शीशे के प्रिज्म के माध्यम से प्रकाश का अपवर्तन

Jan 24, 2017, 13:06 IST

जब प्रकाश की एक किरण शीशे के प्रिज्म में प्रवेश करती है, तब यह दो बार मुड़ती है। पहले जब यह शीशे के प्रिज्म में प्रवेश करती है और दूसरा जब यह प्रिज्म से बाहर आती है। ऐसा इसलिए क्योंकि प्रिज्म की अपवर्तित सतहे एक दूसरे के समानांतर नहीं होती हैं। इसके अलावा, प्रकाश की किरण प्रिज्म के माध्यम से गुजरने पर अपने आधार की ओर झुकती है। कैसे शीशे के प्रिज्म के माध्यम से प्रकाश का अपवर्तन होता है के बारे मे अध्धयन करेंगें|

शीशे का प्रिज्म एक पारदर्शी वस्तु है जिसके दो त्रिकोणीय छोर और तीन आयताकार पक्ष होते है। शीशे का प्रिज्म में प्रकाश का अपवर्तन एक ग्लास स्लैब से अलग है। क्योंकि शीशे के प्रिज्म में प्रकाश की वृतांत किरण प्रकाश की आकस्मिक किरण  के समानांतर नहीं होती है।

जब प्रकाश की एक किरण शीशे के प्रिज्म में प्रवेश करती है, तब यह दो बार मुड़ती है। पहले जब यह शीशे के प्रिज्म में प्रवेश करती है और दूसरा जब यह प्रिज्म से बाहर आती है। ऐसा इसलिए क्योंकि प्रिज्म की अपवर्तित सतहे एक दूसरे के समानांतर नहीं होती हैं। इसके अलावा, प्रकाश की किरण प्रिज्म के माध्यम से गुजरने पर अपने आधार की ओर झुकती है।

Refractuib through glass prism
Refraction through glass prism

प्रकाश का वर्ण-विक्षेपण (Dispersion of light) :

1665 में, इसहाक न्यूटन (Isaac Newton) ने खोजा  है कि श्वेत प्रकाश मे  सात रंग होते हैं। उन्होंने खोजा कि अगर  सफ़ेद प्रकाश की एक किरण शीशे के प्रिज्म  के माध्यम से गुजरने के बाद, वह सात रंगों मे  विभाजित हो जाती है। ये रंग हैं - लाल, नारंगी, पीला, हरा, ब्लू, इंडिगो और बैंगनी  (VIBGYOR)।

श्वेत प्रकाश का स्पेक्ट्रम (Spectrum of white light) :

जब सफेद प्रकाश की एक किरण एक शीशे के प्रिज्म के माध्यम से गुजरती है तो सात रंगों के पट्टी (बैंड) का गठन करती है, इसे श्वेत प्रकाश का स्पेक्ट्रम कहा जाता है।

प्रकाश का वर्ण-विक्षेपण (Dispersion of light) :

सफेद रोशनी का एक पारदर्शी माध्यम से गुजरने पर सात रंगों में बँटने को  प्रकाश का प्रसार कहा जाता है।

श्वेत प्रकाश का फैलाव या वर्ण-विक्षेपण इसलिए होता है क्योंकि पारदर्शी माध्यम से गुजरते समय, विभिन्न रंगों की रोशनी के अपवर्तन कोण भिन्न होती है । उदाहरण के लिए, लाल रंग कम मुड़ता हैं और वर्णक्रम के ऊपरी भाग पर बनता है और बैंगनी रंग अधिक मुड़ता है और वर्णक्रम के निचले भाग पर बनता है।

Dispersion of light

Dispersion of light

स्पेक्ट्रम के रंगों का पुन: र्संयोजन (Recombination of spectrum of colours) :
रोशनी के सात रंगो के वर्णक्रम को पुन: संयोजित करके सफेद प्रकाश वापस प्राप्त कर सकते है। यह दो शीशे के प्रिज्म को एक दूसरे के पक्ष की ओर रखकर किया जा सकता है। लेकिन, दूसरे शीशे के प्रिज्म को उल्टा रखना है। जब सफेद प्रकाश पहले शीशे के प्रिज्म के माध्यम से गुजरता है तब यह प्रकाश को सात रंगों में बाँट देता है और जब प्रकाश की यह किरण शीशे के दूसरे प्रिज्म में प्रवेश करती है जो उल्टा स्थिति में रखा है, उसमें से श्वेत प्रकाश बाहर आता है। दूसरे शीशे के प्रिज्म को  उल्टा स्थिति में रखने के कारण  सात रंगो की रोशनी को पुनः संयोजित किया जाता है।

Recombination of Spectrum of colours

Recombination of spectrum of colours

इंद्रधनुष(Rainbow)
जब धूप के समय बारिश हो रही होती है तब इंद्रधनुष का गठन होता है। जब सफेद सूरज की रोशनी पर वर्षाबूंदें गिरती हैं और उन्हें छोड़ती है, उसके बाद सफेद प्रकाश अपवर्तित होती  है और आकाश में सात रंगों के एक अर्धवृत का गठन करती है। इस स्थिति में, छोटी वर्षाबूंदें सफेद सूरज की रोशनी में तेज शीशे के प्रिज्म  के रूप में काम करती हैं।

The Rainbow

The Rainbow

वायुमंडलीय अपवर्तन (Atmospheric refraction):

