में न्याय मिल सकेगा.
त्वरित न्यायिक प्रक्रियाएँ (Swift Judicial Processes): अदालती फैसले देने के लिए सख्त समय सीमाएँ, 45 दिनों के भीतर और आरोप लगाने के लिए 60 दिनों के भीतर समयबद्ध न्याय प्रदान किया जाए.
संरक्षण समर्थन (Protection for Vulnerable Groups): महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों के लिए विशेष प्रावधान, संवेदनशील संभालन और त्वरित चिकित्सा परीक्षण सुनिश्चित करने के लिए नियमों में बदलाव किया गया है.
तकनीकी प्रगति (Technological Advancements): ऑनलाइन पुलिस शिकायतें और इलेक्ट्रॉनिक समन सेवा, कागज़ाती कार्य को कम करने और संचार को मजबूत करने का प्रयास कर रहे हैं.
मास्टर ट्रेनर्स: नए कानूनों पर लगभग 22.5 लाख पुलिसकर्मियों की ट्रेनिंग के लिए 12000 मास्टर ट्रेनर्स के लक्ष्य से कहीं अधिक 23 हजार से ज्यादा मास्टर ट्रेनर्स प्रशिक्षित.
कुछ लोग यह भ्रम फैला रहे हैं कि नए कानूनों में रिमांड का समय बढ़ गया है... नए कानूनों के तहत भी रिमांड का समय पहले की तरह 15 दिनों का ही है। pic.twitter.com/GcYc1L00UP
— Amit Shah (@AmitShah) July 1, 2024
ई-एफआईआर का प्रावधान:
नागरिकों की सुविधा के लिए जीरो एफआईआर यानी ई-एफआईआर की शुरुआत भी की गयी है. इसके तहत अपराध कहीं भी हुआ हो लेकिन उसे अपने थाना क्षेत्र के बाहर भी रजिस्टर कराया जा सकता है. बाद में केस को 15 दिनों के अंदर संबंधित थाने को भेजना होगा. नए नियमों के अनुसार, पुलिस थाने में एक ऐसा पुलिस अधिकारी नामित किया जायेगा जो गिरफ्तार किए गए व्यक्ति के परिवार को केस के बारें में सूचना देगा.
नए कानूनों पर CJI चंद्रचूड़ ने क्या कहा:
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने हाल ही में नए कानूनों पर अपनी बात रखते हुए कहा था कि नए कानून केवल तभी सकारात्मक प्रभाव डालेंगे जब बुनियादी ढांचे के विकास और फोरेंसिक विशेषज्ञों और जांच अधिकारियों की क्षमता निर्माण के लिए आवश्यक कदम उठायें जायेंगे.
नए कानून के खिलाफ जनहित याचिकायें ख़ारिज:
सुप्रीम कोर्ट ने नए कानूनों को चुनौती देने वाली दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है. एक याचिका को नए कानूनों के प्रभाव में आने से पहले दायर किए जाने के कारण खारिज कर दिया गया, जबकि दूसरी को खराब ड्राफ्टिंग के कारण खारिज कर दिया गया.
नए कानून के तहत दर्ज हुआ पहला मामला:
भारतीय न्याय संहिता, 2023 के तहत पहली एफआईआर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के कमला मार्केट पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई है. नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के फुट ओवर ब्रिज के नीचे बाधा डालने और बिक्री करने के आरोप में एक स्ट्रीट वेंडर के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 285 के तहत मामला दर्ज किया गया है.
केन्द्रीय गृह एव सहकारिता मंत्री @AmitShah ने देश भर में आज से लागू हुए 3 नए आपराधिक कानूनों को दंड की जगह न्याय देने वाला और पीड़ित-केन्द्रित बताया
— पीआईबी हिंदी (@PIBHindi) July 1, 2024
विवरण: https://t.co/fuMw932fzt (1/3)#AzadBharatKeApneKanoon
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— Delhi Police (@DelhiPolice) June 29, 2024
1 जुलाई 2024 से लागू होने जा रहे हैं
नए आपराधिक कानून के सशक्त प्रावधान,
जिनसे सुनिश्चित होंगे, नागरिक सुरक्षा एवं नारी सम्मान।#AzadBharatKeApneKanoon pic.twitter.com/X91KPbne7h
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