उत्तर प्रदेश भारत का चौथा सबसे बड़ा राज्य है। यह राज्य अपनी विविध संस्कृति और अनूठी परंपराओं की वजह से देश-दुनिया में जाना जाता है। यहां का गौरवाशाली इतिहास अतीत के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों के साथ अपनी गौरगाथा का बखान करता है।
वहीं, धर्म और संस्कृति से भी इस राज्य का अटूट नाता है। इस कड़ी में यहां कई नदियों का प्रवाह होता है, जिन्हें सिर्फ नदियों तक सीमित नहीं रखा गया है, बल्कि धर्म के आधार पर उन्हें मां व अन्य पद के दर्जे दिए गए हैं। ऐसे में यूपी में बहने वाली कुल नदियों में से एक नदी ऐसी भी है, जिसे रथवाहिनी के रूप में भी जाना जाता है। कौन-सी है यह नदी, जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
उत्तर प्रदेश का परिचय
उत्तर प्रदेश का इतिहास हजारों साल पुराना है। यहां कभी कोसल और पांचाल साम्राज्य हुआ करता था। बाद में यहां शर्कियों ने आक्रमण किया और जौनपुर को बसाया। कुछ समय बाद यहां मुगल पहुंचे और और उन्होंने यहां अवध सूबे का गठन कर नवाबों के हाथ में कमान सौंप दी।
हालांकि, भारत में ब्रिटिश राज हुआ और कमान अंग्रेजों के हाथ में आ गई। ब्रिटिश ने यहां उत्तर-पश्चिम प्रांत का गठन किया, जिसे बाद में अवध सूबे में मिलाकर संयुक्त प्रांत बना दिया गया है। देश आजाद हुआ और सरकार ने 1950 में प्रांत को उत्तर प्रदेश नाम दिया।
उत्तर प्रदेश की प्रमुख नदियां
यूपी में रथवाहिनी वाली नदी से पहले हम यूपी की कुछ प्रमुख नदियों के बारे में जान लेते हैं। आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश की प्रमुख नदियों में गंगा, यमुना, घाघरा, गोमती, चंबल, बेतवा और सोन नदी है। इसमें सबसे बड़ी नदी गंगा नदी है, जो कि उत्तराखंड से निकलने के बाद उत्तर प्रदेश में सबसे लंबा सफर तय करती है।
किस नदी को कहा जाता है रथवाहिनी
अब सवाल है कि यूपी में किस नदी को रथवाहिनी कहा जाता है, तो आपको बता दें कि यूपी में बहने वाली रामगंगा नदी को रथवाहिनी के रूप में भी जाना जाता है।
क्यों कहा जाता है रथवाहिनी
आपको बता दें कि रामगंगा नदी का उल्लेख पौराणिक ग्रंथों में मिलता है। ऐसे में इसका अपना धार्मिक महत्त्व है। स्कंदपुराण के मानसखण्ड में इसे रथवाहिनी के नाम से भी जाना जाता है। ऐसे में रामगंगा को रथवाहिनी भी कहा जाता है।
यूपी के किन जिलों में बहती है रामगंगा
रामगंगा नदी उत्तराखंड के पौढ़ी गढ़वाल से निकलकर यूपी के बिजनौर जिले से मैदानी भागों में प्रवेश करती है। यहां से होते हुए यह मुरादाबाद से होकर रामपुर की तरफ आगे बढ़ती है। रामपुर से होते हुए यह बरेली पहुंचती है, जहां शहरों के बीचों-बीच बहते हुए यह बदायूं, शाहजहांपुर और बरेली होते हुए कन्नौज के विपरित गंगा में मिल जाती है।
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