भारत यानि विविधताओं का देश, जहां की अनूठी परंपराएं, संस्कृति और भाषाएं, खान-पान, वेशभूषा और यहां की कलाएं इसे अन्य देशों से अलग बनाती हैं।
भारत की समुद्र सीमा की बात करें, तो इसकी कुल लंबाई 7516.6 किलोमीटर है, जो कि गुजरात, महारा, गोवा, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडू, आंध्रप्रदेश, ओडिसा,दादर और नगर हवेली और दमन एवं द्वीप, लक्षद्वीप, पुड्डुचेरी, अंडमान एवं निकोबार द्वीप से होकर गुजरती है।
आप जब भी भारत का नक्शा देखते होंगे, तो इसमें जरूर श्रीलंका भी देखते होंगे, जबकि श्रीलंका एक अलग देश है। ऐसे में क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर भारत के नक्शे में हम श्रीलंका को साथ में क्यों देखते हैं, जबकि हम अन्य देश नहीं देखते हैं। इस लेख के माध्यम से हम इस वजह के बारे में जानेंगे।
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बनाया गया था कानून
दुनिया में कई देश ऐसे हैं, जो कि समुद्री सीमा से लगते हैं। ऐसे में साल 1956 में संयुक्त राष्ट्र की ओर से Convention of the law of the Sea का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन में विभिन्न देशों की समुद्री सीमा और उनसे जुड़ी संधियों व समझौतों पर गहन चर्चा की गई।
ऐसे में अलग-अलग कानून बनाए गए। वहीं, इसके बाद भी बैठकों का दौर जारी रहा और साल 1982 तक तीन बैठकों का आयोजन किया गया। बैठकों में अलग-अलग समुद्री सीमाओं को लेकर कानून बनाए गए और उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता देने के लिए प्रक्रिया हुई।
Law of the Sea से तय हुए नियम
देशों की समुद्री सीमा को लेकर अलग-अलग कानून बनाए गए, जिसमें लॉ ऑफ सी भी बनाया गया है, जो कि यह कहता है कि किसी भी देश के नक्शे में उस देश की बेसलाइन से 200 नॉटिकल माइल यानि कि 370.4 किलोमीटर की सीमा को दिखाना अनिवार्य है।
क्यों दिखाया जाता है भारत के नक्शे में श्रीलंका
भारत के अंतिम छोर यानि धनुषकोडी से श्रीलंका की दूरी की बात करें, तो यह 18 नॉटिकल मील यानि कि 33.33 किलोमीटर है। ऐसे में समुद्री नियम के मुताबिक, भारत को अपने नक्शे में श्रीलंका को दिखाना अनिवार्य है। यही वजह है कि हम भारत के नक्शे में श्रीलंका को भी देखते हैं।
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