राष्ट्रीय ग्रीन इंडिया मिशन जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने के लिए भारत के आठ मिशनों में से एक है। इसे फरवरी 2014 में सुरक्षा के लिए लॉन्च किया गया था; अनुकूलन और शमन उपायों के संयोजन से भारत के कम होते वन आवरण को बहाल करना और जलवायु परिवर्तन के खतरे से निपटने के लिए तैयार करना।
इस मिशन के माध्यम भारत अपने घटते वन क्षेत्र का संरक्षण, पुनर्वनीकरण और वन क्षेत्र में वृद्धि करना चाहता है। साथ ही अनुकूलन एवं शमन उपायों के द्वारा जलवायु परिवर्तन का सामना करने के लिए तैयार होना चाहता है।
राष्ट्रीय ग्रीन इंडिया मिशन के उद्देश्य
1. भारत के घटते वन आवरण की रक्षा, पुनर्स्थापन और संवर्द्धन करना।
2. अनुकूलन के संयोजन के साथ-साथ शमन उपायों के माध्यम से जलवायु परिवर्तन का जवाब देना।
3. वन आधारित आजीविका आय में वृद्धि करना।
4. वर्ष 2020 में वार्षिक कार्बन अनुक्रम में 50 से 60 मिलियन टन की वृद्धि करना।
राष्ट्रीय ग्रीन इंडिया मिशन के लक्ष्य
1. वन तथा वृक्ष क्षेत्र को 5 मिलियन हेक्टेयर तक बढ़ाते हुए इतने ही क्षेत्र के वृक्षों तथा वनों की गुणवत्ता में सुधार लाकर 3 मिलियन परिवारों की वन आधारित आजीविका आय में वृद्धि करना है।
2. सभी प्रकार की भूमि जैसे-ग्राम की जमीन, सामुदायिक भूमि, झूम कृषि क्षेत्र, आर्द्रभूमि और निजी खेती वाली जमीन इसके अंतर्गत वनारोपण हेतु अनुमन्य है।
3. इस मिशन के अंतर्गत विभिन्न पारिस्थितिकी सेवाओं जैसे- जैव विविधिता, जल, बायोमास (जैव ईंधन), मैंग्रोव संरक्षण, आर्द्र,भूमि, संकटग्रस्त प्राकृतिक आवास आदि को प्रमुखता दी जाएगी।
4. यह मिशन विकेंद्रीकृत भागीदारी प्रक्रिया के माध्यम पूरा किया जायेगा जिसमें जमीनी स्तर के संगठनों तथा स्थानीय समुदायों के द्वारा योजना निर्माण, निर्णय प्रक्रिया, कार्यक्रम के क्रियान्वयन तथा इसकी निगरानी का कार्य किया जाएगा।
5. इस मिशन की निगरानी 4 स्तरों पर की जाएगी जिसमें मुख्यतः स्थानीय समुदायों तथा कर्मचारियों द्वारा स्वत: निगरानी, रिमोट (दूरवर्ती) सेंसिंग (समझ) तथा भौगोलिक सूचता तंत्र (जीआईएस) और किसी अन्य तीसरी संस्था से निगरानी करवाना शामिल है।
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राष्ट्रीय ग्रीन इंडिया मिशन के घटक
1. "हरियाली" (वृक्षारोपण की तुलना में व्यापक) के लिए समग्र दृष्टिकोण: मिशन की परिकल्पना है कि हरियाली पेड़ों और वृक्षारोपण से परे जाएगी ताकि हरियाली संरक्षण और बहाली दोनों को समाहित कर ले।
2. 'भेद्यता' और 'संभावित' हस्तक्षेप के मानदंड: मिशन की परिकल्पना है कि सबसे पहले परियोजना क्षेत्रों / उप परिदृश्यों / उप-जलक्षेत्रों का पता लगाएं ताकि वे क्षेत्र मिशन की सेवाओं द्वारा अपने कार्बन सिंक को बढ़ा सके।
3. कार्यान्वयन के लिए एकीकृत क्रॉस-सेक्टोरल दृष्टिकोण: मिशन एक एकीकृत दृष्टिकोण को बढ़ावा देगा जो जंगलों व गैर-वन सार्वजनिक भूमि के साथ-साथ निजी भूमि के साथ-साथ परियोजना इकाइयों / उप परिदृश्य / उप-जलक्षेत्रों में व्यवहार करता है। आजीविका निर्भरता, उदाहरण के लिए जलाऊ लकड़ी की जरूरत और पशुधन चराई, अंतर-क्षेत्रीय अभिसरण (जैसे, पशुपालन, वन, कृषि, ग्रामीण विकास और ऊर्जा) का उपयोग करके संबोधित किया जा सके।
राष्ट्रीय ग्रीन इंडिया मिशन भारत सरकार की एक अद्भुत पहल है क्योंकि इस मिशन के तहत भारत अपने घटते वन क्षेत्र का संरक्षण, पुनर्वनीकरण और वन क्षेत्र में वृद्धि कर सकेगा जो जलवायु परिवर्तन के वैश्विक खतरे से निपटने में मददगार साबित होगा।
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