नए आपराधिक कानूनों के तहत e-FIR कैसे करें, Zero FIR से यह कैसे है अलग? जानें

Jul 2, 2024, 11:00 IST

भारतीय न्याय व्यवस्था को और बेहतर बनाने के उद्देश्य से 01 जुलाई से देश में नए आपराधिक कानून लागू कर दिए गए है. भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) के तहत नए नियम लागू किये गए है. इसके साथ ही ई-एफआईआर (e-FIR) और जीरो एफआईआर (Zero FIR) की भी चर्चा खूब हो रही है चलिये समझें इनके बारें में.  

 Zero FIR की क्या है प्रक्रिया, Zero FIR और e-FIR में अंतर
 Zero FIR की क्या है प्रक्रिया, Zero FIR और e-FIR में अंतर

भारतीय न्याय व्यवस्था को और बेहतर बनाने के उद्देश्य से 01 जुलाई से देश में नए आपराधिक कानून लागू कर दिए गए है. भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) के तहत नए नियम लागू किये गए है. इन नए कानूनों ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ली है. सरकार के इस फैसले को न्याय व्यवस्था में एक बड़े कदम के रूप में देखा जा रहा है. इसमें कई नए नियमों को शामिल किया गया है जिससे जल्द से जल्द न्याय किया जा सके. इन नए कानूनों से तारीख पर तारीख की परंपरा से भी लोगों को निजात मिलेगी. साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि इससे न सिर्फ पुलिस जांच में तेजी आएगी, बल्कि अदालतों की कार्रवाई में भी तेजी आएगी और फैसलों में भी तेजी आयेगी. इसके साथ ही ई-एफआईआर (e-FIR) और जीरो एफआईआर (Zero FIR) की भी चर्चा खूब हो रही है चलिये समझें इनके बारें में.

ई-एफआईआर (e-FIR) क्या है?

ई-एफआईआर (e-FIR) पुलिस में शिकायत दर्ज कराने का एक इलेक्ट्रॉनिक संस्करण है, इसका मतलब है कि इसे ऑनलाइन माध्यम से दर्ज किया जा सकता है. इसकी मदद से कोई भी नागरिक कहीं से भी ऑनलाइन प्लेटफार्मों के माध्यम से पुलिस के पास शिकायत दर्ज करा सकते है.  

ई-एफआईआर के फायदे:

ई-एफआईआर का मुख्य मुख्य उद्देश्य देश के नागरिकों के लिए पुलिस सेवा को अधिक सुलभ और प्रभावी बनाना है. इस प्रणाली के माध्यम से, कोई भी व्यक्ति आसानी से और त्वरित रूप से अपराध की सूचना दर्ज करा सकता है. इसके कारण अपराधों की रिपोर्टिंग में भी बढ़ोत्तरी दर्ज होती है.   

e-FIR में इस बात करें खयाल:

बता दें कि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ने CCTNS के तहत पहले ही कई राज्यों में ई-एफआईआर की सुविधा शुरू कर दी थी. नए नियमों के तहत, अगर कोई नागरिक ई-FIR दर्ज कराता है तो उसे तीन दिन के भीतर उसे थाने जाना ही होगा.  

e-FIR कैसे करें:

 ई-एफआईआर दर्ज करने के लिए, आपको पुलिस विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा और वहां एफआईआर ऑनलाइन दर्ज करने का विकल्प सेलेक्ट करना होगा. इसके बाद अपने विवरण, अपराध की डिटेल्स सहित पूरी जानकरी दर्ज करनी होगी ताकि पुलिस को जांच में मदद मिल सके. ऑनलाइन एफआईआर की प्रकिया पूरी करने के बाद आपको एक शिकायत संख्या मिल जाएगी जिससे मामले को ट्रैक किया जा सकता है.    

 Zero FIR क्या है?  

वहीं दूसरी ओर जीरो एफआईआर (Zero FIR) की भी चर्चा इस समय खूब हो रही है. जीरो एफआईआर (Zero FIR) एक ऐसा प्राथमिकी (First Information Report) है जिसे किसी भी पुलिस स्टेशन में दर्ज कराया जा सकता है. सामान्य रूप से, FIR उसी पुलिस स्टेशन में दर्ज की जाती है जहां घटना घटी होती है. लेकिन जीरो एफआईआर इस प्रक्रिया को सरल बनाती है.          

 Zero FIR की क्या है प्रक्रिया:

 Zero FIR के अन्य नियमों के तहत, कोई भी नागरिक अपराध का शिकार हुआ है, या जिसने अपराध होते देखा है, किसी भी पुलिस स्टेशन में जाकर जीरो एफआईआर दर्ज करा सकता है. पुलिस स्टेशन में पुलिस अधिकारी जीरो एफआईआर दर्ज करते हैं. बाद में जीरो एफआईआर को संबंधित पुलिस स्टेशन ट्रांसफर कर दिया जाता है, जहां उस पर आगे की कार्रवाई होती है.

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Zero FIR और e-FIR में अंतर: 

Zero FIR और e-FIR एक दूसरे से अलग है, नीचे दिए गए पॉइंट्स से आप इसके अंतर कोई समझ सकते है-             

             Zero FIR

                  e-FIR

किसी भी पुलिस स्टेशन में दर्ज की जा सकती है, चाहे घटना उस क्षेत्र में हुई हो या नहीं. 

ऑनलाइन माध्यम से पुलिस विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर दर्ज की जाती है.

पुलिस स्टेशन में जाकर शिकायत दर्ज की जाती है, और फिर इसे संबंधित पुलिस स्टेशन में ट्रांसफ़र किया जाता है.

e-FIR में व्यक्ति को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर जाकर डिजिटल रूप में शिकायत जमा करनी होती है.

यह सुविधा तब ज्यादा उपयोगी होती है जब किसी को तुरंत नजदीकी पुलिस स्टेशन जाना होता है और घटना उस क्षेत्र से बाहर हुई होती है.

e-FIR इंटरनेट की मदद से ऑनलाइन मोड में किया जाता है. 

इसमें प्राथमिकी दर्ज करने के बाद संबंधित पुलिस स्टेशन आपको जाना होगा. 

e-FIR में आपको एक ट्रैकिंग नंबर मिलता है जिससे आप केस की प्रगति को ट्रैक कर सकते है. नए नियमों के अनुसार, आपको तीन दिन के भीतर थाने जाना होगा.   

विशेष रूप से गंभीर अपराधों के मामलों में उपयोगी है.

सामान्य अपराधों की रिपोर्टिंग के लिए सुविधाजनक है, जिसे घर बैठे दर्ज किया जा सकता है.

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Bagesh Yadav
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