भारत के आत्मनिर्भर संकल्प को मजबूत करते हुए भारतीय सेना ने चलते-फिरते त्वरित कनेक्टिविटी के साथ स्वदेशी रूप से विकसित "एंड-टू-एंड सुरक्षित मोबाइल इकोसिस्टम विकसित किया है. जिसे 'संभव' (SAMBHAV) (सिक्योर आर्मी मोबाइल भारत वर्जन) नाम दिया गया है. इसे शिक्षा और उद्योग के राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्रों के सहयोग से विकसित किया गया है.
इसके विकास से भारत से रक्षा की क्षमताओं में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है. साथ ही यह विकास पीएम मोदी के आत्मनिर्भर संकल्प से प्रदर्शित करता है.
'संभव' क्या है?
'संभव' एक स्वदेशी रूप से विकसित सुरक्षित, एंड-टू-एंड मोबाइल इकोसिस्टम है. जिसका विकास 5G-टेक्नोलॉजी पर किया गया है. इसका विकास बुनियादी ढांचे और नागरिक-सैन्य उद्देश्यों की पूर्ति के लिए किया गया है. 'संभव' को निजी नेटवर्क के बजाय वाणिज्यिक सेलुलर नेटवर्क पर विकसित किया गया है.
'संभव' के विकास का क्या है उद्देश्य:
'संभव' टेक्नोलॉजी का विकास इंडियन आर्मी के सामने आने वाली सूचना सुरक्षा चुनौतियों का समाधान करना है. साथ ही इसके विकास से एक सिक्योर कम्युनिकेशन इकोसिस्टम के विकास में भी मदद मिलेगी. यह सिस्टम "एंड-टू-एंड सिक्यूरिटी से लैस है इसमें अत्याधुनिक 5G तकनीक का उपयोग किया गया है.
यह सिस्टम सामरिक परिदृश्यों में विशेष रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है जहां सिक्योर लाइन एक बड़ा मुद्दा होता है. एन्क्रिप्टेड इकोसिस्टम मल्टीलेयर एन्क्रिप्शन के कारण डेटा सिक्यूरिटी को सुनिश्चित करता है.
35,000 सेट किये जायेंगे तैनात:
इस टेक्नोलॉजी का विकास "दोहरे उपयोग वाले बुनियादी ढांचे" और "नागरिक-सैन्य भागीदारी के भारत सरकार के दृष्टिकोण के अनुरूप किया गया है. इसके पहले रोलआउट में दो फेज में 35,000 सेट तैनात करने की योजना है. जिसमें 15 जनवरी तक 2,500 और 31 मई तक शेष सेटों की तैनाती की जाएगी.
'संभव' कैसे करेगा मदद:
"मोबाइल नेटवर्क कम्युनिकेशन में हमेशा डेटा के लीक होने का खतरा बना रहता है. 'संभव' सिस्टम टेक्नोलॉजी एंड-टू-एंड सिक्योर मोबाइल इको-सिस्टम को मजबूत करता है. यह सिस्टम चलते-फिरते फ़ास्ट कनेक्टिविटी इको-सिस्टम को मजबूत करता है.
इसके लिए कमांड साइबर ऑपरेशंस सपोर्ट विंग (सीसीओएसडब्ल्यू-CCOSW) स्थापित किये जा रहे है जो साइबर सुरक्षा क्षमता को बढ़ाते है. एक रिपोर्ट के अनुसार सभी कमांड के लिए छह CCOSW स्थापित किये जा रहे है. साथ ही इससे जुड़े कर्मियों को स्पेशल ट्रेनिंग भी दी जाएगी.
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