भारत के किन राज्यों में प्रवेश के लिए लोगों का लगता है परमिट, जानें

भारत में कुछ ऐसे राज्य भी हैं, जहां यदि आप जाने का मन बना रहे हैं, तो आपको वहां जानने के लिए एक परमिट लेना पड़ेगा। वहीं, यह परमिट वहां की सरकार द्वारा जारी किया जाएगा। कौन से हैं यह राज्य और क्यों लगता है परमिट, जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
परमिट वाले राज्य
परमिट वाले राज्य

भारत में विभिन्न राज्य हैं, जो अपनी संस्कृति के लिए जाने जाते हैं। इसमें उत्तर भारत से लेकर दक्षिण और पूर्वी से लेकर पश्चिम भारत तक के राज्य शामिल हैं। यही वजह है कि भारत को विविधताओं का देश कहा जाता है। यहां कुछ किलोमीटर पर ही भाषा और संस्कृति में बदलाव देखने को मिल जाएगा। वहीं, भारतीय संविधान के मुताबिक, किसी भी व्यक्ति को भारत में कहीं भी आने-जाने की स्वतंत्रता है। हालांकि, भारत में कुछ ऐसे राज्य भी हैं, जहां जाने के लिए आपको सबसे पहले परमिट लेना पड़ेगा। बिना परमिट के आप उस राज्य में प्रवेश नहीं कर सकते हैं। यह वहां की सरकारों का नियम है। तो, आइये जानते हैं कौन से हैं ये राज्य और कौन सा और क्यों लगता है परमिट। जानने के लिए यह पूरा लेख पढ़ें। 

 

अंग्रेज सरकार ने बनाया था कानून

अंग्रेज  सरकार ने 1873 में एक कानून बनाया था, जो कि बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन था। इसके तहत इनर लाइन परमिट(ILP) बनाया गया था। इसके तहत सरकार को शक्तियां मिलती हैं, जिससे  वह परमिट जारी करती है। 

 

किन-किन राज्यों में लेना होता है परमिट

भारत के नागालैंड, मिजोरम और अरूणाचल प्रदेश में प्रवेश करने के लिए इनर लाइन परमिट लेना होता है। वहीं, मेघालय में भी कुछ-कुछ इसी प्रकार की व्यवस्था लागू हो गई है, उधर लक्षद्वीप में भी कुछ ऐसी ही व्यवस्था देखने को मिल जाती है।

 

क्यों बनाया था कानून

अंग्रेज जब भारत आए, तो उन्होंने भारत पर कब्जा करना किया, जिससे ट्रेडिंग अधिकार अंग्रेजों के पास रहे। अंग्रेज असम तक पहुंचे और अंदर घुसना शुरू किया। उस समय यहां अलग-अलग हिल्स डिस्ट्रिक्ट थे। उन्होंने देखा कि वहां के मूल निवासी उनसे बात करने में दिलचस्पी नहीं रखते थे। अंग्रेजों ने कोशिश की वह उनसे बात करें, इसके लिए उन्होंने कई समझौते करने की कोशिश की, लेकिन बात नहीं बनी। वहीं, अग्रेंज चाहते थे जो असम का प्लेन इलाका वहां पर खेती कराई जा सके,जिसमें हस्तक्षेप नहीं हो। अंग्रेजों का मूल उद्देश्य था कि उनके द्वारा कराई जा रही व्यावसायिक गतिविधियों में किसी प्रकार का हस्तक्षेप न हो।

 

भारत ने अपनाया कानून

अंग्रेजी हुकूमत खत्म होने के बाद में भारत ने इस कानून को अपना लिया, जिससे उन राज्यों में रह रहे लोगों की संस्कृति की रक्षा की जा सके। साथ ही वहां के संसाधनों का भी दुरुपयोग न हो। 

 

कैसे बनता है आईएलपी

आईएलपी बनवाने के लिए आप अरूणाचल प्रदेश की आईएलपी वेबसाइट पर जा सकते हैं। वहीं, आप ऊपर दिए गए राज्यों के डीसी ऑफिस से भी फॉर्म ले सकते हैं। ऑनलाइन फॉर्म भरने के दौरान आपका मोबाइल नंबर भी पूछा जाएगा, जिसमें एक ओटीपी आएगा। पूरा फॉर्म भरने के बाद आपको परमिट मिल जाएगा।

 

इन श्रेणियों में मिलेगा परमिट

यदि आप आईएलपी राज्यों में जाने का मन बना रहे हैं, तो आपको अलग-अलग श्रेणी में आवेदन करना होगा। इसके लिए डोमेस्टिक श्रेणी, फोरन श्रेणी, लेबरल श्रेणी(एक साल),धर्मगुरु, छात्र,शिक्षक  और व्यवसायी की श्रेणी है।



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