Postal Ballot New Rule: केंद्र सरकार ने हाल ही में चुनाव आयोग के परामर्श से, पोस्टल वोटिंग की न्यूनतम आयु 80 वर्ष से बढ़ाकर 85 वर्ष कर दिया है. इसके लिए चुनाव संचालन नियम, 1961 में संशोधन किया गया है. सरकार को ओर से यह एक बड़ा फैसला है. अब 85 वर्ष की आयु या उससे अधिक उम्र के लोग पोस्टल वोटिंग के माध्यम से अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकते है.
इससे पहले कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल, 1961 में संशोधन के माध्यम से आयोग ने 80 वर्ष से अधिक उम्र के मतदाताओं को पोस्टल वोटिंग की अनुमति दी थी.
सरकार ने यह फैसला मतदान प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए लिया है. इस बदलाव के बाद देश की बुजुर्ग आबादी अपने मताधिकार का प्रयोग आसानी से कर सकेंगे. साथ ही इसे चुनाव प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण बदलाव के रूप में देखा जा रहा है.
अब आपके मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि आखिर पोस्टल वोटिंग होती क्या है और इसकी मदद से कैसे मतदान किया जाता है और इसके पात्र कौन होते है. चलिये इसके बारें में हम हर एक जानकरी देते है.
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क्या होता है पोस्टल वोटिंग:
पोस्टल वोटिंग/डाक मतदान भी मतदान का एक तरीका है. इसके तहत मतदाता पोलिंग बूथ तक व्यक्तिगत रूप से जाने के बजाय डाक द्वारा अपना मत डालता है. यह पोस्टल वोटिंग उसके निर्वाचन क्षेत्र तक पहुंच जाता है और इसकी गणना काउंटिंग के दिन की जाती है.
यह सुविधा उनके लिए होती है जो वोटिंग के समय अपने मतदान क्षेत्र से दूर रहते है. यह दिव्यांग मतदाता या चुनाव के दिन आवश्यक सेवाओं में लगे लोगों के लिए होता है. साथ ही यह उन व्यक्तियों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है जो विभिन्न कारणों से व्यक्तिगत रूप से मतदान करने में असमर्थ हैं.
कौन होते है पोस्टल वोटिंग के पात्र:
चुनावी ड्यूटी वाले मतदाता: सशस्त्र बलों, अर्धसैनिक बलों के सदस्य और अन्य सरकारी कर्मचारी जो अपने गृह निर्वाचन क्षेत्रों से दूर चुनाव ड्यूटी पर तैनात हैं. वह पोस्टल वोटिंग का उपयोग कर सकते है.
अनुपस्थित मतदाता: ऐसे व्यक्ति जो काम, बीमारी या विकलांगता के कारण अपने गृह निर्वाचन क्षेत्र से दूर होने जैसे कारणों से व्यक्तिगत रूप से मतदान करने में असमर्थ हैं.
इसमें वे मतदाता भी शामिल हो सकते है जिन्हें चुनाव अवधि के दौरान निवारक हिरासत आदेशों के तहत हिरासत में लिया गया है.
सरकार ने यह फैसला क्यों लिया:
सरकार यह फैसला वरिष्ठ नागरिकों की संख्या को देखते हुए लिया है. देश में 80 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों की कुल संख्या लगभग 1.75 करोड़ है, जिनमें 80-85 वर्ष की आयु वालों की संख्या लगभग 98 लाख है. वहीं 100 वर्ष और उससे अधिक आयु के मतदाताओं की संख्या 2.38 लाख है. इस फैसले से वरिष्ठ नागरिकों की मतदान प्रक्रिया में भागीदारी और बढ़ेगी जो एक मजबूत लोकतंत्र के लिए जरुरी भी है.
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