हम जब भी अस्वस्थ होते हैं या फिर परिवार में किसी सदस्य की सेहत ठीक नहीं होती है, तो हम सबसे पहले डॉक्टर के पास जाते हैं। कम परेशानी होने पर हम नजदीकी क्लीनिक पहुंचते हैं। वहीं, समस्या बड़ी होने पर अस्पताल का रूख करते हैं, जहां जूनियर रेजिडेंट और सीनियर रेजिडेंट हमारा इलाज करते हैं।
हम अक्सर उनके नाम के आगे जूनियर और सीनियर रेजिडेंट लिखा हुआ देखते हैं। इससे हमें पता चलता है कि हमारा इलाज करने वाला डॉक्टर जूनियर डॉक्टर है या फिर सीनियर डॉक्टर हमारा इलाज कर रहा है। हालांकि, क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर डॉक्टर को हम रेजिडेंट क्यों कहते हैं। यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
कितने प्रकार के होते हैं रेजिडेंट डॉक्टर
सबसे पहले हम यह जान लेते हैं कि आखिर रेजिडेंट डॉक्टर कितने प्रकार के होते हैं, तो आपको बता दें कि ये दो प्रकार के होते हैं। इसमें एक जूनियर रेजिडेंट और दूसरा सीनियर रेजिडेंट पद है। सीनियर रेजिडेंट के नेतृत्व में जूनीयर रेजिडेंट डॉक्टर मरीजों का इलाज करते हैं।
अस्पताल में सीधे मरीजों के संपर्क में रहते हैं डॉक्टर
मरीज जब भी किसी अस्पताल में पहुंचता है, तो उसका संपर्क सीधा रेजिडेंट डॉक्टर से होता है, न कि अस्पताल में मौजूद किसी विभागाध्यक्ष या फिर किसी कंसलटेंट डॉक्टर से उसका संपर्क होता है। ऐसे में रेजिडेंट डॉक्टर मरीजों के सीधे संपर्क में रहते हैं और उनकी परेशानी को सुनने व समझने के बाद पूरी ब्रीफ हिस्ट्री तैयार करते हैं।
क्यों कहा जाता है रेजिडेंट डॉक्टर
मेडिकल की भाषा में पोस्ट ग्रेजुएट छात्रों के लिए रेजिडेंट टर्म का इस्तेमाल किया जाता है। दरअसल, यह रेजिडेंसी के लिए होता है, जिसका अभिप्राय जिम्मेदारी से होता है। मेडिकल का कोई छात्र जब एमबीबीएस के पांच वर्ष पूरे होने के बाद परास्नातक में दाखिला लेता है, तो वह अलग-अलग क्षेत्रों के अनुसार तीन और छह वर्ष के पाठ्यक्रम पूरा करता है। ऐसे में डॉक्टरों की रेजिडेंसी के लिए उन्हें रेजिडेंट डॉक्टर कहा जाता है।
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