जब पृथ्वी के वायुमंडल के कारण अपवर्तन होता है तब उसे वायुमंडलीय अपवर्तन कहा जाता है। जब प्रकाश की किरणें वायुमंडल मे प्रवेश करती है तो वहाँ हवा मौजूद होती है और हर हवा परत का अलग अलग तापमान होता है। इन वायु परतो का अलग अलग ऑप्टिकल घनत्व है।ठंडी हवा की परत प्रकाश किरणों के लिए एक ऑप्टिकली सघन (optically denser ) माध्यम है। जबकि गर्म हवा की परत प्रकाश किरणों के लिए ऑप्टिकली विरल (optically rarer) माध्यम है।

गोलीय दर्पण से प्रकाश का परावर्तन

प्रकाश की वायुमंडलीय अपवर्तन के उदाहरण निम्न हैं:

1) सितारो की टिमटिमाहट:

रात में तारे जगमगाते है क्योंकि उनके प्रकाश में वायुमंडल अपवर्तित होता है। जब सितारों की रोशनी पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करती है, तब यह हवा के अलग अलग ऑप्टिकल घनत्व के कारण अपवर्तित हो जाती है। इसलिए, तारे एक पल में उज्ज्वल और दूसरे में मंद  दिखाई देते हैं।

2) तारे अपनी वास्तविक ऊंचाई से अधिक ऊंचे दिखाई देते हैं:

तारे से आने वाली प्रकाश जैसे ही पृथ्वी के वायुमंडल में आती है तो वह अपवर्तित हो जाती है। आकाश में अधिक ऊंचाई पर हवा विरल/हल्की होती है और पृथ्वी की सतह के निकट हवा सघन होती है। अतः जब तारे से आने वाली प्रकाश की किरण विरल हवा से सघन हवा में आती है तो अधिक झुक जाती है जिसके कारण आकाश में तारे अपनी वास्तविक ऊंचाई से अधिक ऊंचे दिखाई देते हैं।

Stars appear higher than they are

Stars appear higher than they are

3) अग्रिम सूर्योदय और विलंबित सूर्यास्त:

प्रकाश के अपवर्तन के कारण हम सूर्य को सूर्योदय से दो मिनट पहले और वास्तविक सूर्यास्त के दो मिनट बाद देखते है। सूर्योदय के समय सूर्य का प्रकाश कम घने हवा से अधिक घने हवा की ओर आता है। इस मामले में सूरज की रोशनी नीचे की तरफ अपवर्तित होती है और इस कारण सूर्य वास्तव मे जितना होता है उससे  अधिक क्षितिज के ऊपर उठा प्रकट होता है।

Advance sunrise and delayed sunset

Advance sunrise and delayed sunset

प्रकाश का प्रकीर्णन (Scattering of light)

प्रकाश को विभिन्न प्रकार के निलंबित कणों पर विभिन्न यादृच्छिक (random) दिशाओं में फेंकने पर उसके बँट जाने को प्रकाश का प्रकीर्णन कहते है।

टिंडल प्रभाव (Tyndall effect)

जब प्रकाश अपने पथ के  कणों के कारण बिखर जाता है,  उसे टिंडल प्रभाव कहते है। जिस तरह से सूरज की रोशनी एक कमरे के धूल के कणों के माध्यम से गुजर कर  दिखाई देती है, जब सूरज की रोशनी एक कैनोपी घने जंगल आदि, के माध्यम से गुजरती है, यह टिंडल प्रभाव के कारण ही होता है ।

1859 में टिंडल ने खोज की थी, कि जब सफेद प्रकाश साफ तरल श्वेत प्रकाश के माध्यम से गुजरती है जिसमे छोटे निलंबित कण है, तब श्वेत प्रकाश के नीले रंग का तरंग दैर्ध्य कम होने के कारण और यह लाल रंग जिसका तरंग दैर्ध्य ज्यादा है, से ज्यादा बिखरता है अर्थार्थ ज्यादा प्रकीर्णन होता है।

बिखरे हुए प्रकाश का रंग बिखरे हुए धूल कणों के आकार पर निर्भर करता है:

वायुमंडल में  बड़े धूल के कण और जल बूंदों के बिखरे या प्रकीर्णन होने  की वजह  से जब सफेद सूरज की रोशनी उन पर गिरती है, तब यह इस प्रकार अपवर्तित  होती है कि बिखरे हुआ प्रकाश भी सफेद दिखाई देता है। वायुमंडल में धूल के कण और जल की  बूंदें दृश्यमान प्रकाश के तरंगदैर्ध्य रेंज से बड़े होते हैं। वायुमंडल में अत्यंत छोटे हवा अणु सफेद सूरज की रोशनी के  गिरने कि वजह से मुख्य रूप से नीले प्रकाश को बिखेरतें है। क्योंकि नीला रंग कम तरंगदैर्ध्य है और यह वायु के अणुओं से बहुत अधिक है।

आकाश नीला क्यों है?

जब वायुमंडल में सूर्य के सफेद प्रकाश का फैलाव होता है, तब अधिक तरंगदैर्ध्य वाली किरणों का हवा के अणुओं के द्वारा प्रकीर्णन नहीं हो पाता है| केवल सबसे कम तरंगदैर्ध्य वाले नीले रंग के प्रकाश का प्रकीर्णन हवा के अणुओं द्वारा हो पाता है| यही कारण है कि आकाश का रंग नीला दिखाई देता है।

सूरज सूर्योदय और सूर्यास्त पर लाल क्यों दिखाई देता है?

सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सारा नीले रंग का प्रकाश बिखर जाता है और  हमारी दृष्टि से दूर हो जाता है। तो सूर्योदय और सूर्यास्त के समय मुख्य रूप से जो प्रकाश हम तक पहुंचता है वह लाल होता है जिसका तरंग दैर्ध्य ज्यादा ( longer wavelength) है।

प्रकाश का परावर्तन

Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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