साल 2012 में एक फिल्म आई थी, जिसमें दुनिया को खत्म होते हुए दिखाया गया था। वहीं, इससे पहले यह अटकलें लगाई जा रहीं थी कि साल 2012 के दिसंबर में दुनिया का अंत हो जाएगा। इससे कुछ लोगों के दिलों में डर भी पैदा हो गया था। हालांकि, फिल्म रिलीज हुई और साल बीत गया।
इसके बाद भी हमें अपने दैनिक जीवन में अक्सर दुनिया का अंत होने की बातें सुनने को मिलती रहती हैं। इस बीच दुनिया के अलग-अलग धर्मों की दुनिया के अंत के पीछे अपनी-अपनी राय है। दुनिया के अंत को लेकर क्या कहती हैं अलग-अलग संस्कृतियां, जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
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हिंदू धर्म
हिंदू धर्म में दुनिया के अंत को लेकर अलग-अलग सिद्धांत दिए गए हैं। इसमें से सबसे अधिक लोगों के बीच 'प्रलय' और कल्कि अवतार का जाना जाता है। हिंदू धर्म में 'प्रलय' को लेकर कहा जाता है कि जब भगवान विष्णु अपने कल्कि अवतार में अपने चक्र के साथ एक सफेद घोड़े पर सवार होकर पृथ्वी पर आएंगे और बुरी ताकतों को नष्ट कर देंगे। विनाश की इस अवधि के बाद पुनर्जन्म होगा, जब भगवान ब्रह्मा जागेंगे और सृष्टि की रचना के लिए नया चक्र शुरू करेंगे।
इस्लाम
इस्लाम धर्म में प्रलय के दिन को कयामत या फैसले के दिन के रूप में बताया गया है। इस घटना में दज्जल नामक व्यक्ति का आगमन शामिल है, जो अराजकता और धोखे को सामने लाएगा।
ईसाई धर्म
ऐसा कहा जाता है कि एक बार जब बुराई नियंत्रण से बाहर हो जाती है और लोगों को सही और गलत का पता नहीं चलता, तो अंतिम न्याय के दिनों में धर्मी को स्वर्ग ले जाया जाएगा, जबकि अधर्मी को दंड का सामना करना पड़ेगा।
पारसी धर्म
पारसी धर्म के अनुसार, जब प्रलय का दिन निकट होगा, तो अच्छी और बुरी ताकतों के बीच युद्ध होगा। ऐसे में अच्छाई और प्रकाश के देवता अंधेरे की शक्ति पर विजय प्राप्त करेंगे।
एज्टेक
एज़्टेक पौराणिक कथाओं के अनुसार, पांचवां सूर्य भूकंप और अंधकार के साथ समाप्त हो जाएगा, जहां लोग पागल होने लगेंगे और अंत में दुनिया के अंत की ओर ले जायेंगे। इसके बाद यह सृष्टि खत्म हो जाएगी।
बुद्ध धर्म
कुछ बौद्ध शिक्षाओं में उल्लेख है कि दुनिया का अंत अंततः नैतिकता और समाज में गिरावट के साथ हो जाएगा। ज्ञानोदय का एक नया युग उदय होगा और दुनिया को एक नया बुद्ध मिलेगा।
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