भारत में यदि प्रमुख नदियों की बात करें, तो करीब 200 प्रमुख नदियां हैं। इन नदियों में यदि भारत की सबसे लंबी नदी की बात होती है, तो सबसे ऊपर नाम गंगा नदी का आता है, जो कि पहाड़ों से होते हुए मैदानी इलाकों को पार कर 2525 किलोमीटर का सफर पूरा करने के बाद बंगाल की खाड़ी में जाकर गिर जाती है।
वहीं, गंगा की कई सहायक नदियां हैं, जो कि इसे बहने में सहायता प्रदान करती हैं। ये नदियां भारत के अलग-अलग राज्यों के जिलों से होते हुए गंगा में मिलती हैं। हालांकि, क्या आपको भारत की ऐसी नदी के बारे में पता है, जिसे गंगा की बहन कहा जाता है। यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम गंगा की बहन कहे जाने वाली नदी के बारे में जानेंगे। कौन-सी है यह नदी और कहां से कहां तक बहती है, जानने के लिए यह पूरा लेख पढ़ें।
इस नदी को कहा जाता है गंगा की बहन
भारत में नदियां हिंदू धर्म में लोगों की आस्था का केंद्र हैं। इन्हीं नदियों में शामिल है देविका नदी, जिसे पौराणिक मान्याताओ के मुताबिक गंगा नदी की बहन के रूप में जाना जाता है।
कहां से निकलती है यह नदी
देविका नदी जम्मू-कश्मीर के उधमपुर जिले की पहाड़ी सुध महादेव मंदिर से निकलती है। यहां से निकलने के बाद यह नदी पश्चिमी पंजाब(वर्तमान पाकिस्तान) में जाकर रावी नदी में जाकर मिल जाती है। यहां से इसका पानी रावी नदी में मिलकर बहता है। इस तरह देविका नदी रावी की सहायक नदी बन जाती है।
क्या है देविका नदी परियोजना
देविका नदी को लेकर मार्च 2019 में राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना(NRCP) के तहत काम शुरू किया गया था। इसका प्रमुख उद्देश्य नदी के तटों को विकसित करने के साथ इसके तट पर मौजूद दाह संस्कार स्थल, प्राकृतिक पानी की निकासी और स्नान घाटों का विकास के साथ सीवेज उपचार संयंत्र, जलविद्युत संयंत्र और सौर उर्जा संयंत्र स्थापित करना था।
गुप्ता गंगा के नाम से जानी जाती है यह नदी
देविका नदी का धार्मिक महत्व अधिक है। यही वजह है कि जहां से यह नदी निकलती है, उसे देवकनगरी के रूप में भी जाना जाता है। वहीं, अपने उद्गम स्थल से निकलने के बाद यह नदी कई जगहों पर लुप्त और कई जगहों पर प्रकट होती है।
ऐसे में इस नदी को गुप्त गंगा के नाम से भी जाना जाता है। पौरणाकि मान्याताओं में इस नदी को गंगा की बड़ी बहन देविका बताया गया है।
बैसाखी की पूर्व संध्या पर लगता है मेला
इस नदी के किनारे पर बैसाखी की पूर्व संध्या पर मेले का आयोजन भी किया जाता है, जिसमें जगह-जगह से लोग पहुंचते हैं।
वहीं, इस नदी के तट पर अंतिम संस्कार का भी अधिक महत्व है। इस वजह से यहां लोग अपनों का अंतिम संस्कार करने के लिए भी आते हैं।
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