उत्तर प्रदेश भारत का चौथा सबसे बड़ा राज्य है, जो कि 240,928 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यह राज्य भारत के कुल 7.33 फीसदी हिस्से पर है। यह राज्य भारत का सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य है। साल 2011 में यहां की जनसंख्या 19 करोड़ 98 लाख 12 हजार 341 दर्ज की गई थी, जो कि पूरे भारत की करीब 16.5 फीसदी थी। हालांकि, अब यहां की आबादी 24 करोड़ को पार कर गई है।
हालांकि, साल 2024 में यह आंकड़ा 24 करोड़ को पार कर गया है। उत्तर प्रदेश के प्रत्येक जिले की अपनी विशेषता है, जो कि अलग-अलग कारणों की वजह से विश्वविख्यात है। इस कड़ी में क्या आप जानते हैं कि उत्तर प्रदेश के किस जिले को हम ऋषि भूमि के रूप में भी जानते हैं, यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
उत्तर प्रदेश के कुल जिले
उत्तर प्रदेश भारत में सबसे अधिक जिले वाला राज्य है। वर्तमान में यहां कुल 75 जिले हैं, जो कि 18 मंडलों में आते हैं। ये मंडल कुल चार संभागों में आते हैं, जो कि बुंदेलखंड, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, मध्य उत्तर प्रदेश और पूर्वांचल हैं। यहां कुल 351 तहसील और 826 सामुदायिक विकास खंड हैं। साथ ही, यहां 437 नगर पंचायत, 198 नगर पालिक परिषद्(2018 के आंकड़ों के अनुसार), 5 विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण और 17 नगर निगम मौजूद हैं।
उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा और सबसे छोटा जिला
उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े जिले की बात करें, तो यह लखीमपुर खीरी जिला है, जो कि 7680 वर्ग किलोमीटर में है। वहीं, सबसे छोटा जिला हापुड़ है, जो कि 660 वर्ग किलोमीटर में है। लखीमपुर खीरी जिला प्रसिद्ध मेंढक मंदिर के लिए जाना जाता है, तो हापुड़ शहर स्टील सिटी के रूप में भी प्रसिद्ध है।
उत्तर प्रदेश के चार दिशाओं के चार जिले
उत्तर प्रदेश का सबसे पूर्वी जिला बलिया है। वहीं, सबसे उत्तरी जिला सहारनपुर, सबसे दक्षिणी जिला सोनभद्र और सबसे पश्चिमी जिला शामली है।
किस जिले को कहा जाता है ऋषि भूमि
अब सवाल है कि आखिर किस जिले को हम ऋषि भूमि के रूप में भी जानते हैं, तो आपको बता दें कि बहराइच जिले को हम ऋषि भूमि के रूप में भी जानते हैं। हाल ही में बहराइच जिला चर्चाओें में रहा था, जहां प्रदेश सरकार की ओर से भेड़ियों के आंतक के खिलाफ ऑपरेशन भेड़िया चलाया गया था।
क्यों कहा जाता है ऋषि भूमि
बहराइच जिले की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, ‘इसे गंधर्व वन का हिस्सा भी कहा जाता था। आज भी जिले का कई सौ वर्ग किलोमीटर का पूर्वोत्तर क्षेत्र जंगल से ढका हुआ है। ऐसा कहा जाता है कि ब्रह्मा जी ने इस वन-आच्छादित क्षेत्र को ऋषियों और साधुओं के लिए पूजा स्थल के रूप में विकसित किया था। इसलिए इस जगह को "बहराइच" के नाम से जाना जाता है।’ ऐसे में यह ऋषि भूमि भी कही जाती है।
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