जानिये सरकार ने N95 मास्क को क्यों बैन किया?

Jul 23, 2020, 11:17 IST

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने चेतावनी जारी कर कहा है कि N-95 में लगा 'प्लास्टिक फिल्टर' कोरोना वायरस को रोकने में कारगर नहीं है क्योंकि इसमें लगा फ़िल्टर हवा को फ़िल्टर करके अंदर भेजता है और बिना फ़िल्टर किये बाहर भेजता है. इसलिए इस मास्क को लगाने वाला व्यक्ति तो स्वस्थ रहता है लेकिन इसे लगाने वाला व्यक्ति अपने आस पास के लोगों के लिए खतरा बन सकता है.

Why government ban N95 masks
Why government ban N95 masks

कोरोना वायरस दुनिया में एक ऐसा वायरस बनता जा रहा है जिसके बारे में इंटरनेशनल हेल्थ एजेंसीज को भी पूरी सटीक जानकारी एक साथ नहीं मिली है. आये दिन विश्व स्वास्थ्य संगठन इसे लेकर नयी-नयी चेतावनी जारी करता है.

दिसम्बर 2019 से लेकर मिड जुलाई तक स्वास्थ्य एजेंसियों ने कहा था कि किसी भी प्रकार का मास्क कोविड 19 को फैलने से रोकने में कारगर है. लेकिन अब खबर आयी है कि N95 मास्क, कोरोना वायरस को फैलने से रोकने में मददगार नहीं है.

आइये इस लेख में इसके बारे में विस्तार से जानते हैं. लेकिन इससे पहले यह जानना जरूरी  है कि आखिर N95 मास्क कैसे होते हैं?

N95 मास्क के बारे में 

N95 मास्क, व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण हैं जो पहनने वाले को वायु कणों से और चेहरे को दूषित करने वाले हवा में मौजूद तत्वों से बचाता है. दिल्ली में फैलने वाले वायु प्रदूषण से बचने के लिए लोग इसी मास्क का प्रयोग करते हैं.

सामान्यतः N95 मास्क, स्वास्थ्य कर्मियों और सामान्य जनता द्वारा भी इस्तेमाल किये जाते हैं ताकि हवा के माध्यम से फैलने वाले संक्रमण और प्रदूषित कणों से बचा जा सके. लेकिन इस मास्क की भी अपनी कुछ कमियां हैं.

N95 मास्क, 300 नैनोमीटर (1 नैनोमीटर, मीटर का एक अरबवां हिस्सा है) से छोटे 95% कणों को फ़िल्टर करता है. ज्ञातव्य है कि SARS-CoV-2 वायरस का आकार 65-125 नैनोमीटर के बीच होता है. अतः यह मास्क SARS-CoV-2 वायरस को फ़िल्टर करने में कामयाब है.

कुछ N95 मास्क में लगा हुआ ‘वाल्व/फ़िल्टर’ मूल रूप से व्यक्ति द्वारा साँस ली गई हवा को फ़िल्टर करता है और हवा में पाए जाने वाले रोगजनिक कणों को मास्क में प्रवेश करने से रोकता है. इसमें लगा हुआ वाल्व पारंपरिक मास्क की तुलना में सांस लेने में सुविधा प्रदान करता है, मास्क के अन्दर नमी रोकता है, मास्क के अंदर गर्मी और कार्बन डाइऑक्साइड को बढ़ने से रोकता है.

स्वास्थ्य मंत्रालय ने N95 मास्क पर बैन क्यों लगाया है?

इस मास्क में लगा हुआ ‘वाल्व/फ़िल्टर’ मूल रूप से 'वन-वे वाल्व’ होता है अर्थात इसके द्वारा व्यक्ति द्वारा ली गयी हवा को शुद्ध किया जाता है, व्यक्ति द्वारा बाहर निकली गयी हवा को फ़िल्टर नहीं किया जाता है. इसका मतलब यह हुआ कि जो व्यक्ति इस मास्क को लगाता है उसके अंदर SARS-CoV-2 वायरस प्रवेश नहीं करेगा लेकिन जब वह व्यक्ति साँस लेगा तो आस पास के लोगों में संक्रमण का खतरा बना रहेगा.

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दरअसल भारत में ऐसा देखा गया है कि कई लोग कोरोना से संक्रमित तो पाए गये लेकिन उनमें किसी प्रकार का लक्षण (बुखार, जुखाम, शरीर दर्द इत्यादि) नहीं पाया गया है. अब जब इस प्रकार का व्यक्ति समाज में किसी के साथ बैठेगा तो सांस छोड़ते समय दूसरों को संक्रमित जरूर करेगा क्योंकि N95 मास्क व्यक्ति द्वारा छोड़ी गयी हवा को फ़िल्टर नहीं करता है. 

इस प्रकार एक ऐसा व्यक्ति जो कि N95 मास्क लगाता है वह भी कई लोगों को SARS-CoV-2 वायरस अनजाने में ही दे देगा. यही कारण है कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने N95 मास्क के प्रयोग पर बैन लगाकर उसकी जगह पर हाथ से बने 3 परतों वाले सूती कपडे से बने मास्क को लगाने की सलाह दी है.

उम्मीद है कि अब N95 मास्क लगाकर खुद को सुरक्षित करने वाले लोग इस बात को समझेंगे कि केवल उनके सुरक्षित होने से कुछ नहीं होगा बल्कि समाज और देश को सुरक्षित करने में ही सभी की भलाई है.

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Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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