भारत में शुरू से ही नदियों का विशेष महत्व रहा है। नदियां लोगों की आस्था का केंद्र होने के साथ-साथ लोगों की जरूरतों को पूरा करने का भी काम कर रही हैं।
पहाड़ों की दुर्गम चोटियों से निकलने के बाद कई किलोमीटर दरारों और घाटियों में सफर कर ये नदियां मैदानी इलाकों में पहुंचती हैं, जहां से पीने के पानी से लेकर कृषि व अन्य जरूरतों को पूरा किया जाता है।
वहीं, इन नदियों के ऊपर विभिन्न परियोजनाओं के माध्यम से बड़े-बड़े बांध बनाए जा रहे हैं, जिससे बिजली उत्पादन कर लोगों की जरूरत को पूरा किया जा रहा है।
भारत में अधिकांश नदियां पूर्व की ओर बहती हैं, हालांकि कुछ नदियां हैं, जो कि पश्चिम दिशा की ओर बहती हैं।
क्या आपको इन नदियों के बारे में जानकारी है। यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
कौन-सी हैं पश्चिम दिशा में बहने वाली नदियां
भारत में पश्चिम दिशा में बहने वाली अलग-अलग नदियां हैं, जिनमें नर्मदा और ताप्ती प्रमुख नदियां हैं। ये दोनों नदियां ही पश्चिम दिशा में बहते हुए अरब सागर में जाकर मिल जाती हैं।
इन नदियों की खास बात यह है कि ये नदियां कोई घाटी नहीं बनाती हैं, बल्कि दरारों, भ्रंश घाटियों और गर्तों से बहती हुई अरब सागर में जाकर मिल जाती हैं।
ये नदियां नहीं बनाती हैं डेल्टा
पश्चिम दिशा की ओर बहने वाली ताप्ती और नर्मदा नदी सागर में गिरने से पहले किसी डेल्टा का निर्माण नहीं करती हैं।
इसकी प्रमुख वजह यह है कि ये नदियां कठोर चट्टानों से होकर बहती हैं, वहीं इनकी सहायक नदियां बहुत छोटी हैं।
ऐसे में इस नदी में गाद इकट्ठा नहीं होता है और यह सीधे अरब सागर में जाकर गिरती हैं।
ये भारत की ऐसी नदियां हैं, जो डेल्टा का निर्माण नहीं करती हैं। आपको बता दें कि पूर्व दिशा की ओर बहने वाली गंगा नदी बंगाल की खाड़ी के पास जाकर सुंदरवन डेल्टा का निर्माण करती है।
ये नदियां भी पश्चिम की ओर बहती हैं
पश्चिम दिशा की ओर बहने वाली नदियों में नर्मदा और ताप्ती के अलावा लूनी, घाघर, माही और साबरतमी नदी शामिल है।
ये नदियां स्थानीय स्तर पर लोगों की जरूरत को पूरा करते हुए अरब सागर में जाकर मिल जाती हैं। साथ ही इन नदियों की लंबाई भी कम है।
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