एक फूटी कौड़ी की कितनी होती थी कीमत, यहां जानें

Mar 4, 2025, 11:00 IST

वर्तमान में चीजों के आदान-प्रदान व सेवाओं के लिए रुपये का लेनदेन होता है। हालांकि, एक समय था जब रुपया नहीं था, बल्कि फूटी कौड़ी चला करती थी। एक फूटी कौड़ी की क्या होती थी कीमत, इस लेख में हम जानेंगे। 

क्या होती है फूटी कौड़ी
क्या होती है फूटी कौड़ी

आपने अक्सर लोगों के मुंह से फूटी कौड़ी के बारे में सुना होगा। लोग अक्सर ताव में आकर एक भी फूटी कौड़ी न देने की बात कहते हैं। हालांकि, क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर यह फूटी कौड़ी क्या होती है। एक फूटी कौड़ी में कितनी कौड़ी होती है।

वर्तमान में सेवाओं का लाभ लेने व खरीददारी के लिए रुपये खर्च होते हैं, लेकिन एक समय ऐसा भी था कि जब रुपये नहीं हुआ करता था, बल्कि फूटी कौड़ी चला करती थी। क्या है इसके पीछे की कहानी, जानने के लिए यह पूरा लेख पढ़ें। 

तीन फूटी कौड़ी से बनता थी एक साबूत कौड़ी

एक समय था जब फूटी कौड़ी चला करती थी। उस समय चीजों को खरीदने व सेवाओं का लाभ लेने के लिए फूटी कौड़ी का इस्तेमाल किया जाता था। वहीं, तीन फूटी कौड़ी को मिलाकर एक साबूत कौड़ी बनती थी। 

10 कौड़ी से बनती थी एक दमड़ी 

यदि किसी व्यक्ति को कोई बड़ा सामान खरीदना होता था, तो उन्हें कौड़ियों को जमा करना होता था, जिसके बाद 10 कौड़ी को जमा कर एक दमड़ी बना करती थी। 

दो दमड़ी से एक धेला

यदि किसी व्यक्ति को कोई बड़ा लेन-देन करना होता था, तो उन्हें दमड़ी जमा करनी होती थी। उस समय दो दमड़ी को मिलाकर एक धेला बनता था। 

एक धेला एक पाई के बराबर 

उस समय एक धेला एक पाई के बराबर हुआ करता था। पाई के माध्यम से भी लेन-देन हुआ करते थे। 

तीन पाई से बनता था एक पैसा

अब आपने पैसा तो सुना ही होगा, तो आपको बता दें कि उस समय तीन पाई को मिलाकर एक पैसा बना करता था।

चार पैसे से बनता था एक एक आना 

आपने आना के बारे में भी सुना होगा, तो उस समय यदि चार पैसो को मिला दिया जाए, तो एक आना बना करता था। आज भी किसी के अमीर होने पर चार पैसों की कहावत बोली जाती है।

16 आना से बनता था एक रुपया

आज भी एक रुपया का चलन है, तो आपको बता दें कि 1960 से पहले 16 आने को मिलाकर एक रुपया बना करता था। 

1957 के बाद हुआ परिवर्तन

साल 1957 के बाद भारत सरकार की ओर से पैसों के दशमलव को परिवर्तन किया गया। सरकार द्वारा 100 पैसों को मिलाकर एक रुपया कर दिया गया। इसके बाद 25 पैसों का चलन हुआ और बाद में 50 पैसों का चलन हुआ। हालांकि, समय के साथ सब बंद हो गए और अब एक रुपया का चलन है। 

Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

A seasoned journalist with over 7 years of extensive experience across both print and digital media, skilled in crafting engaging and informative multimedia content for diverse audiences. His expertise lies in transforming complex ideas into clear, compelling narratives that resonate with readers across various platforms. At Jagran Josh, Kishan works as a Senior Content Writer (Multimedia Producer) in the GK section. He can be reached at Kishan.kumar@jagrannewmedia.com
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