अस्थमा आजकल एक आम बीमारी होती जा रही हैं परन्तु ये काफी गंभीर स्वास्थ्य समस्या है. आजकल बच्चों में ये बीमारी काफी देखने को मिल रही है. अस्थमा को दमा भी कहते हैं. जिस तरह से वातावरणीय प्रदूषण बदल रहा है, खान-पान में मिलावट आदि के चलते अस्थमा के मरीजों की संख्या में वृध्दि हो रही हैं. आजकल ये बिमारी बच्चों में अधिक फैल रही है. आइये इस लेख के माध्यम से अध्यन करते हैं आखिर अस्थमा क्या है, कैसे होता है, इसके क्या लक्षण हैं आदि.
अस्थमा क्या है?
अस्थमा या दमा श्वसन तंत्र या फेफड़ों से सम्बंधित बिमारी है. इसमें सांस की नली ब्लॉक या पतली हो जाती हैं जिसके कारण सांस लेना मुश्किल हो जाता है. इसके कारण छोटी-छोटी सांस लेनी पड़ती है, छाती में कसाव जैसा महसूस होता है, सांस फूलने लगता है, खाँसी आती है आदि.
ये समस्या जुखाम, कोल्ड कफ के दौरान अधिक हो जाती है क्योंकि कफ से सांस की नली और संकरी हो जाती है. सुबह या रात में अकसर खाँसी का दौरा पड़ता है. यह बिमारी किसी को भी हो सकती है. अस्थमा किस प्रकार का है, कितना गंभीर है व्यक्ति से व्यक्ति अलग हो सकता है. कुछ लोगों को इससे अधिक समस्या नहीं होती है परन्तु कुछ को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
अस्थमा कितने प्रकार का होता है?
अस्थमा या दमा की बीमारी दो प्रकार की हो सकती है: विशिष्ट (specific) और गैर विशिष्ट (non-specific).
विशिष्ट (specific) प्रकार के अस्थमा के रोग में सांस लेने में समस्या एलर्जी के कारण होती है दूसरी तरफ गैर विशिष्ट ( non-specific) अस्थमा एक्सरसाइज़, मौसम के प्रभाव या आनुवांशिक प्रवृत्ति (genetic predisposition) के कारण होता है. अगर किसी को परिवार में आनुवांशिकता के तौर पर अस्थमा की बीमारी है तो इसके होने की संभावना अधिक हो जाती है. अस्थमा बिमारी का कोई इलाज नहीं है परन्तु इसके लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है.
हीमोफीलिया रोग क्या है और कितने प्रकार का होता है?
अस्थमा होने का कारण
अस्थमा या दमा होने के कई कारण हो सकते हैं जिसमें मुख्य है वायु प्रदूषण. इस बिमारी के कारण सांस की नली में सूजन आजाती है या आसपास की माश्पेशियों में कसाव होता है. जिसके कारण हवा का आवागमन अच्छे से नहीं हो पता है.
क्या आप जानते हैं कि अस्थमा के मरीज़ों को सांस् लेने से ज्यादा सांस छोड़ने में दिक्कत होती है. एलर्जी होने के कारण सांस की नली में बलगम बनने लगता है. अन्य अस्थमा होने के कारण इस प्रकार हैं:
- घर में या उसके आसपास धूल का होना
- घर में पालतू जानवर का होना
- वायु प्रदूषण
- perfumed cosmetics का इस्तेमाल करना
- सर्दी, फ्लू ब्रोंकाइटिस (bronchitis) और साइनसाइटिस (sinusitis) का संक्रमण
- ध्रूमपान
- तनाव या भय के कारण
- सर्दी के मौसम में अधिक ठंड होने के कारण
- अधिक मात्रा में जंक फूड खाने के कारण
- ज्यादा नमक खाने के कारण
- आनुवांशिकता (heredity) के कारण आदि.
अस्थमा के लक्षण
अस्थमा माने सांस लेने में दिक्कत. यह रोग अचानक से शुरू हो सकता है इसके शुरू होने के लक्षण इस प्रकार हैं:
- खांसी, छींक या सर्दी जैसी एलर्जी
- सीने में खिचाव या जकड़न का महसूस होना
- सांस लेते वक्त घरघराहट जैसी आवाज का आना
- बैचेनी जैसा महसूस होना
- सिर का भारी होना और थकावट लगना
- उल्टी का होना आदि
क्या आप जानते हैं कि अस्थमा और ब्रोंकाइटिस के लक्षण समान होते हैं लेकिन कारण अलग-अलग होते हैं.
अस्थमा और ब्रोंकाइटिस दोनों में सांस की नली में सूजन आजाती हैं जिससे सीने में जकड़न, खांसी और सांस लेने में दिक्कत होती है. तम्बाकू का धुंआ, प्रदूष्ण, वायरस या पर्यावरणीय कारक ब्रोंकाइटिस का कर्ण बन सकते हैं.
ब्रोंकाइटिस में सांस लेने में दिक्कत के साथ खांसी और बलगम अधिक आता है. ये बलगम पीला या हरा हो सकता है. इसमें ठंड लगती है, बुखार हो जाता है, शरीर में दर्द होता है आदि. ये सब कुछ दिनों तक होता है जब तक संक्रमण ठीक नहीं हो जाता. परन्तु क्रोनिक ब्रॉन्काइटिस के लक्षण लंबे समय तक रहते हैं.
तो हमने देखा कि अस्थमा को दमा भी कहते है. इसमें सांस की नली में सूजन आजाती हिया जिससे सांस लेने में दिक्कत होती है. इसका कोई इलाज नहीं हैं परन्तु इसके लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation