आपने अक्सर देखा होगा कि जब कोई व्यक्ति अधिक हिम्मत दिखा रहा होता है या फिर साहसी बात करता है, तो उसे अक्सर फन्ने खां की उपाधि दी जाती है। भारत में हम अक्सर इस तरह की कहावत कई मौकों पर सुनते हैं, जिसमें सामने वाले व्यक्ति को फन्ने खां की उपाधि दी जाती है।
आमतौर पर ऐसा कहा जाता है कि तुम अपने आपको ज्यादा फन्ने खां मत समझो, तुम कहां के फन्ने कहां हो या फिर तुम्हारे जैसे बहुत फन्ने खां देखे आदि। हालांकि, क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर यह असली फन्ने खां कौन है, जिसके नाम पर यह उपाधि दी जाती है और ऐसा फन्ने खां ने क्या किया था, जिससे यह कहावत बन गई। यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
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कौन था फन्ने खां
अब हम जान लेते हैं कि फन्ने खां कौन था, तो आपको बता दें कि असली फन्ने खां मंगोल शासक चंगेज खां के दरबार में कार्यरत था।
बड़ी-बड़ी बातों के लिए था मशहूर
फन्ने खां अपनी बड़ी-बड़ी बातों के लिए जाना जाता था। ऐसा कहा जाता है कि उसे बढ़-चढ़कर बातें करना पसंद था। इस वजह से वह चर्चाओं में रहता था। हालांकि, वह युद्ध में जाने से डरता था।
जब सेना में किया गया शामिल
एक बार चंगेज खां और फन्ने खां सैर करने निकले। इस बीच चंगेज खां को भूख लग आई। ऐसे में उसने फन्ने खां से भोजन का बंदोबस्त करने के लिए कहा। इस पर फन्ने खां ने तुरंत एक शिकार कर चंगेज खां के लिए भोजन का प्रबंध कर दिया। इस पर चंगेज खां खुश हुआ और उसने फन्ने खां को प्रमुख युद्ध सेना में शामिल कर लिया।
इसलिए कही जाती है कहावत
अब सवाल है कि आखिर फन्ने खां की कहावत को क्यों कहा जाता है, तो आपको बता दें कि फन्ने खां के बारे में कहा जाता है कि उसकी भुजाओं में बहुत ताकत थी। ऐसे में जब वह युद्ध में लड़ता था, तो वह एक बार में कई सिर कलम कर देता था। इस वजह से आज भी फन्ने खां कहावत मशहूर है।
नोटः इसमें ऊपर दिए गए तथ्य भारत में फन्ने खां को लेकर कही जाने वाली कहानियों पर आधारित है। इसे लेकर आधिकारिक प्रमाण नहीं हैं।
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