DRDO ने नौसैनिक पोतों को मिसाइल हमले से बचाने के लिए एडवांस्ड चैफ़ प्रौद्योगिकी विकसित की है? चैफ़ टेक्नोलॉजी क्या है?

Apr 14, 2021, 17:35 IST

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने दुश्मन के मिसाइल हमले के खिलाफ नौसैनिक पोतों की सुरक्षा के लिए एक एडवांस्ड चैफ़ प्रौद्योगिकी (Advance Chaff Technology) विकसित की है और इसे आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया गया है. आइये इस लेख के माध्यम से चैफ टेक्नोलॉजी के बारे में विस्तार से अध्ययन करते हैं.

What is Chaff technology?
What is Chaff technology?

DRDO ने प्रतिकूलताओं से भविष्य के खतरों से बचने के लिए विशेषज्ञता प्राप्त की है. उद्योग को बड़ी मात्रा में उत्पादन के लिए प्रौद्योगिकी दी जा रही है. हाल ही में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने दुश्मन के मिसाइल हमले के खिलाफ या  मिसाइल हमले से बचने के लिए नौसैनिक पोतों की सुरक्षा के लिए एक एडवांस्ड चैफ़ प्रौद्योगिकी (Advance Chaff Technology) विकसित की है. या यू कहें कि एक प्रकार का कवच तैयार किया है.

यह कवच एडवांस्ड चाफ टेक्नोलॉजी पर आधारित है. यह दुश्मन के रडार को भ्रमित करेगा और मिसाइलें जो जहाज की और बढ़ रही होंगी उनकी दिशा बदलने में मदद करेगा. DRDO द्वारा लिया गया यह कदम आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया गया है. 

इस प्रौद्योगिकी को कहां विकसित किया गया है?

DRDO प्रयोगशाला, डिफेंस लेबोरेटरी जोधपुर (DLJ) ने इस महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी के तीन प्रकारों को विकसित किया है, जिसका नाम है कम दूरी की मारक क्षमता वाला चैफ़ रॉकेट (Short Range Chaff Rocket , SRCR), मध्यम रेंज चैफ़ रॉकेट (Medium Range Chaff Rocket, MRCR) और लम्बी दूरी की मारक क्षमता वाला चैफ़ रॉकेट (Long Range Chaff Rocket, LRCR). यह भारतीय नौसेना की गुणात्मक आवश्यकताओं को पूरा करते हैं.

हाल ही में, भारतीय नौसेना ने अपने जहाज पर अरब सागर में तीनों वेरिएंट का परीक्षण किया और प्रदर्शन संतोषजनक पाया.

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आइये अब चैफ़ प्रौद्योगिकी (Chaff Technology) के बारे में जानते हैं

चैफ़ एक अप्रतिरोधी विस्तार योग्य इलेक्ट्रॉनिक जवाबी प्रौद्योगिकी (Passive expendable electronic countermeasure technology) है जिसका उपयोग दुश्मन के रडार और रेडियो फ्रीक्वेंसी (RF) मिसाइल सीकर से नौसेना के जहाजों की रक्षा के लिए किया जाता है.

इस टेक्नोलॉजी के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि यह दुश्मन की मिसाइलों को डिफ्लेक्ट करने के लिए या मिसाइल हमले से बचाने के लिए हवा में छोड़ा जाता है और यह बहुत कम चैफ़ मैटेरियल का उपयोग करती है. 

यह टेक्नोलॉजी अब बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए तैयार है. DRDO की इस उपलब्धि के लिए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय नौसेना और उद्योगों को बधाई दी. 

चैफ़ (Chaff) में एल्युमिनियम (Aluminum) या ज़िंक (Zinc) की छोटी स्ट्रिप्स का इस्तेमाल किया जाता है. ये धातु के बादल मिसाइल के रडार के लिए अलग लक्ष्य के रूप में दिखाई देते हैं और आदर्श रूप से मिसाइल को भ्रमित करते हैं, इस प्रकार विमान को भागने की अनुमति देते हैं. यानी आसानी से दुश्मन की मिसाइल को इसकी सहायता से रास्ते से भटकाया जा सकता है.

चैफ़ प्रौद्योगिकी का महत्व क्या है?

DRDO के अनुसार, बहुत कम मात्रा में चैफ़ सामग्री को हवा में छोड़ा जाएगा. यह हमारे जहाजों की सुरक्षा के लिए हमलावर मिसाइलों को विक्षेपित करने के लिए एक क्षय के रूप में कार्य करेगा.

DRDO ने इस पर अब विशेषज्ञता प्राप्त कर ली है जो दुश्मनों से भविष्य के खतरों को बचाने में मदद करेगा.  

रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और DRDO के अध्यक्ष डॉक्टर जी. सतीश रेड्डी ने भारतीय नौसैनिक पोतों की सुरक्षा के लिए अति महत्वपूर्ण इस प्रौद्योगिकी के स्वदेश में विकास से जुड़े समूहों के प्रयासों की प्रशंसा भी की है.

Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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