व्हाट्सएप का ‘चेकपॉइंट टिपलाइन’ और उसका महत्व क्या है?

Apr 5, 2019, 13:19 IST

क्या आप व्हाट्सएप द्वारा अनावरण किए गए चेकपॉइंट टिपलाइन के बारे में जानते हैं? टिपलाइन की मुख्य विशेषताएं और महत्व क्या हैं, आखिर व्हाट्सएप इस फीचर को चुनावों से पहले क्यों ला रहा है, इत्यादि. आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं.

What is 'Checkpoint Tipline' by WhatsApp?
What is 'Checkpoint Tipline' by WhatsApp?

आजकल जिस प्रकार से फर्जी खबरें और अफवाहें दिन पर दिन सोशल मीडिया पर बढ़ती जा रही हैं, ये कभी-कभी भावनाओं को प्रभावित करती हैं और लोगों को गलत जानकारी भी प्रदान करती हैं. इन सभी चीजों को रोकने के लिए व्हाट्सएप ने एक नई पहल का खुलासा किया, जिसे ‘चेकपॉइंट टिपलाइन’ के रूप में जाना जाता है. यह सत्यापित करने में लोगों की सहायता करेगा कि उन्हें प्राप्त कोई जानकारी सही है या गलत. इसलिए, इस सुविधा के माध्यम से लोग देश में आगामी आम चुनाव के दौरान नकली समाचारों पर अंकुश लगाने के लिए संदेश के माध्यम से प्राप्त होने वाली जानकारी की प्रामाणिकता की जांच कर सकेंगे.

चेकपॉइंट टिपलाइन फीचर किसने लॉन्च किया है?

फेसबुक, व्हाट्सएप पर मालिकाना हक रखने वाली कंपनी के अनुसार यह फीचर  PROTO द्वारा लॉन्च किया गया है जो एक भारत-आधारित मीडिया स्किलिंग स्टार्टअप है और मूल रूप से टिपलाइन का उद्देश्य अफवाहों और गलत जानकारियों का एक डेटाबेस बनाना है. मुख्य तौर पर इसका काम गलत सूचनाओं का अध्ययन करना है जो चुनावों के दौरान फैलती हैं. यानी इसके जरिये चुनावों के समय 'चेकपॉइंट' के लिए इन जानकारियों का अध्ययन किया जा सकेगा. यह परियोजना एक शोध पर आधारित है जिसे व्हाट्सएप द्वारा कमीशन और तकनीकी रूप से सहायता प्रदान की जा रही है.

अब, सवाल उठता है कि गलत सूचनाओं को कहाँ प्रस्तुत किया जाएगा?

कंपनी के अनुसार, भारत में, लोग व्हाट्सएप के +91-9643-000-888 नंबर पर 'चेकपॉइंट टिपलाइन' पर मिलने वाली गलत सूचनाओं या अफवाहों को भेज सकते हैं.

मोबाइल वॉलेट क्या है और यह कैसे काम करता है?

यह फीचर आखिर काम कैसे करेगा?

- व्हाट्सएप के उपयोगकर्ता प्राप्त सूचनाओं को मैसेजिंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से जमा कर सकते हैं और इसे व्हाट्सएप (+ 91-9643-000-888) 'टिपलाइन’ पर भेज सकते हैं.

- जानकारी प्राप्त करने के बाद, PROTO का प्रमाणन केंद्र उपयोगकर्ता को जवाब देने और सूचित करने की कोशिश करेगा कि प्राप्त जानकारी सही है या नहीं.

- प्रोटो के प्रमाणन केंद्र की प्रतिक्रिया वर्गीकृत करेगी कि क्या जानकारी सही, गलत, भ्रामक, विवादित या दायरे से बाहर में से किया गया है और इसमें उपलब्ध कोई अन्य जानकारी शामिल है या नहीं.

- वास्तव में प्रमाणन केंद्र, तस्वीरों, वीडियो लिंक या लिखित संदेश के रूप में अफवाहों की समीक्षा करने में सक्षम होगा. आपको बता दें कि यह अंग्रेजी के अलावा चार अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के संदेशों कि पुष्टि कर सकता है जिनमें हिंदी, तेलुगु, बंगाली और मलयालम हैं.

यहां, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि चुनाव अवधि के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में फैल रहीं गलत सूचनाओं को प्रस्तुत करने के लिए PROTO जमीनी स्तर पर संगठनों के साथ काम करेगा.

क्या आप जानते हैं की जब अधिक डेटा प्रवाहित होगा तब सबसे अधिक अतिसंवेदनशील या प्रभावित जानकारी, स्थानों, भाषाओं, क्षेत्रों इत्यादि की पहचान करना आसान होगा.

व्हाट्सएप के 'चेकपॉइंट टिपलाइन' का क्या महत्व है?

- जैसा कि, चुनाव की अवधि के दौरान, यह देखा जाता है कि संदेश के माध्यम से कई गलत सूचनाओं को अग्रेषित किया जाता है जो लोगों के बीच उपद्रव पैदा करती हैं, लेकिन यह पहली बार नहीं है कि वैश्विक स्तर पर उपयोगकर्ताओं द्वारा सूचनाओं को फिल्टर करने कि कोशिश कर रहा है जो कि लोगों द्वारा  आदान-प्रदान कि जा रही हैं. इसमें कोई संदेह नहीं है कि कंपनी भारत में फर्जी खबरों को फैलने से रोकने के लिए आगामी 2019 चुनावों में इस पर अंकुश लगाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठा रही है.

- यहीं आपको बता दें की पांच-सीमित सीमा (five-forward limit), सामाजिक अभियानों (social campaigns) और गलत सूचनाओं या फर्जी खबरों पर रोक लगाने के लिए 'टिपलाइन' सहित कई प्रयास किए जा रहे हैं.

- इसके साथ, प्रोटो भी इस परियोजना के डिजाइन और संचालन से अन्य संगठनों को सीखने में मदद करने के लिए इंटरनेशनल सेंटर फॉर जर्नलिस्ट्स को सीखने की पेशकश करने की योजना भी बना रहा है.

इतना ही नहीं व्हाट्सएप अखबारों में विज्ञापन देने के साथ-साथ टेलीविजन और रेडियो अभियान चलाने, गलत सूचनाओं पर अंकुश लगाने के तरीकों को भी पेश करता आ रहा है.

इसलिए, ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि ‘चेकपॉइंट टिपलाइन’, भारत में आगामी लोकसभा 2019 चुनावों के लिए व्हाट्सएप के माध्यम से उपयोगकर्ताओं के बीच गलत सूचना या फर्जी खबरों के प्रवाह को रोकने के लिए प्रोटो द्वारा भारत में शुरू की गई एक सुविधा है. यह व्हाट्सएप द्वारा कमीशन और तकनीकी रूप से सहायता प्राप्त एक अनुसंधान परियोजना है. इससे लोगो तक पहुंचने वाली गलत जानकारियों को रोका जा सकेगा और चुनावों के दौरान भी देश का माहोल सही बना रहेगा.

Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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