पूर्वी उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले में टीकाकरण अभियान के दौरान लगभग 20 लोगों को दो अलग-अलग कोविड-19 वैक्सीन की खुराक दी गईं। उन्हें अप्रैल के पहले हफ्ते में पहली डोज कोविशील्ड और मई के दूसरे हफ्ते में दूसरी डोज कोवैक्सिन की दी गई। ग्रामीणों ने साइड इफेक्ट का डर जरूर जाहिर किया है, लेकिन इनमें से अभी तक किसी भी व्यक्ति ने साइड इफेक्ट की शिकायत नहीं की है। इस मामले के सामने आने के बाद प्रशासन ने जांच के आदेश दिए हैं।
इस विषय पर नीति आयोग के सदस्य डॉक्टर वीके पॉल का कहना है कि भारतीय प्रोटोकॉल के अनुसार दोनों डोज एक ही वैक्सीन की होनी चाहिए। यदि दूसरी डोज़ में अगर अलग वैक्सीन लग जाए तो चिंता की बात नहीं है। हालांकि, उनका कहना है कि इस मामले की जांच होनी चाहिए।
इससे पहले महाराष्ट्र के जालना जिले में ऐसा ही मामला आया था जहां एक बुजुर्ग को दो अलग-अलग वैक्सीन लगा दी गई थीं। दत्तात्रेय वाघमरे (72) ने 22 मार्च को कोवैक्सीन की पहली डोज ली थी जबकि 30 अप्रैल को उन्हें कोविशील्ड की डोज दे दी गई थी। इस घटना के बाद उन्होंने हल्के दुष्प्रभाव की शिकायत की थी।
दो अलग-अलग कोविड-19 वैक्सीन की डोज लेने पर क्या होता है?
डॉक्टर वीके पॉल के अनुसार, वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो दो अलग-अलग वैक्सीन की डोज लगना संभव है और भारत समेत अन्य देशों में इससे जुड़े अध्ययन पर नजर रखी जा रही है।
बीबीसी ने इस महीने अपनी एक रिपोर्ट में इससे जुड़े अध्ययन के प्रारंभिक निष्कर्षों की सूचना दी। इस रिपोर्ट के अनुसार, जिन्हें दोनों डोस एस्ट्राजेनेका की चार सप्ताह के अंतराल पर दी गईं , उनमें 10 में से एक वॉलंटियर ने दुष्प्रभाव महसूस किया। वहीं, जिन्हें किसी भी क्रम में, एक खुराक एस्ट्राजेनेका और दूसरी फाइजर की दी गई, उनमें 34% लोगों ने दुष्प्रभाव महसूस किए।
दो अलग-अलग कोविड-19 वैक्सीन को मिलाने पर क्या होता है?
डॉक्टर पॉल के अनुसार, ये निश्चित तौर पर नहीं कहा जा सकता कि डोज मिक्स करनी चाहिए क्योंकि अभी इसके लिए वैज्ञानिक साक्ष्य नहीं हैं। ये समय आने पर पता चलेगा कि भविष्य में ऐसा संभव होगा या नहीं। यह अंतरराष्ट्रीय शोधों, विश्व स्वास्थ्य संगठन के निष्कर्षों पर निर्भर करेगा। बता दें कि भारतीय विशेषज्ञ भी इस पर शोध कर रहे हैं।
इससे जुड़े एक अध्ययन के शुरुआती निष्कर्शों में ये पाया गया कि जिन मरीजों को वैक्सीन की दोनों खुराक मिलाकर लगाई गईं, उनमें दुष्प्रभाव जैसे थकान और सिरदर्द में वृद्धि हुई है। इसके साथ ही अभी वैज्ञानिक इस नतीजे पर नहीं पहुंचे हैं कि इस तरह की वैक्सीन कोविड-19 से लड़ने में कितनी सक्षम है।
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