बॉम्बे ब्लड ग्रुप क्या होता है और इसकी खोज किसने की थी?

Sep 20, 2017, 17:46 IST

क्या आपने ऐसे ब्लड ग्रुप के बारे में सुना या पढ़ा है जिसे रयर ऑफ द रेयरेस्ट भी कहा जाता है. जो काफी मुश्किलों से मिलता है. यह O नेगेटिव नहीं है बल्कि इसे बॉम्बे ब्लड कहते है. क्या होता है ये, कैसे बनाता है यह ब्लड, कहा पाया जाता है, इसे बॉम्बे ब्लड क्यों कहते है आदि के बारे में इस लेख के माध्यम से अध्ययन करेंगे.

What is Bombay Blood Group and how it is discovered?
What is Bombay Blood Group and how it is discovered?

सामान्य रूप से ऐसा माना जाता है कि सबसे दुर्लभ रक्त समूह O नेगेटिव होता है, जो बहुत मुश्किल से मिलता है क्योंकि यह रक्त चुनिंदा लोगों में ही पाया जाता है. परन्तु O नेगेटिव रक्त समूह से भी दुर्लभ एक ऐसा रक्त समूह है जो लाखो लोगों में से किसी एक में पाया जाता है और उसका नाम बॉम्बे ब्लड ग्रुप है. इस रक्त समूह को रेयर ऑफ द रेयरेस्ट रक्त समूह भी कहते है.
जरूरतमंदों को रक्तदान करना और उनके जीवन को बचाना पुण्य का काम है. रक्तदान करने से पहले चिकित्सक रक्त समूह की जांच करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं की वह व्यक्ति रक्तदान कर सकता है या नहीं. सामान्य रूप से रक्त समूह 4 प्रकार के होते हैं- A,B,AB और O. रक्त दान करने से पहले रक्त समूह का मिलान करना अनिवार्य है वरना यह जानलेवा भी हो सकता है या परेशानियों को भी बढ़ा सकता है. इस लेख में हम मानव शरीर में पाए जाने वाले सबसे दुर्लभ रक्त समूह "बॉम्बे ब्लड ग्रुप" के बारे में अध्ययन करेंगे.
बॉम्बे ब्लड ग्रुप क्या होता है?
यह रेयरेस्ट ऑफ रेयर ब्लड टाइप विश्व में सिर्फ 0.0004 फीसदी लोगों में ही पाया जाता है. भारत में 10,000 लोगों में केवल एक व्यक्ति का ब्लड बॉम्बे ब्लड टाइप होगा. इसे Hh ब्लड टाइप भी कहते है या फिर रेयर ABO ग्रुप ब्लड. डॉक्टर वाई एम  भेंडे ने 1952 में इसकी सबसे पहले खोज की थी. इसको बॉम्बे ब्लड इसलिए कहा जाता है क्योंकि सबसे पहले यह बॉम्बे के कुछ लोगों में पाया गया था. इस ब्लड टाइप के भीतर पाई जाने वाली फेनोटाइप रिएक्शन के बाद यह पता चला की इसमें एक H एंटीजेन होता है. इससे पहले इसे कभी नहीं देखा गया था. अधिक समझने के लिए इनकी लाल कोशिकाओं (RBC) में एबीएच एंटीजन होते हैं और उनकी सीरा में एंटी-ए, एंटी-बी और एंटी-एच होते है. एंटी-एच को ABO समूह में नहीं खोजा गया है, लेकिन प्रीट्रांसफ्यूज़न टेस्ट में इसके बारे में पता चला है. यही H एंटीजन ABO ब्लड समूह में बिल्डिंग ब्लॉक का काम करते है. एच एंटीजन की कमी "बॉम्बे फेनोटाइप" के रूप में जानी जाती है.
बॉम्बे ब्लड वाला व्यक्ति किस-किस से ब्लड ले सकता है और दे सकता है
बॉम्बे ब्लड ग्रुप वाला व्यक्ति ABO ब्लड ग्रुप वाले को ब्लड दे सकता है. परन्तु इनसे ब्लड ले नहीं सकता है. यह सिर्फ अपने ही ब्लड ग्रुप यानी Hh ब्लड टाइप वालों से ही ब्लड ले सकता हैं.

जानें किस ब्लड ग्रुप के व्यक्ति का स्वभाव कैसा होता है
बॉम्बे ब्लड टाइप कहा मिलता है
अक्सर देखा गया है कि यह ब्लड ग्रुप टाइप करीबी ब्लड रिलेशन वाले लोगों में ही पाया जाता है. बॉम्बे में इस फेनोटाइप को रखने वाले व्यक्ति मात्र 0.01 फीसदी होंगे. अगर माता पिता का ब्लड बॉम्बे ब्लड टाइप है तो ऐसी संभावना है कि बच्चे का ब्लड टाइप भी Hh होगा.
आइये देखते है ब्लड समूहीकरण (Blood Grouping) के बारे में
वर्ष 1900-1902 में, के. लैंडस्टीनर ( K. Landsteiner) ने मनुष्य के रक्त को चार समूहों– A, B, AB और O में बांटा था. O को छोड़ कर A, B, AB समूहों की कोशिकाओं में अनुरूपी एंटीजेन्स होते हैं. इसलिए O किसी भी समूह को अपना खून दे सकता है और यूनिवर्सल डोनर कहलाता है.AB समूह को यूनिवर्सल रेसिपिएंट कहते हैं क्योंकि यह A, B, AB और O सभी रक्त समूह से रक्त ले सकता है.

रक्त समूह

को रक्त दे सकता है

से रक्त ले सकता है

A

A,B

A और O

B

B, AB

B और O

AB

सिर्फ AB

AB, A, B और O

O

AB, A, B और O

सिर्फ O

Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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