बीते दिनों बनारस के बनारसी पान, बनारसी लंगड़ा आम और रामनगर के भंटा(बैंगन) को GI Tag मिला है। इसके साथ ही टैग में चंदौली जिले के आदमचीनी चावल को भी शामिल किया गया है, जिसके बाद उत्तरप्रदेश में कुल जीआई टैग की संख्या 45 हो गई है। इसके साथ ही एक बार फिर जीआई टैग चर्चाओं में शामिल हो गया है। हालांकि, सवाल यह है कि आखिर यह होता क्या है और किस प्रकार दिया जाता है। साथ ही एक बार दिए जाने के बाद यह कितने सालों तक वैध होता है। इस लेख के माध्यम से हम आपको इन सभी सवालों का जवाब देने जा रहे हैं। जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
क्या होता है GI Tag
GI Tag की फुलफॉर्म Geographical Indications होती है। World Intellectual Property Organisation(WIPO) के मुताबिक, जीआई टैग एक लेबल है। इसके तहत किसी भी इलाके में किसी उत्पाद को एक विशेष भूगौलिक पहचान दी जाती है। भारत में इसके इतिहास की बात करें, तो इसका इतिहास साल 1999 का है। इस वर्ष Registration and Protection Act के तहत जीआई टैग गुड्स की शुरुआत हुई थी। इसके तहत भारत में किसी भी इलाके की वस्तु को उसकी विशेषता और भूगौलिक स्थिति को देखते हुए उस स्थान का जीआई टैग दिया जाता है, जिससे उस राज्य या जिले में संबंधित वस्तु का कानूनी अधिकारी हो जाता है। इससे उस वस्तु को कोई भी दूसरा राज्य या जिला अपने यहां का बताकर नहीं बेच सकता है। वहीं, भारत में जिस उत्पाद को पहला जीआई टैग मिला था, वह दार्जिंलिंग की चाय थी।
दिया जाता है पंजीकरण नंबर
जीआई टैग देने के लिए सबसे पहले देखा जाता है कि जिस वस्तु का उत्पादन हो रहा है, उसके उत्पादन में वहां की भूगौलिक स्थिति का कितना योगदान है। इसके साथ ही वस्तु की गुणवत्ता और उसकी संख्या पर भी ध्यान दिया जाता है। सभी पैमाने पर जांच होने के बाद वस्तु को एक पंजीकरण नंबर देने के साथ संबंधित जिले के साथ जीआई टैग दिया जाता है।
कितने साल तक होता है वैध
एक बार जीआई टैग मिलने पर उसकी वैलिडिटी हमेशा के लिए नहीं होती है, बल्कि इसकी एक सीमा होती है। एक बार जीआई टैग मिलने पर वह 10 वर्षों तक वैध होता है। यदि कोई जिला अपने उत्पाद की जीआई टैग की अवधि बढ़ाना चाहता है, तो वह फिर से आवेदन कर सकता है।
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