भारत दुनिया में सरसों के तेल का सबसे बड़ा उत्पादक है। कृषि सीजन 2023-24 में यहां लगभग 1.2 करोड़ टन का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ। सरसों का तेल भारतीय रसोई में बहुत ज्यादा इस्तेमाल होता है, खासकर उत्तरी और पूर्वी क्षेत्रों में यह अधिक उपयोग में है। देश में बड़े पैमाने पर सरसों की खेती होती है। साथ ही, यहां तेल निकालने के पारंपरिक तरीकों ने इसे सरसों तेल उत्पादन में दुनिया का लीडर बना दिया है।
दुनिया में सरसों के तेल का सबसे बड़ा उत्पादक देश कौन है?
ताजा आंकड़ों के अनुसार, भारत सरसों तेल उत्पादन में दुनिया में सबसे ऊपर है। इसके बाद बांग्लादेश, पाकिस्तान और नेपाल जैसे देशों का स्थान आता है। इन देशों में भी सरसों का तेल खाना पकाने और औषधीय कामों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। भारत को इसका फायदा बड़े पैमाने पर बीज की खेती और तेल निकालने के व्यापक इंफ्रास्ट्रक्चर से मिलता है।
दुनिया के टॉप 5 सरसों तेल उत्पादक देश
भारत दुनिया में सरसों के तेल का सबसे बड़ा उत्पादक है। 2023-24 में यहां 1,20,00,000 टन उत्पादन हुआ।
रैंक | देश | उत्पादन (लगभग) |
1 | भारत | 1,20,00,000 टन |
2 | बांग्लादेश | 2,50,000 टन |
3 | पाकिस्तान | 2,30,000 टन |
4 | नेपाल | 2,00,000 टन |
5 | म्यांमार | 1,80,000 टन |
भारत
भारत सरसों तेल उत्पादन में सबसे आगे है। यहां राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और मध्य प्रदेश जैसे राज्य प्रमुख उत्पादक हैं। सरसों का तेल भारत में रसोई की एक अहम जरूरत है। इसका इस्तेमाल आयुर्वेद और मालिश थेरेपी में भी होता है।
बांग्लादेश
बांग्लादेश में खाना पकाने और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए सरसों का तेल पसंद किया जाता है। देश में सरसों की खेती और घरेलू तेल बनाने के काम में लगातार बढ़ोतरी देखी गई है।
पाकिस्तान
पाकिस्तान में पंजाब और सिंध क्षेत्रों में सरसों उगाई जाती है। सरसों का तेल ग्रामीण इलाकों के भोजन में काफी लोकप्रिय है। इसका उपयोग बालों की देखभाल और मालिश के लिए भी किया जाता है।
नेपाल
नेपाल सरसों के बीज और तेल का एक अहम उत्पादक है, खासकर तराई क्षेत्र में यह अधिक है। अपने छोटे आकार के बावजूद, नेपाल दक्षिण एशिया में सरसों तेल उत्पादन में खास योगदान देता है।
म्यांमार
म्यांमार में सरसों और तिल दोनों की फसलें उगाई जाती हैं। सरसों के तेल का उत्पादन ज्यादातर घरेलू खपत और सीमित निर्यात के लिए किया जाता है।
सरसों के तेल के बारे में कुछ रोचक तथ्य
-हाई स्मोकिंग पॉइंट – सरसों के तेल का स्मोकिंग पॉइंट ज्यादा होता है। इस वजह से यह डीप फ्राई करने और भूनने के लिए अच्छा माना जाता है।
-औषधीय उपयोग - आयुर्वेद में सरसों के तेल का उपयोग ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाने और मांसपेशियों के दर्द से राहत देने के लिए किया जाता है।
-तीखा स्वाद –इसकी तेज और तीखी महक 'एलील आइसोथियोसाइनेट' से आती है। यह सरसों के बीजों में पाया जाने वाला एक प्राकृतिक कंपाउंड है।
-सांस्कृतिक महत्त्व – भारत में सरसों का तेल शादी के रीति-रिवाजों, पूजा और पारंपरिक मालिश में इस्तेमाल होता है।
-हर जगह खाने योग्य नहीं – अमेरिका जैसे देशों में सरसों के तेल को खाने के लिए मंजूरी नहीं है। वहां इसके लेबल पर 'केवल बाहरी उपयोग के लिए' लिखा होता है।
पढ़ेंःयूपी के इस जिले में मौजूद है एशिया की सबसे बड़ी चीनी मिल, देखें क्या है नाम
Comments
All Comments (0)
Join the conversation