भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत थे। रक्षा के क्षेत्र में रणनीतिक रूप से यह पद अति महत्त्वपूर्ण पद कहा जाता है, जो कि तीनो सेनाओं के प्रमुख होते हैं। आइए इस लेख के माध्यम से हम चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) की भूमिका और शक्तियों पर एक नजर डालें।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस)
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) तीनों सेवाओं में से किसी एक का चार सितारा जनरल होता है। यह भारत की तीन सेनाओं में से भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना में से चुने जाते हैं। सीडीएस की नियुक्ति सैन्य अधिकारी की योग्यता-सह-वरिष्ठता के आधार पर की जाती है। उनका वेतन सेना प्रमुख के वेतन के बराबर होता है।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) तीनों सेनाओं - भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना के संचालन का प्रबंधन करते हैं।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ भारत के प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री के लिए महत्वपूर्ण रक्षा और रणनीतिक मुद्दों पर सैन्य सलाहकार की भूमिका भी निभाते हैं।
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चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) तीनों सेना शाखाओं की दीर्घकालिक योजना, प्रशिक्षण, खरीद और रसद का समन्वय करते हैं।
ऐसा कहा जाता है कि सीडीएस एक दोहरी भूमिका वाला पद है। यह सीडीएस की दो भूमिकाओं को संदर्भित करता है - एक चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के स्थायी अध्यक्ष की भूमिका, जिसके सदस्य के रूप में तीनों सेना प्रमुख होते हैं (एक सैन्य भूमिका) और दूसरी रक्षा मंत्रालय में सैन्य मामलों के विभाग के प्रमुख (डीएमए) की भूमिका (एक सरकारी भूमिका)।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) के कार्य
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) के कार्य और कर्तव्य इस प्रकार हैं:
- रक्षा मंत्रालय में सैन्य मामलों के विभाग का नेतृत्व करना तथा इसके सचिव के रूप में कार्य करना।
- तीनों सेनाओं के सभी मामलों पर रक्षा मंत्री के प्रधान सैन्य सलाहकार।
-चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी का स्थायी अध्यक्ष।
- तीनों सेनाओं के संगठनों/एजेंसियों/कमांडों का प्रशासन करना।
- रक्षा मंत्री की अध्यक्षता वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद का सदस्य बनना।
- परमाणु कमान प्राधिकरण के सैन्य सलाहकार के रूप में कार्य करना।
- तीनों सेनाओं के संचालन, रसद, परिवहन, प्रशिक्षण, सहायता सेवाओं, संचार, मरम्मत और रखरखाव आदि में संयुक्तता लाना।
- बुनियादी ढांचे का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करना और सेवाओं के बीच संयुक्तता के माध्यम से इसे युक्तिसंगत बनाना।
- एकीकृत क्षमता विकास योजना के अनुसरण में पंचवर्षीय रक्षा पूंजी अधिग्रहण योजना और द्विवर्षीय रोल-ऑन वार्षिक अधिग्रहण योजनाओं को क्रियान्वित करना।
-अनुमानित बजट के आधार पर पूंजी अधिग्रहण प्रस्तावों को अंतर-सेवा प्राथमिकता प्रदान करना।
- तीनों सेनाओं के कामकाज में सुधार लाना, जिसका उद्देश्य फिजूलखर्ची को कम करके सशस्त्र बलों की लड़ाकू क्षमताओं को बढ़ाना है।
भारत में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) का इतिहास
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) पद की स्थापना का प्रस्ताव 1999 के कारगिल युद्ध के बाद कश्मीर घाटी में लाया गया था। सुब्रह्मण्यम समिति की सिफारिश पर भी विचार किया गया था, लेकिन राजनीतिक सहमति के अभाव और सैन्यकर्मियों में आशंकाओं के कारण यह कभी आगे नहीं बढ़ सका।
बाद में 2012 में नरेश चंद्र समिति ने चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी (सीओएससी) के स्थायी अध्यक्ष की नियुक्ति की सिफारिश की, लेकिन इस पर भी कोई कदम नहीं उठाया गया।
15 अगस्त 2019 को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) पद के सृजन की घोषणा की गई। 31 दिसंबर 2021 को भारतीय सेना प्रमुख के रूप में अपनी सेवानिवृत्ति से एक दिन पहले जनरल बिपिन रावत को सीडीएस के पद पर पदोन्नत किया गया। 8 दिसंबर को एक दुखद हेलिकॉप्टर दुर्घटना में उनकी मृत्यु होने तक उन्होंने भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) के रूप में कार्य किया। वर्तमान में अनिल चौहान भारत के सीडीएस हैं।
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